National Sports Day 2023 Why Sports is Important for Children: आजकल का जो जमाना चल रहा है, उसे और उसके प्रतिस्पर्धा को देखते हुए अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे आज की भीड़ में सबसे आगे हो। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए हर कुछ करने की सोचते हैं, जिनसे उनका भविष्य सुरक्षित हो सकें।
इसके लिए कई बार वे अपने बच्चों पर कुछ पाबंदियां भी लगाते हैं। वे चाहते हैं कि उनका सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करें, ना कि दोस्तों के साथ बाहर जाएं या फिर खेलने के लिए किसी ग्राउंड पर जा सकें। इसके चलते ना ही उनका शारीरिक विकास हो पाता है और ना ही उनका मानसिक विकास। इसलिए कहा जाता है कि खेलकूद से बच्चों के भीतर काफी विकास होता है। इससे उनका दिमाग भी फ्रेश होता है और शारीरिक व मानसिक विकास भी हो पाता है।
स्पोर्ट्स से बच्चों के भीतर स्फूर्ति आती है, एक जोश कायम होता है और ऐसे बच्चे हमेशा एक्टिव भी रहते हैं। लेकिन मां-बाप को हमेशा से ही ऐसी चीजें फालतू लगता है और इन चीजों को बेकार समझ कर वे अपने बच्चों को हमेशा दूर रखते हैं। लेकिन मां-बाप को इस बात को समझना चाहिए। खेल से दूर रहने वालों बच्चों में काफी समस्याएं भी होती हैं, जैसे- मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता और भी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं। अभिभावकों को इस बात को समझनी चाहिए कि खेलने से बच्चों में सीखने की क्षमता विकसित होती है। साथ ही उनमें आत्मसम्मान, टीमवर्क और क्रिएटिविटी भी सीखते हैं।
ऐसे में घर-परिवार के बड़ों को बच्चों के सम्पूर्ण विकास और सामाजिक विकास के लिए खेल को लेकर बढ़ावा देना चाहिए। बाहर जाकर खेलने से, दोस्तों से मिलने पर उनका ठीक तरीके से विकास हो पाता है। उनकी दूसरों से बातचीत भी अच्छी होती है, लेकिन अगर बच्चों को सिर्फ पढ़ाई करवाई जाए और घर पर ही रखा और खेलने ना दिया जाए, तो विकास ठीक से हो नहीं पाएगा और आगे चलकर उनका आत्मविश्वास भी कम होता जाएगा, जिससे वे आगे चलकर किसी से बात करने में भी घबराएंगे। तो आइए जानते हैं कि बच्चों के लिए स्पोर्ट्स क्यों है जरूरी..।
1. आत्मसम्मान और धैर्य रखने की क्षमता का विकास होना..
बाहर जाकर खेलने से बच्चों के आत्मसम्मान में काफी सुधार हो पाता है। इससे उनके दिमाग पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खेलने से और खेल में जीत हासिल करने से उनके दिमाग में जीतने की एक ललक बढ़ती है। और जब वे खेल में हार जाते हैं तो इससे उनमें धैर्य रखने की क्षमता का भी विकास हो पाता है। ऐसे में वे अपने लक्ष्य को लेकर भी काफी सजग हो पाते हैं।
2. शारीरिक क्षमता व मानसिक विकास का होना..
खेलकुद से बच्चों में शारीरिक क्षमता का भी विकास हो पाता है। खेलने से शरीर में तेजी से ऑक्सीजन का संचार भी होता है और इससे शारीरिक विकास से तेजी से होता है। इतना ही नहीं, इससे ब्लड सर्कुलेशन भी काफी बेहतर रहता है। इसके अलावा, पाचन तंत्र भी उनका अच्छा होता है, जिससे वे जो भी खाना खाते हैं, वह उनके शरीर में लगता है और उनका शारीरिक विकास हो पाता है। अगर आप बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो इससे उनका मानसिक विकास भी अच्छे से हो पाएगा और फिर वे अपनी पढ़ाई भी मन लगाकर कर सकेंगे।
3. सामाजिक कौशल का विकास होना..
जब बच्चे बाहर खेलने के लिए जाते हैं तो उनमें कई तरह के सामाजिक कौशल का भी विकास होता है। दरअसल, जब वे बाहर खेलने के लिए जाते हैं तो वे लोगों से बातें करते हैं, ऐसे में उनके टीम के लोगों से भी अच्छे संचार विकसित हो पाते हैं। एक टीम में टीम भावना के खेलते हैं और टीम की जीत को अपनी जीत और टीम की हार को अपनी हार समझते हैं। ऐसे में भविष्य में अगर वे कुछ अलग काम भी करते हैं तो उनके अंदर टीम लीड का क्वालिटी का विकास हो पाता है। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
4. पढ़ाई में भी बेहतर होना..
अगर कोई बच्चा हर रोज पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी ध्यान देते हैं तो उनका पढ़ाई में भी मन लगता है और वे पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन भी कर पाते हैं। इसका कारण है कि जब वे अपने खेल को समर्पण के साथ खेलते हैं और उसमें कड़ी मेहनत भी करते हैं। यही काम वे अपने पढ़ाई में भी अपनाते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई काफी बेहतर हो पाती है।
5. बातचीत (सामाजिक कौशल) में सुधार होना..
काफी बार होता है कि घर में रहते-रहते बच्चे काफी शर्मीले बन जाते हैं। ऐसे में जब वे बाहर खेलने जाते हैं और लोगों से बातें करते हैं, अपने टीम के लोगों से बातें करते हैं तो उनमें दूसरों से बात करने को लेकर भी एक आत्मविश्वास जगता है और वे तेज तर्रार दिमाग के हो पाते हैं। इससे उनकी बातचीत (सामाजिक कौशल) करने के तरीके में भी सुधार हो पाता है और वे अपने साथियों और दूसरे लोगों से बात करने में उनका मनोबल भी बढ़ता है। इससे वे लोगों के सामने अपनी बात को भी रखना सीख पाते हैं।