हर साल 15 सितंबर को भारत में 'इंजीनियर्स डे' मनाया जाता है। यह दिन देश के महानतम इंजीनियरों में से एक, सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (एम. विश्वेश्वरैया) की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। उनका योगदान भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण रहा है, और उन्हें इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए याद किया जाता है। इंजीनियर्स डे का आयोजन तकनीकी नवाचारों और विकास में इंजीनियरों की भूमिका को सम्मानित करने के लिए किया जाता है।
इंजीनियर्स डे कब और क्यों मनाया जाता है?
इंजीनियर्स डे 15 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन 1861 में सर एम. विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। सर विश्वेश्वरैया भारत के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरों में से एक थे और उनका योगदान देश के बुनियादी ढांचे के विकास में अहम रहा है। उन्होंने जल प्रबंधन, सिंचाई प्रणाली और बांध निर्माण में महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनसे भारत में पानी की समस्या का समाधान हुआ।
उनके अद्वितीय काम और समर्पण के कारण भारत सरकार ने 1968 में उनकी जयंती को 'इंजीनियर्स डे' के रूप में मनाने की घोषणा की। यह दिन इंजीनियरिंग समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है और हमें याद दिलाता है कि कैसे इंजीनियरिंग समाज के समग्र विकास में सहायक है।
इंजीनियर्स डे 2024 की थीम क्या है?
प्रत्येक वर्ष, इंजीनियर्स डे के लिए एक खास थीम चुनी जाती है, जो तकनीकी विकास, नवाचार और समसामयिक चुनौतियों के समाधान पर केंद्रित होती है। 2024 में इंजीनियर्स डे की थीम 'एक सतत दुनिया के लिए इंजीनियरिंग समाधान' पर आधारित होगी। इस थीम के माध्यम से न केवल इंजीनियरों को नई चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा दी जाती है, बल्कि उनके द्वारा विकसित किए गए नए समाधानों को भी मान्यता दी जाती है।
सर एम. विश्वेश्वरैया कौन थे?
सर एम. विश्वेश्वरैया एक सिविल इंजीनियर थे, जिन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनेक महान उपलब्धियां हासिल कीं। उन्हें "आधुनिक मैसूर के निर्माता" के रूप में भी जाना जाता है। उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य कृष्णा राजा सागर (KRS) बांध का निर्माण था, जो उस समय एशिया का सबसे बड़ा जलाशय था। इस बांध के निर्माण ने सिंचाई के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए और कर्नाटक राज्य को समृद्ध बनाया।
इसके अलावा, उन्होंने बाढ़ नियंत्रण प्रणालियों और जल संसाधन प्रबंधन में भी अहम योगदान दिया। उनके डिजाइन और तकनीकी विचारों ने न केवल कर्नाटक, बल्कि पूरे देश को लाभान्वित किया। उनके महान कार्यों के लिए, उन्हें 1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
इंजीनियरिंग का समाज और देश के विकास में महत्व
इंजीनियरिंग किसी भी देश के विकास की नींव होती है। चाहे वह बुनियादी ढांचे का निर्माण हो, ऊर्जा उत्पादन हो, जल प्रबंधन हो, या तकनीकी नवाचार - इंजीनियरों का योगदान हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता है। आधुनिक समाज में जिस तकनीकी विकास को हम देख रहे हैं, उसके पीछे कहीं न कहीं इंजीनियरों का हाथ होता है।
सड़कें, पुल, हवाई अड्डे, रेलवे, स्मार्ट सिटी और विभिन्न तकनीकी प्रणालियां - ये सभी किसी न किसी रूप में इंजीनियरों के योगदान का परिणाम हैं। आधुनिक दौर में डिजिटल तकनीकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसी नई चुनौतियों का सामना करने के लिए भी इंजीनियर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इंजीनियरिंग का महत्व सिर्फ भौतिक ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की स्थिरता और सुरक्षा में भी एक अहम भूमिका निभाती है। जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय खतरों, और ऊर्जा की कमी जैसी समस्याओं का समाधान खोजने में इंजीनियरों का योगदान बेहद अहम है।
इंजीनियर्स डे का महत्व
इंजीनियर्स डे केवल इंजीनियरों के कार्यों को सम्मानित करने का दिन नहीं है, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। यह दिन इंजीनियरिंग के महत्व को समझने और इसे एक करियर के रूप में चुनने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करता है। साथ ही, यह समाज के प्रति इंजीनियरों की जिम्मेदारी की याद दिलाता है और उनके द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों का आभार व्यक्त करता है।
इंजीनियरिंग शिक्षा के महत्व को भी यह दिन उजागर करता है। 21वीं सदी में, जहां तकनीकी प्रगति के लिए इंजीनियरिंग सबसे आवश्यक कौशलों में से एक है, ऐसे में यह दिन हमें यह सोचने का अवसर देता है कि हम किस प्रकार से अपने इंजीनियरिंग कौशल का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं।