Independence Day 2022: भारत की आजादी में महिला और पुरुष दोनों ने कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। महिलायें आज के समय भी हर क्षेत्र में नए नए कीर्तिमान गढ़ रही हैं। महिलायें शुरू से ही अपने हक और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं, यह संघर्ष आज भी जारी है। महिलायें सदियों से अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही हैं। भारत को 15 अगस्त 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी तो मिल गई थी, लेकिन महिलायें उसके बाद भी अपनी आजादी के लड़ाई लड़ती रही और यह लड़ाई आज भी जारी है। भारत की आजादी के बाद, स्वतंत्र भारत में कई महिलायें ऐसी हैं, जिन्होंने पहली बार उस पद पर पहुंचकर, भारतीय इतिहास में नया अध्याय जोड़ा है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत में आजादी का अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा रहा है। भारत की आजादी में योगदान से लेकर आज तक महिलायें देश में अपना परचम लहरा रही हैं। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में जिन्होंने भारत की आजादी के बाद, पहली बार रचा इतिहास।
1. आनंदीबाई गोपालराव जोशी
आनंदीबाई गोपालराव जोशी वर्ष 1887 में पहली भारतीय महिला चिकित्सक बनीं। वह पहली भारतीय महिला भी थीं, जिन्हें पश्चिमी चिकित्सा में प्रशिक्षित किया गया था। आनंदीबाई संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने वाली पहली महिला थीं।
2. अरुणिमा सिन्हा
अरुणिमा एक राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी थीं। अरुणिमा सिन्हा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली विकलांग महिला हैं। वह एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय विकलांग भी हैं। वर्ष 2011 में चोरों ने उन्हें चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था इस दुर्घटना के बाद उनके एक पैर काटना पड़ा।
3. रीता फारिया पॉवेल
रीता फारिया पॉवेल एक भारतीय मॉडल, डॉक्टर और ब्यूटी क्वीन हैं। रीता 1966 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली पहली एशियाई महिला बनीं। वह डॉक्टर के रूप में योग्यता प्राप्त करने वाली पहली मिस वर्ल्ड विजेता भी बनीं।
4. आरती गुप्ता साहा
आरती गुप्ता साहा का जन्म 24 सितंबर 1940 को कलकत्ता पश्चिम बंगाल में हुआ। उन्होंने चार साल की उम्र से ही तैराकी शुरु की। आरती साहा वर्ष 1959 में इंग्लिश चैनल में तैरने वाली पहली भारतीय और एशियाई महिला बनीं। वह 1960 में पद्म श्री से सम्मानित होने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी बनीं।
5.सरला ठकराल
सरला ठकराल को महज 21 साल की उम्र में विमान उड़ाने का लाइसेंस मिला था। वह विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, उन्होंने एक विमान उड़ाने के एक हजार घंटे पूरे किए और 'ए' लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली महिला पायलट बनीं। उन्होंने एयरमेल पायलट का लाइसेंस पाने वाली पहली भारतीय का खिताब भी हासिल किया।
6. न्यायमूर्ति अन्ना चांडी
न्यायमूर्ति अन्ना चांडी 1937 में जिला अदालत में नियुक्त होने पर पहली महिला भारतीय न्यायाधीश बनीं। जब उन्हें 1959 में एक उच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया, तो वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की विशिष्ट उपाधि धारण करने वाली दुनिया की दूसरी महिला बनीं।