भारत में घुमने वाले राज्यों में उत्तराखंड सबसे लोकप्रिय राज्य माना जाता है। यह राज्य पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था लेकिन इसकी संस्कृती, भाषा और इसके भौगोलिक क्षेत्र की वजह से एक अलग राज्य बना था। उत्तराखंड को राज्य के तौर पर दरजा 9 नवंबर 2000 में मिला था। उत्तराखंड के निवासियों में देश भक्ति की भावना अधिक देखने को मिलती है। इस क्षेत्र से भी कई युवा हैं जो देश की सुरक्षा के लिए आर्मी ज्वाइन करते हैं। ये प्रतिक है देश प्रेम का और ये प्रेम हमेशा से ही है। उसी तरह से कई स्वतंत्रता सेनानी है जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया है। भारत इस वर्ष अपना 76 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और स्वतंत्रता में अपना योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना सभी के लिए अतिआवश्यक है। भारत में कई ऐसे सेनानी है जिनका नाम भारत के इतिहास के पन्नों में कहीं खो सा गया। जिसे थोड़ खंगालने की जरूरत है और आप देख पाएंगे की इस भूमि पर कितने शूरवीरों ने जन्म लिया है। जिनका नाम आप लोगों ने ज्यादा नहीं सुना होगा। भारत में करीब 28 राज्य हैं जिसमें से एक राज्य उत्तराखंड है जिसके स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
कालू सिंह महारा
कालू सिंह महारा भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका जन्म 1831 में हुआ था। यह मूल रूप से उत्तराखंड कुमाऊ रीजन से थें। कालू सिंह महारा ने अपने क्षेत्र के लोगों को ब्रिटिश के खिलाफ एकत्रित करने का कार्य किया था। वह उत्तराखंड के पहले स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने 1857 की क्रांति में अपना योगदान दिया था। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिवीर संगठन की स्थापना की थी ताकि वह ब्रिटिश के खिलाफ आंदोलन कर सकें।
जवाला दत्त जोशी
जवाला दत्त जोशी का जन्म 20 अप्रैल 1856 में हुआ था। ये पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस को कुमाऊन रिजन में शुरू किया था। वह एक वकील और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
कैप्टन नारायण सिंह नेगी
कैप्टन नारायण सिंह नेगी उत्तराखंड के मूल निवासी और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी सहयोगीयों में से एक थें। उनकी मुलाकात सुभाष चंद्र बोस से 1943 में हुई थी और इसके बाद वह बोस की आजाद हिंद फौज में शामिल हुए। कुछ समय के बाद नेता जी ने कैप्टन नारायण सिंह नेगी को अपना कमांडर बना लिया था।
गोविंद बल्लभ पंत
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 में हुआ था। गोविंद बल्लभ पंत भारत की स्वतंत्रता में एक अहम भूमिक निभाई है उन्होंने महात्मा गांधी, नेहरू और पटेल के साथ कंधे से कंधा मिला कर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था। आजादी के बाद वह उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने थे।
विक्टर मोहन जोशी
विक्टर मोहन जोशी एक आंदोलनकारी और समाजसेवी थे। इनका जन्म 1 जनवरी 1896 में हुआ था। उन्होंने भारत के असहयोग आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। वह गांधी के विचारों से बहुत अधिक प्रभावी थे। वह लेखन में भी अच्छे थे। 1916 में उन्होंने कुमाऊं परिषद में भी अहम भूमिका निभाई थी।
बद्रीनाथ पांडे
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले बद्रीनाथ पांडे का जन्म 15 फरवरी 1882 में हुआ था। उन्होंने अपना करियर पत्रकारिता में बनाया। 1903 से 1910 में देहरादून में लीडर नामक अखबार में काम किया। भारत की आजादी के बाद वह अल्मोड़ा के संसद के सदस्य के तौर पर चुने गए।