लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को हुआ था। वे एक भारतीय लेखक, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें भारत में पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता था। वह लाल बाल पाल त्रिमूर्ति के तीन सदस्यों में से एक थे।
आज के इस आर्टिकल में हम लाला लाजपत राय की जयंती के अवसर पर उनकी कुछ सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें लेकर आए हैं जो कि हर भारतीय को अवश्य पढ़ने चाहिए। गौरतलब है कि लाला लाजपत राय ने कुल 28 पुस्तकें लिखी थी जो कि सभी अलग-अलग विषयों पर आधारित है। तो चलिए एक-एक जानते हैं उनकी सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों के बारे में...
लाल लाजपत राय की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की सूची
1. इंग्लैंड डेब्ट टू इंडिया
(इंग्लैंड का भारत पर ऋण)
लेखक: लाला लाजपत राय
इस पुस्तक में लाला लाजपत राय ने इंग्लैंड का भारत पर ऋण विषय पर निष्पक्ष दृष्टिकोण रखते हुए भारत में ब्रिटिश शासन के आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण किया है। जिसमें की उन्होंने रेलवे के विकास और उसके आर्थिक प्रभावों का भी विश्लेषण किया है। लाला लाजपत राज की इस पुस्तक में समकालीन अंग्रेजी अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं के व्यापक उद्धरण शामिल हैं जो भारत में ब्रिटिश शासन के आर्थिक प्रभावों की सही तस्वीर को समझने में मदद कर सकते हैं।
2. ओपन लैटर टू द राइट ऑनोरेबल डेविड लॉयड जॉर्ज: प्राइम मिनिस्टर ऑफ ग्रेट ब्रिटेन
(माननीय डेविड लॉयड जॉर्ज के लिए एक खुला पत्र: ग्रेट ब्रिटेन के प्रधान मंत्री)
लेखक: लाला लाजपत राय
यह ओपन लैटर लाला लाजपत राय ने जून 1917 में इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री को लिखा था। उस समय लाला लाजपत राय को भारत से प्रत्यर्पित किया गया था और वे अमेरिका में रह रहे थे। इस लैटर से पता चलता है कि वह भारत से बाहर रहकर कितना दर्द महसूस कर रहे थे। इस लैटर में लाला लाजपत राज ने उस समय के बारे में कई बहुमूल्य ऐतिहासिक जानकारी भी है। यदि कोई व्यक्ति 1917 समय के ऐतिहासिक और आर्थिक तथ्यों को जानने में रुचि हो तो उसके लिए यह पुस्तक एक बहुमूल्य संसाधन है।
3. द मैसेज ऑफ द भगवद गीता
लेखक: लाला लाजपत राय
इस पुस्तक में लाला लाजपत राय ने भगवद्गीता की अपनी व्याख्या का वर्णन किया है। आज के समय में हमें जो भगवद गीता पढ़ाई जा रहा है, उसकी तुलना में उनकी व्याख्या अलग है। इस पुस्तक में लाला लाजपत राय ने कहा है कि शायद पूरी भगवद गीता एक लेखक द्वारा नहीं लिखी गई थी, बल्कि समय के साथ कई लेखकों द्वारा लिखी गई थी।
4. छत्रपति शिवाजी
लेखक: लाला लाजपत राय
यह पुस्तक लाला लाजपत राय द्वारा छत्रपति शिवाजी के जीवन पर लेखकों द्वारा फैलाए गए मिथक को तोड़ने के लिए लिखी गई है कि हिंदू समाज में कभी कोई बहादुर योद्धा पैदा नहीं हुआ था। यदि भारत में हिन्दू धर्म जीवित है तो वह छत्रपति शिवाजी के दयालुता के कारण है।
5. योगिराज श्रीकृष्ण
लेखक: लाला लाजपत राय
यह पुस्तक भगवान श्री कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं पर लाला लाजपत राय द्वारा लिखी गई है। लाला लाजपत राय ने इस पुस्तक में श्री कृष्ण के बारे में मुस्लिम और ब्रिटिश शिक्षकों द्वारा प्रचारित मिथकों का वर्णन किया है।
6. लाला लाजपत राय: द मैन इन हिज वर्ड्स
लेखक: लाला लाजपत राय
प्रकाशन वर्ष: 1907
विषय भारत: राजनीति और सरकार - 1765-1947
प्रकाशक मद्रास : गणेश
भाषा: अंग्रेजी
7. अनहैप्पी इंडिया
लेखक: लाला लाजपत राय
दरअसल, 1927 में एक विदेशी पत्रकार कैथरीन मेयो ने भारत का दौरा किया था। जिसके बाद उन्होंने 'मदर इंडिया' नामक पुस्तक लिखी। जिसमें की उन्होंने भारतीय सभ्यता, संस्कृति और जीवन के बारे में लिखा था। कैथरीन मेयो ने भारत में केवल सरासर अज्ञानता और गंदगी देखी और कुछ भी अच्छा या सभ्य नहीं देखा। इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए भारत की स्वतंत्रता के विरोधी लोगों ने धन दिया था। 'मदर इंडिया' पुस्तक के जवाब में लाला लाजपत राय ने यह पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में लाला लाजपत राय ने मिस मेयो के झूठे प्रचार का करारा जवाब दिया है। लाला लाजपत राय ने इस पुस्तक में भारतीय समाज की तुलना समकालीन अमरीका और ब्रिटेन से की। उन्होंने कहा कि स्थिति भारत से बहुत अलग नहीं है। यह पुस्तक वास्तव में 1928 के भारत और विश्व समाज को समझने में सहायक है।
8. आर्य समाज
(द आर्य समाज: एन अकाउंट ऑफ इट्स ऑरिजन, डॉक्टराइन एंड एक्टिविटी, विद ए बायोग्राफिकल स्केच ऑफ द फाउंडर)
लेखक: लाला लाजपत राय
आर्य समाज पुस्तक उनकी अन्य रचनाओं की तरह ही अच्छी तरह से लिखी गई पुस्तक है। लाला जी ने लन्दन में रहते हुए इस पुस्तक को एक महीने में लिख डाला था।
9. द पॉलिटिकल फ्युचर ऑफ इंडिया
लेखक: लाला लाजपत राय
भाषा: अंग्रेजी
प्रकाशन तिथि: सितंबर 2010
प्रकाशक: बिब्लियोबाजार
कुल पृष्ठ: 280
10. यंग इंडिया: द इंटरप्रिटेशन एंड द हिस्ट्री ऑफ द नेशनलिस्ट मूवमेंट फ्रॉम विद इन
लेखक: लाला लाजपत राय
इस पुस्तक में लाला लाजपत राय ने देश की राजनीतिक स्थिति का वर्णन किया है जैसा कि 1915 में था और 1915 से पहले स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास। यह पुस्तक भारत के विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों के वास्तविक स्वरूप और योगदान को समझने में बहुत सहायक है।
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