Samagra Shiksha scheme: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समग्र शिक्षा योजना के तहत लंबित अनुदान जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। यह स्कूली शिक्षा के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है।
तमिलनाडु और कुछ अन्य राज्यों के लिए समग्र शिक्षा के तहत पहली किस्त जारी नहीं किए जाने की रिपोर्टों की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि इस केंद्र प्रायोजित योजना के लिए समय पर धन जारी करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मोदी को संबोधित एक पत्र में स्टालिन ने कहा कि हर साल चल रहे कार्यक्रमों, शिक्षकों को वेतन भुगतान और शिक्षा की गुणवत्ता और परिणामों में सुधार के उद्देश्य से नई पहलों के लिए परियोजना अनुमोदन बोर्ड (पीएबी) की मंजूरी के अधीन धन जारी किया जाता है।
राज्य के लिए 3,586 करोड़ रुपये का आवंटन
उन्होंने कहा "इसके अनुसार, वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के लिए 3,586 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। इसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा 2,152 करोड़ रुपये (60 प्रतिशत) है।" हालांकि प्रस्ताव अप्रैल 2024 में ही प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन 573 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी करने में देरी हो गई थी। साथ ही केंद्र को पिछले वर्ष के लिए 249 करोड़ रुपये जारी करने बाकी हैं। समग्र शिक्षा योजना के तहत धनराशि रोकने के भारत सरकार के मौजूदा कदम से वंचित पृष्ठभूमि के लाखों बच्चों और शिक्षण बिरादरी की शिक्षा पर सीधा असर पड़ेगा और यह एसएस योजना के घोषित उद्देश्य के खिलाफ है। इस योजना का उद्देश्य है कि 'किसी भी बच्चे को शिक्षा के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिये'।
उन्होंने कहा, हाल ही में, यह देखा गया है कि केंद्र सरकार चल रही एसएस योजना के तहत धन स्वीकृत करने के लिए पीएम श्री स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के पूर्ण कार्यान्वयन को एक शर्त के रूप में जोड़ने का प्रयास कर रही है।" एमओयू में शामिल होने वाले राज्यों को फंड जारी किए गए और यह सर्वविदित है कि तमिलनाडु को एनईपी 2020 के कुछ खास प्रावधानों के बारे में काफी आपत्तियां हैं।
स्टालिन ने कहा पीएम श्री स्कूलों के साथ तालमेल बिठाने के लिए एमओयू में न्यूनतम संशोधन करने के राज्य के अनुरोध को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। जैसा कि आप जानते हैं, तमिलनाडु जैसे प्रगतिशील राज्यों ने स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में कई पथ-प्रदर्शक योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की है और उन्हें लागू किया है। इसके अलावा सामाजिक-आर्थिक स्थितियों, बुनियादी ढांचे, संसाधनों आदि में क्षेत्रीय अंतरों के कारण, यह जरूरी है कि शिक्षा से संबंधित मामलों में बच्चों को प्रभावित करने वाली नीतियों को लागू करने में राज्यों की निष्पक्ष राय हो। उन्होंने कहा, इसे भारत के संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है।