स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाने वाला भारत का राष्ट्रीय त्योहार है। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का पर्व बड़े उत्साह और देशभक्ति के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत में आजादी का अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है।
हमें यह स्वतंत्रता प्राप्त करने में दो सौ वर्ष से भी अधिक का समय लग गया, ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों में हमारी उपलब्धियों की जड़ों को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। भारत की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम की पहली नींव 1857 में रखी गई थी। महान स्वतंत्रता सेनानी ने सबसे पहले अंग्रेजों की नीतियों का बहिष्कार करना शुरू किया। इसके बाद पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया और हर राज्य में अंग्रेजी नीतियों का बहिष्कार शुरू हो गया। ब्रिटिश इस बहिष्कार से पूरी तरह बौखला गए और उन्होंने हिंदुस्तानियों को बंदी बनाना शुरू किया। इसी क्रम में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया।
इसके बाद भारत में कई क्रांतिकारी सामने आए, जिसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्र शेखर आजाद और भगत सिंह का नाम सबसे ज्यादा लिया जाता है। 8 अगस्त 1942 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता बंबई (मुंबई) में मिले। नेताओं ने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए एक नीति अपनाई। गांधी का नारा "करो या मरो" एक राष्ट्रीय नारा बन गया। उस दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। इसके बाद 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजी हुकूमत से पूर्ण रूप से आजाद हो गया। इस वर्ष भरत को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुए 75 वर्ष हो रहे हैं, जिसे हम आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में माना रहे हैं।
14/15 अगस्त की मध्यरात्रि को संसद भवन में भारतीय स्वतंत्रता को आधिकारिक तौर पर भारत की संविधान सभा की पांचवीं बैठक में संविधान हॉल में घोषित किया गया था। यह सत्र 11 बजे संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में और स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी द्वारा वंदे मातरम के पाठ के साथ शुरू हुआ। इसके बाद डॉ प्रसाद ने अपना अध्यक्षीय भाषण दिया, जिसकी शुरुआत इन पंक्तियों के साथ हुई, "हमारे इतिहास के इस महत्वपूर्ण समय में जब कई वर्षों के संघर्ष के बाद हम इस देश के शासन को संभाल रहे हैं। आइए हम उन सभी सेनानियों को विनम्र श्रद्धांजलि दें, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर, भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद करवाया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रसिद्ध ट्रिस्ट विद डेस्टिनी भाषण पढ़ा, जिसे अब तक के सबसे महान भाषणों में से एक माना जाता है। इसके बाद उन्होंने भारत को एक स्वतंत्रता राष्ट्र घोषित किया। मुस्लिम लीग के एक सदस्य चौधरी खलीकुज्जमां ने प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद डॉ एस राधाकृष्णन ने भाषण दिया। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता प्रस्ताव को विधानसभा में पारित कराने की मांग की। इसके बाद डॉ प्रसाद ने प्रस्ताव दिया कि वायसराय को सूचित किया जाना चाहिए कि भारत की संविधान सभा ने भारत के शासन के लिए सत्ता संभाली है और भारत की संविधान सभा ने सिफारिश का समर्थन किया है कि लॉर्ड माउंटबेटन 15 अगस्त 1947 से भारत के गवर्नर-जनरल होंगे।
इसके बाद सत्र का अंतिम चरण था जब मुंबई की शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी हंसा मेहता ने देश की महिलाओं की ओर से राष्ट्र को नया भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने झंडा स्वीकार किया। सुचेता कृपलानी ने तब 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' और 'जन गण मन' के पहले छंद गाकर सत्र का समापन किया। 15 अगस्त 1947 के समारोहों की शुरुआत प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके मंत्रिमंडल के साथ-साथ नवनियुक्त गवर्नर-जनरल लॉर्ड माउंटबेटन के गवर्नमेंट हाउस में शपथ ग्रहण के साथ सुबह 8 बजे हुई। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हरिलाल कानिया ने नए गवर्नर-जनरल को शपथ दिलाई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को शपथ दिलाई गई।
हमारे देश ने पिछले 75 वर्षों के दौरान लगभग सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। इन वर्षों के दौरान लाखों भारतीयों द्वारा किए गए सम्मान के प्रयास ने हमारे देश को दुनिया के शीर्ष विकासशील देशों में से एक बना दिया है। भले ही वर्तमान में हम एक विकसित देश न हों, लेकिन, मुझे यकीन है कि हमें यह श्रेय बहुत जल्द प्राप्त होगा। आज पूरी दुनिया वैश्विक महामारी और आतंकवादियों की अमानवीय हरकतों का सामना कर रही है। हमारा देश भी कई आतंकी हमलों का शिकार बना। लेकिन भारत की एकजुट नीति ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांधा हुआ है। इस अवसर पर हम सबको एक संकल्प लेना चाहिए कि हम एकजुट रहेंगे और पूरी दुनिया में भारत के मान को बनाए रखेंगे।