भारत को स्वतंत्रता हासिल करने में बहुत लंबा समय लगा था। ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए देश काफि समय तक लड़ता रहा। भारत में पहली विद्रोह की क्रांति 1857 में हुई थी। इसी के बाद से लगातार भारत में स्वतंत्रता की लड़ाई चलती रही। भारत के कोनों से कोई न कोई आजादी का आवाज उठती रही। आखिरकार 1947 में भारत को आजादी मिली। 1857 से 1947 तक में भारत के कई हिस्सों में स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत हुई जिसके बारे में आपने पढ़ा और सुना होगा। इन आंदोलनों और विद्रोह के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गवांई है। भारत की इस भूमि पर कई वीरों का जन्म हुआ और आजदी के लिए लड़ते हुए उन्होंने इसी भूमि पर अपना दम तोड़ा। आज इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आइए इस अमृत महोत्सव पर जाने भारत के उन प्रतिष्ठित स्थलों के बारे में जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख साक्षी हैं।
लाल किला
भारत की इस स्मारक से स्वतंत्रता की पाने का बाद उसी शाम को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाला नेहरू ने प्रसिद्ध भाषण दिया था। भारतीय स्मारक लाल किना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ सबसे महत्वपूर्ण स्थल है। इस स्थल ने जितनी विजय देखी है उतना ही रक्तपात भी देखा है। लाल किले को मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था। लाल किला भारत के लचीलेपन और धैर्य का प्रतीक है। 1857 में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय को अंग्रेजों ने हरा दिया था। ब्रिटिश राज ने किले को अपने अधिन किया और इसे अपने सेना मुख्यालय के तौर पर इस्तेमाल किया। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के बाद से ही भारत के सभी प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर झंड़ा फहराते है। ये एक परंपरा है।
सेलुलर जेल
काला पानी के नाम से जाने जानी वाली सेलुलर जेल हमे सभी को सबसे कठिन और अमानवीय परिस्थितियों की याद दिलाती है जो स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा झेली गई है। सेलुलर जेल अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह पर स्थित है। अंग्रेज इस जेल का प्रयोग भारतीय राजनीतिक बंदियों और युद्धबंदियों को सजा देने के लिए किया करते थे। 1857 के विद्रोह जिसे स्वतंत्रता के पहले युद्ध के रूप में जाना जाता है को दबाने के लिए कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को यहां बंद किया गया था। सेलुलर जेल का निर्माण 1896 में शुरू हुआ था और 1906 में ये जेल बन कर तैयर हो गई थी। यह जेल जेरेमी बेंथम के पैनोप्टीकॉन के विचार से प्रेरित थी। बेंथम के विचार इस अवधारणा पर आधारित थे कि एक गार्ड को केंद्रीय के एक स्थान पर खड़े होकर सभी कैदियों पर नजर रखने में सक्षम होना चाहिए। इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में ज्ञात-अज्ञात सभी तथ्यों को संरक्षित करने वाला एक संग्रहालय है। जिसे आप जाकर देख सकते हैं।
झांसी का किला
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित यह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम जो कि 1857 में हुआ था के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। इसे ओरछा के राजा बीर सिंह देव ने 1613 ई. में बनवाया था। यह चंदेल के राजाओं के लिए सबसे मजबूत स्थानों में से एक स्थान था। 1857 का विद्रोह के दौरान झांसी विद्रोह के प्रमुख आकर्षणों में से एक बना। झांसी की रानी जिसे वीरांगना भी कहा जाता है, उन्होंने 1857 में अंग्रजों के खिलाफ अपने सैनिकों के साथ निर्भयता से लड़ाई लड़ी और किले की रक्षा के लिए साहस दिखाया और इसी युद्ध के दौरान उनकी मृत्यु इसी भूमि पर हुई।
साबरमती गांधी आश्रम
महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति थे। भारत की स्वतंत्रता में उनका बहुत बड़ा योगदान है। स्वतंत्रता संग्राम के समय के दौरान उन्होंने शाही शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत की लेकिन इन सभी आंदोलनों की शुरूआत अहिंसक अंदाज में की। गांधी जीी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से एक युवा वकील के रूप में भारत लौटने। भारत लौटन पर उन्होंने शांति के सिद्धांत पर गुजरात के अहमदाबाद में अपना आश्रम स्थापित किया। साबरमती आश्रम को एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता मील का पत्थर माना जाता है क्योंकि इस आश्रम ने 1930 में दांडी मार्च जैसे आंदोलनों को देखा। ये माना जाता है कि इस आश्रम की स्थापना सत्य और शांति के आदर्श मानते हुए की और इसके लिए इस जगह को विशेष रूप से चुना गया। ये आश्रम जेल और श्मशान भूमि के बीच में स्थित है।
लखनऊ रेजीडेंसी
लखनऊ रेजीडेंसी 1857 में हुए पहले स्वतंत्रता युद्ध का स्थल है। लखनऊ की घेराबंदी को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की प्रमुख घटनाओं में से एक माना जाता है। लखनऊ रेजीडेंसी स्मारक लगभग 1800 के दशक में बनाई गई थी। इस विद्रोह के दौरन इस स्मारक ने कई रक्तपातों को देखा है। पहले ये ब्रिटिश रेजिडेंट जनरल का निवास स्थान हुआ करता था। जो लखनउ के नवाब के दरबार में एक ब्रिटिश प्रतिनिधि था। रेजीडेंसी रक्षकों के लिए एक रक्षा रेखा थी लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा लगातार हमलों के बाद इसे खाली कर दिया गया था। आप जब भी कभी इस स्थान पर जाएंगे तो, आप इन खंडहरों पर आज भी गोलियों के निशान देख पाएंगे।