राजस्थान मत्स्य यूनिवर्सिटी स्नातक प्रथम वर्ष रिजल्ट को लेकर सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जो विद्यार्थियों के लिए मुसीबत बन गया है। दरअसल, सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि यूनिवर्सिटी स्नातक प्रथम वर्ष रिजल्ट के लिए कक्षा 10वीं के 40 प्रतिशत और कक्षा 12वीं के 60 प्रतिशत अंकों का वेटेज लेकर, अपना रिजल्ट जारी करें। लेकिन अब दिक्कत यह है कि मत्स्य यूनिवर्सिटी के पास छात्रों का कक्षा 12वीं का तो डाटा है, लेकिन कक्षा 10वीं का डाटा नहीं है। ऐसे में स्तिथि को देखते हुए यूनिवर्सिटी नोटिस जारी किया है कि छात्रों को स्वयं अपने अंक अपलोड करने होंगे और साथ में अपनी मार्कशीट भी अपलोड करनी होगी, ताकि मत्स्य विश्वविद्यालय स्नातक प्रथम वर्ष का परिणाम तैयारी कर सके।
बता दें कि जब छात्रों को अपने अंक और मार्कशीट अपलोड करनी होगी तो इस प्रक्रिया में छात्रों की जेब से कम से कम 60 से 70 रुपए अलग से लगेंगे। यूनिवर्सिटी में करीब 30 हजार से अधिक विद्यार्थी स्नातक प्रथम वर्ष परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। ऐसे में यदि सभी छात्र विश्वविद्यालय के इस आदेश का पालन करते हैं तो कम से कम 21 लाख रुपए छात्रों की जेब से खर्च होगा।
यह आदेश उस समय आया है जब पूरा देश कोरोना की मार झेल रहा है, ऊपर से छात्रों पर आर्थिक मार, दोहरी मार के रूप में साबित होगा। छात्रों को अपने एक दस्तावेज की स्केनिंग के लिए कम से कम 20 रुपए, 20 रुपए इंटरनेट चार्ज और 20 रुपए ईमित्र की फीस होगी तो करीब 60 रुपए एक छात्र को देना होगा।
आपको बता दें कि यूनिवर्सिटी ने पहले ही प्रथम वर्ष परीक्षा के लिए छात्रों से पूरी फीस ले ली है। इतना ही नहीं ऑफलाइन परीक्षा नहीं होने के कारण यूनिवर्सिटी का प्रश्न पत्र बनवाने का खर्च, सेंटर बनाने का खर्च और कॉपियों की जांच का खर्च पूरी तरह बच गया है। लेकिन यह आर्थिक मार केवल छात्रों को झेलनी होगी।
इससे बेहतर होता की यूनिवर्सिटी छात्रों के लिए अलग-अलग छोटे-छोटे सेंटर तय करती, जहां छात्र अपनी सुविधा अनुसार, अपने अंक अपलोड करा लेते या फिर ऐसा कोई तरीका अपनाना चाहिए था कि जिस छात्र का जितना खर्च आया है, वह उसकी रसीद देकर विश्वविद्यालय से अपने पैसे ले लेता, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।
मत्स्य यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, प्रोफेसर जे पी यादव ने अपना पलड़ा झाड़ते हुए कहा कि इसमें हम कुछ नहीं कर सकते, यह सरकार का निर्देश है। यदि सरकार सिर्फ 12वीं कक्षा के अंक अपलोड करने को कहती तो इसमें हमें और छात्रों को कोई दिक्कत नहीं हाेती, क्योंकि उनका यह डाटा हमारे पास है। कोरोनाकाल में छात्रों को कॉलेज भी नहीं बुला सकते। हमें दुःख है कि छात्रों पर इसका आर्थिक बोझ पड़ेगा, इसपर सारकार को अंतिम फैसला लेना होगा।