हिमाचल प्रदेश अपने पहाड़ों के लिए और बर्फ से भरी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश को वीर भूमि के नाम से भी जाना जाता है। भारत की आर्मी में हिमाचल प्रदेश के कई युवा भाग लेते हैं। अपने देश की सुरक्षा करने की इच्छा ही देश भक्ति की सच्ची पहचान हैं। ये आज से नहीं है हिमाचल से कई स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया है।
हिमाचल को पूरे राज्य का दरजा 25 जनवरी 1971 में मिला था। उससे पहले ये केंद्र शासित प्रेदश हुआ करता था। हिमाचल प्रदेश भारत के सबसे ज्यादा क्षेत्र वाले राज्यों में 18वें स्थान पर है और अगर इस राज्य की आबादी की बात करें तो सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में ये 21वें स्थान पर है। आइए जाने भारत की स्वतंत्रता में हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में संक्षिप्त में।
1). बाबा कांशी राम
बाबा कांशी राम को नेहरू जी द्वारा 'पहड़ी गांधी' के नाम से संबोधित किया था। तभी से उन्हें पहड़ी गांधी के नाम से भी जाना गया। बाबा कांशी राम का जन्म 11 जुलाई 1882 में हुआ था। वह स्वतंत्रता कार्यकर्ता के साथ साथ एक कवि भी थें। 1931 में भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को जब फांसी की सजा मिली तो इसका बहुत अधिक प्रभाव बाबा कांशी राम पर हुआ और उसी समय उन्होंने ये प्रण लिया की जब तक भारत आजाद नहीं हो जाता तब तक वह काले कपड़े ही पहना करेंगे।
2). यशवंत सिंह परमार
यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्ट 1906 में हुआ था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। वह नेशनल कांग्रेस के नेता थे और कांग्रेस पार्टी के साथ कई स्वतत्रता आंदोलन का हिस्सा रह चुकें है। इसी के साथ वह वह हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भी थे।
3). सत्या देव
सत्या देव का जन्म 19 नवंबर 1922 में हुआ था। सत्या देव ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया था। वह 20 साल के थे जब 1942 में उन्होंने अपनी आखिरी साल की डिग्री करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। इसी के साथ उन्होंने धर्मपुर और कसौली के साथ अन्य कई शहरों में क्रांति की शुरूआत की। बिलासपुर और सुकेत में प्रजा मंडल की गतिविधि में शामिल होने की वजह से उन्हें दो बार गिरफ्तार भी किया गया है।
4). पदम देव
पदम देव हिमाचल के स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया था। पदम देव का जन्म 26 जनवरी 1901 में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद ही वह इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुए। उन्हें कविराज के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन मे हिस्सा लिया था। इसी के साथ उन्होंने सुकेत सत्याग्रह की शुरूआत की जो कि एक अहिंसक आंदोलन था जो राज्य के राजा के खिलाफ चलाया गया था।
5). शिवा नंद रामौली
शिवा नंद रामौली का जन्म 16 अक्टूबर 1894 में हुआ था। वह एक किसान, समाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थे। इन्होंने भी सुकेत स्तयाग्रह में हिस्सा लिया था। प्रजा मंडल के सचिव के पद का कार्यभार भी संभाला है। इन्होंने भी भारत कि स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया था।