Quit India Movement: गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत का फैसला बॉम्बे सत्र के दौरान किया गया था और इस के दौरान गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था। इस आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त 1942 में हुई थी। पूरे भारत ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया था और एकजुट होकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए कहा जा रहा था। भारत छोड़ो आंदोलन को भारत का सबसे बड़ा अहिंसक आंदोलन माना जाता था जिसे देश की आजादी के लिए शुरू किया गया था।
गांधी जी के भाषण के बाद तुरंत बिना इंतजार और ट्रायल के ब्रिटिश सरकार ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के सभी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था ताकि आंदोलन को ज्यादा हवा न लग सके। इस आंदोलन के दौरान का सारा समय गांधी जी और उनके साथ के नेताओं ने जेल में ही बिताया था लेकिन फिर भी आंदोलन ने गति पकड़ी और पूरे भारत में कोने कोने से लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया और आंदोलन जोर-शोर से चला। आइए जाने भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी अन्य बातें।
भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े 10 तथ्य
1). पूरे भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था आंदोलन के दौरान हर जगह जुलूस निकाले जा रहे थे। हड़ताल की जा रही थी। इन हड़तालों को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने देश में आतंक का माहौल बना दिया था। लेकिन लोगों ने आंदोलन तब भी नहीं रोका।
2). आंदोलन को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने फायरिंग, लाठीचार्ज और गिरफ्तारी करनी शुरू की। इनके द्वारा की फायरिंग और लाठी चार्ज में कई लोगों की जान गई।
3). ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी को लेकर समाचार पत्रों पर रोक लगा दी थी।
4). आंदोलन के दौरान प्रदर्शन ने कहीं-कहीं हिंसा का रूप भी लिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी भवनों और रेलवे लाइनों को को हमला कर क्षतिग्रस्त किया। जिसकी वजह से डाक सेवा और टेलीग्राफ सेवा बाधित हुई।
5). 1942 के अंत तक में आंदोलन से जुड़े करीब 60,000 आंदोलनकारियों को जेल में डाला गया था। कई लोगों की जान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में चली गई थी।
6). ब्रिटिश सरकार की बदहाली के अलावा बंगाल खाद्य संकट से जूझ रहा था। जिसकी वजह से लगभग 30 लाख लोगों की जान गई।
7). 1944 में गांधी जी जेल से रिहा हुए और 21 दिन के उपवास पर बैठ गए।
8). द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ब्रिटेन की स्थिति ख़राब हो गई जिससे उनका भारत पर शासन करना कठिन हो गया।
9). द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की स्थिति में आया बदलाव भारत के लिए शुभकामनाएं।
10). द्वितीय विश्व युद्ध की पूरी अवधि के दौरान सोया नारायण, एस.एस. जोशी, अरुणा असफ़ अली और राम मनोहर लामोली जैसे अन्य सेनानियों का नेतृत्व आंदोलन और क्रांतिकारी स्टॉकहोम में हुआ।
इस प्रकार भारत की आजादी से पहले आजादी की आखिरी लड़ाई लड़ी गई थी, जिसे अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। जिस पार्क से इस क्रांति की शुरुआत हुई थी, उसका नाम अगस्त क्रांति पार्क रखा गया। 8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ यह आंदोलन पूरे दो साल तक चला और 1944 में हिंसक रूप धारण करने के कारण इसे ख़त्म करने का निर्णय लिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान न केवल पुरुषों ने बल्कि उनके साथ महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इस प्रकार आंदोलन में महिलाओं की भूमिका लोगों के सामने आई। इस साल भारत अगस्त क्रांति की 81वीं जयंती मनाई जा रही है।