भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीरंगा भारत का राष्ट्रीय गौरव का प्रतिक है। हमे मौलिक अधिकार के साथ कुछ मौलिक कर्तव्य भी प्राप्त होते हैं जिसमें एक कर्तव्य भारतीय ध्वज का सम्मान करना और उसकी गरीमा को बनाए रखना है। भारत के हर नागरिक के मन में अपने राष्ट्रीय ध्वज को लेके सम्मान की भावना और निष्ठा रहती है। यही वजह है की गणतंत्र जिवस और स्वतंत्रता दिवस पर देश का हर नागरिक राष्ट्रीय ध्वज को अपने घरों, स्कूल और दफ्तरों में फहराना चाहता है। खैर इस बात और भावना को देखते हुए 23 दिसंबर 2004 में सर्वोच्चय न्यायालय ने इस बात को माना की भारत का हर व्यक्ति 26 जनवरी और 15 अगस्त को झंड़ फहराना चाहता है। इसे ध्यान में रखते हुए संविधान अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान के साथ फहराने के अधिकार नागरिका मौलिक अधिकार है लेकिन ये भी माना गया है कि यह मौलिक अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं है यह केवल एक योग्य अधिकार है। इस अनुच्छेद 19 (2) के तहत इस अधिकार को कुछ सीमाओं में प्रतिबंध किया गया है। ताकि किसी भी प्रकार से राष्ट्रीय गरीमा का अपमान न हो सके। इस लिए नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों में राष्ट्रीय ध्वज की गरीमा और सम्मान को लेकर एक कर्तव्य बनाया गया है जिसका पालन करना सभी नागरिकों का धर्म है। भारतीय ध्वज संहिता का निर्माण किया ही इसी लिए गया है ताकि उसके सम्मान और गरीमा को बनाये रखा जा सकें और सभी को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के नियमों के बारे में पता रहे और उनका पालन पूर्ण रूप से किया जा सकें।
भारतीय ध्वज संहिता- The Flag Code of India
भारतीय ध्वज संहिता विभिन्न तौर पर भारतीय ध्वज के उपयोग को नियंत्रित करती है। इस संहिता को 1968 में बनाया गया था। जिस बाद समय के साथ अपडेट किया गया। पहली बार इसमें बदलाव 2002 में किए गए, जिसमें ध्वज संहिता को प्रतिको और नामों के प्रवधान अधिनियम 1950 और राष्ट्रीय सम्मान के अपमान को रोकथाम अधिनियम 2005 के साथ मिलाया गया।
भारतीय ध्वज संहिता (Indian Flag Code) को तीन भागों में बाटां गया जिसकी जानाकरी कुछ इस प्रकार है। आइए जाने-
ध्वज संहिता भाग 1
भारत की ध्वज संहिता भाग 1 में राष्ट्रीय ध्वज के मानकों का पूरा विवरण है। जिसके अनुसार ध्वज के तीनों रंगों के बैंडों का आकार आयाताकार होगा और समान माप का होगा। तीरंगे में सबसे ऊपर केसरी रंग (केसरी रंग बाहदुरी और शक्ति का प्रतीक है) बीच में सफेद रंग (शांति और सत्य का प्रतीक) और नीचे हरा रंग (उर्वरता, वृद्धि और भूमि की शुभता का प्रतिक)। सफेद रंग के बैंड के बीचो बीच गहरे नीले रंग का ध्रम चक्र (अशोक चक्र)। झेंडे की उंचाई का अनुपात 3:2 है। मुख्य तौर पर भारतीय ध्वज खादी, रेशम और कपास से के बने होते थे लेकिन 30 दिसंबर 2021 में संशोधन के बाग पॉलिस्टर के मशीन से बने झंडे की भी अनुमति दी गई थी।
झंडे की संख्या, आकार मिलीमीटर में
झंडे की संख्या | आकार मिलीमीटर में |
1 | 6300 × 4200 |
2 | 3600 × 2400 |
3 | 2700 × 1800 |
4 | 1800 × 1200 |
5 | 1350 × 900 |
6 | 900 × 600 |
7 | 450 × 300 |
8 | 225 × 150 |
9 | 150 × 100 |
भारतीय ध्वज संहिता भाग 2
- ध्वज संहित के इस भाग में नागरिकों द्वारा ध्वज के रख रखाव और डिस्पोजल के बारे में विस्तार में बताया गया है।
- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को हमेंशा सम्मान की स्थिति में होना चाहिए। किसी भी सेंटिंग में झंडे को स्पष्ट रूप से रखा जाना चाहिए। ध्वज की गरीमा को बनाए रखना सभी का कर्तव्य है।
- झंडे को हमेशा तेज गति से फहराना चाहिए और इसे हमेशा धीमी गति में धीरे-धीरे नीचे लाना चाहिए।
- तिरंगे का केसरी रंग हमेशा ऊपर की तरफ होना चाहिए उल्टा तिरंगा दिखाना अपराधा है। इसी के साथ क्षतिग्रस्त तिरंगा या अस्त-व्यसत स्थिति में झंडे का प्रर्दश भी अपराध है।
- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज सजावट की वस्तु नहीं है। इसका प्रयोग किसी भी प्रकार से सजावज के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
- झंडा कभी भी जमीन पर नहीं लगना चाहिए। इसे भी अपमान के तौर पर देखा जाता है।
- भारतीय ध्वज का उपयोग विज्ञापन, गारमेंट और रैप के तौर पर नहीं किया जा सकता है। इसी के साथ फाड़ा और अपमानित नहीं किया जा सकता है।
- झंडे का निपटान समग्र रूप से नीजी तौर पर जलाकर किया जाना चाहिए।
- तिरंगे को किसी भी प्रकार से ड्रॉ और डिफेस करना भी तिरंगे का अपमान है।
- राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम 1917 जिसमें 2003 में संशोधन किया गया था। ये अधिनियम ध्वज के अनादर पर मिलने वाली सजा को निर्धारित करता है। इस पहले अपराध पर 3 सान की सजा और जुर्माना उसके बाद के अपरधों के लिए कम से कम 1 साल की सजा।
भारतीय ध्वज संहिता भाग 3
- भारतीय ध्वज संहिता भाग 3 में आर्मी और डिफेंस वाले द्वारा भंडारण और निपटारन के बारे में बताया गया है।
- सशस्त्र बलों के कर्मियों या राज्य केंद्रित पैरा मिलिट्री के सदस्यों के अंतिम संस्कार की स्थिति में राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग ताबूत को ढ़कने के लिए किया जाता है। व्यक्ति को दफनाने या दाह संस्कार से पहले ध्वज को हटा दिया जाता है।
- भारतीय ध्वज को फहराते, उतारते या परेड के समय पर सभी को ध्वज के सम्मान करना चाहिए और ध्यान में खड़ा होना चाहिए। वर्दी वाले व्यक्तियों को ध्यान में खड़े होना चाहिए और ध्वज के सम्मान में सलामी देनी चाहिए।
- कभी भी जब अन्य देशों के झंडों के साथ भारत के झंडे के प्रदर्शित किया जाए तो भारतीय ध्वज को पंक्ति के दाईं और या सर्कल के शुरूआत में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
- भारतीय ध्वज को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, उपराज्यपाल के आधिकारिक आवासों और सार्वजनिक भवनों जैसे उच्च न्यायालयों, सचिवालयों, आयुक्तों के कार्यालयों, कलेक्ट्रेटों, जेलों और जिला बोर्डों, नगर पालिकाओं और जिला परिषदों के कार्यालयों/सार्वजनिक क्षेत्र विभागों में फहराया जाना चाहिए।
- अपनी कारों में राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति केवल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपालों और उपराज्यपालों, प्रधान मंत्री और कैबिनेट मंत्रियों, विदेश में भारतीय मिशनों/केंद्रों के प्रमुखों, भारत के मुख्य न्यायाधीश और कुछ अन्य उल्लिखित व्यक्तियों को ही प्राप्त होती है।
2022 में आया बदलाव
20 जुलाई 2022 में एक आदेश के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय ध्वजों को पूर्ण सम्मान और गरीमा के साथ नागरिकों के घरों में खुले दिन-रात फहराने की अनुमति दी गई है। इससे पहले झंडे को सूर्य उदय के बाद और सूर्य अस्त तक ही फहराया जा सकता था।
आधा झुका हुआ राष्ट्रीय ध्वज (Half Mast National Flag)
राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने से पहले ध्वज को शीर्ष तक उठाया जाता है। हर वक्त अन्य चिंताओं आदि पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्र के गौरव और उसके सम्मान को स्थापति करने के लिए है। कुछ मुख्य परिस्थितयों में शोक के रूप में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है जो कुछ इस प्रकार है।
भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की मृत्यु की स्थिति में शोक जताने के लिए पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है।
राज्यपाल, उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री की मृत्यु की स्थिति में राज्य के या केंद्र प्रशासित प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है।
विदेश भारतीय मिशनों के मामले में हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नमेंट ऑफ द स्टेट की मृत्यु की स्थिति में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है।