डिजिटल इंडिया कार्यक्रम क्या है, इसके उद्देश्यों और योजनाओं के बारे में जाने

भारत सरकार इस समय में डिजिटलाइजेशन को अधिक बढ़ावा दे रही है, ताकि आने वाली परीयोजनाओं और योजनाओं से भारत के हर नागिरक को लाभान्वित किया जा सकें। साथ भी देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारति अर्थव्यवस्था में बदला जा सके। इन बातों पर मुख्य रूप से विजार करते हुए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम को तीन प्रमुख विजन क्षेत्रों पर केंद्रित किया गया है। जिसमें मुख्य उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढांचा, मांग पर शासन और सेवा और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण शामिल है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से एक लक्ष्य सुनिश्चिक किया गया है जिसमें प्रत्येक नागरिक के जीवन में प्रोद्योगिकियों के माध्यम से सुधार करना है और भारत में डिजिटल अर्थव्यस्था का विस्तार करना है। साथ ही रोजगार और निवेश के अवसरों को पैदा कर डिजिटल तकनीकी क्षमताओं का निर्माण करना है और एक बेहतर कल की ओर आगे बढ़ाना है। आइए आपको आज इस लेख के माध्यम से डिजिटल इंडिया कार्यक्र के बारे में विस्तार से बताएं।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम क्या है, इसके उद्देश्यों और योजनाओं के बारे में जाने

डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन का इतिहास और उद्देश्य

डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जिसकी स्थापना भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रोद्योगिकि मंत्रालय द्वारा की गई है। डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन कंपनी की स्थापना भारत के कंपनी अधिनियन 2013 की धारा 8 के तहत की गई थी। शुरुआत में इस कंपनी का नाम मिडिया लैब एशिया था जिसे 8 सितंबर को 2017 में बदला गया और इसका नाम डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन रखा गया। आपको बता दें कि मिडिया लैब एशिया कंपनी की स्थापना 2001 में की गई थी, जिसे अब हम सभी डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के नाम से जानते हैं।

इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा चलाए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विजन, लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त कर साकार बनना है इसके साथ उसका नेतृत्व करना है। इस योजना के माध्यम से डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देना है। इस योजना में मुख्य रूप से केंद्र, राज्य मंत्रालयों और विभागों को रणनीतिक सहायता प्रदान करने के लिए ई-गवर्नेंस परियोजना की क्षमता का निर्माण करना है और उसे इसके माध्यम से आगे बढ़ाना है साथ ही सार्वजनिक और नीजी भागीदारी, सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचार और प्रोद्योगिकी को भी बढ़ावा देना है। आपको बता दें की डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (डीआईसी) स्वायत्ता और व्यवहार्यता को सुनिश्चित करने के लिए कई उद्योगों के साथ साझेदारी करने का प्रायस कर रहा है,ताकि सेवा वितरण और राजस्व आधारित विकास मॉडल को विकसित किया जा सकें।

इस कार्य को पूरा करने के लिए डीआईसी सरकार और बाजार दोनों से ही प्रतिभा और संसाधनों को आकर्षित करेगा और उसके विवेकपूर्ण मिश्रण से के माध्यम से ये भी सुनिश्चित करेगा कि इस योजना से संबंधित सभी परियोजनाओं के सरकार द्वारा संसाधनों के व्यापक स्पेक्ट्रम को प्राप्त किया जाए, ताकि सफल डिजाइन का निर्माण किया जा सके। आइए आपको डीआईसी की जिम्मेदारियों के बारे में विस्तार से बताएं।

डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन की व्यापक जिम्मेदारियां

• भारत सरकार को नेतृत्व के साथ समर्थन प्रदान करने में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY)द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। जिसके माध्यम से डिजिटल इंडिया और अन्य सभी संबंधित नीतियों के कार्यान्वयन पहलों को चलाया जाएगा और साथ ही डिजिटल भुगतान और लेनदेन को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

• इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समर्थन करने के लिए आईसीटी डोमेन में चल रहे विभिन्न कार्यक्रमों और योनजनाओं और डिजिटल इंडिया विजन के हिस्से के रूप में आपनी पहलों को आगे बढ़ाना होगा।

• उत्तरदायित्व, दक्षता, प्रभावकारिता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए ई-गवर्नेंस रणनीतियों को तैयार करने में केंद्र और राज्यों दोनों के मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों का समर्थन करना आवश्यक है।

• डिजिटल पहलों के माध्यम से नागरिकों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना भी एक अहम जिम्मेदारी है जिसमें नवाचार (इनोवेशन)को बढ़ावा और उसके लिए मॉडल का विकास करने के साथ सोशल मिडिया सहित अन्य प्लेटफॉर्मों के माध्यम से सराकार की भागीदारी और नागिरक जुड़ाव को बढ़ावा देना है।

• केंद्र और राज्य सरकार के अधीन आईसीटी डोमेन, मंत्रालयों को विभागों में साइबर सुरक्षा के लिए में हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क, साइबर सुरक्षा कानूनों, मानकों, गुणवत्ता और परीक्षण आदि के लिए विशेष तकनीकी से कुशल जनशक्ति के साथ-साथ सरकार के भीतर दोनों बाजारों से स्रोत को उपलब्ध कराना है।

• डीआईसी कि अन्य जिम्मेदारियों में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस अकादमी की स्थापना भी शामिल है। जिसके माध्यम से मानव पूंजी निर्माण को बढ़ावा दिया जा सके और केंद्र और राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण पैकेज/ मॉड्यूल के मूल्यांकल और विकास के साथ सरकार और इसकी एजेंसियों की क्षमता निर्माण के लिए संस्थागत तंत्र की स्थापना की जा सकें। ताकि आईसीटी डोमेन की परियोजनाओं के सफल कार्यन्वयन के लिए समय और लागत में आवश्यक कटौती की जा सके।

• 16 मई 2017 को कंपनी बोर्ड की एक बैठक में डिजिटल इंडिया के विजन के अनुरूप लक्ष्य और उद्देश्यों को एक बार फिस तैयार करने को लेकर मंजूरी दी गई है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम क्या है?

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके माध्यम से भारत को ज्ञान भविष्य के रूप में तैयार किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रोद्योगिकि को केंद्र बनाने पर सबसे अधिक फोकस किया जा रहा है। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में कोई एक विभाग नहीं बल्कि राज्यों और केंद्र साशित प्रदेशों के कई अन्य विभाग और केंद्रीय मंत्रालाय शामिल है जो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहें है। इस कार्यक्रम के माध्यम से बड़ी संख्या में विचारों और सुझावों को एक व्यापक दृष्टि में बुना जा रहा है और इसमें प्राप्त किए हर सुझाव और विचार को एक बड़े लक्ष्य के रूप में देखा जा रहा है।

आपको बता दें कि इस कार्यक्रम को डीआईटीवाई द्वारा समन्वित और भारतीय सरकार द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। जो एक साथ इक योजना को सम्रग रूप से परिवर्तनकारी बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस योजना के माध्यम से कई अन्य योजनाओं को एक साथ लाया जाता है और उनका पुनर्गठन कर उन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, ताकि उन्हें बाद में एक समकालिक तरीके से लागू किया जा सके।

की पॉइंट्स

डिजिटल इंडिया योजना के माध्यम से सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी कम हुई है और इस योजना के माध्यम से भ्रष्टाचार को तरीकों के माध्यम से लाभार्थीयों को पर्याप्त सेवाएं प्रदान की जाती है, जो इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत भी पूर्व-प्रतिष्टित राष्ट्रों के रूप में उभर रहा है।

सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत कई स्कीमों की शुरुआत की गई जिसमें एक बीपीओ प्रोमोशन स्कीम है और एक नार्थ ईस्ट बीपीओ प्रमोशन स्कीम की शुरुआत की। इन दोनों स्कीम का उद्देश्य सूचना प्रद्योगिकि और सूचना प्रोद्योगिकि सक्षम सेवाओं उद्योगों में रोजगार के अवसर पैदा करना था। साथ ही इन स्कीम के माध्यम से छोटों शहरों और कस्बों में बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग और आईटीईएस ऑपरेश को प्रति सीट 1 लाख रुपये तक की वित्तीय सहयाता प्रदान करना है।

आईबीपीएस और एनईबीपीएस के तहत, 246 बीपीओ/आईटीईएस इकाइयों ने 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए परिचालन शुरू कर दिया है और 51,584 से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान कर रही हैं।

वर्तमान में एमआईटीवाई द्वारा डीआईपी के तहत शुरू की गई पहल

आधार: आधार कार्ड भारत के प्रत्येक नागरिक को 12 अंकों की बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय आधारित पहचान प्रदान करता है जो अद्वितीय, आजीवन, ऑनलाइन और प्रामाणिक है। 26 मार्च 2016 में आधार अधिनियम 2016 अधिसूचित किया गया था और करीब 135.5 करोड़ निवासियों को नामांकन किया गया था।

डिजीलॉकर: डिजिटल रिपॉजिटरी में दस्तावेजों को अपलोड करने के लिए जारीकर्ताओं के लिए रिपॉजिटरी और गेटवे के संग्रह के साथ एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। इस समय डिजीलॉकर के 13.7 करोड़ यूजर हैं और इस सेवा के माध्यम से 562 करोड़ से अधिक दस्तावेजों को लोगों के लिए उपलब्ध करवाया गया है।

सामान्य सेवा केंद्र: सीएससी ग्राम स्तर के उद्यमियों (वीएलई) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल मोड में सरकारी और व्यावसायिक 400 से अधिक डिजिटल सेवाओं की पेशकश की जा रही। देश भर में अब तक 5.21 लाख सीएससी कार्यात्मक (शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों सहित) हैं, जिनमें से 4.14 लाख सीएससी ग्राम पंचायत स्तर पर कार्य कर रहे हैं।

न्यू-एज गवर्नेंस (उमंग) एकीकृत मोबाइल एप्लिकेशन: ये एप्लिकेशन मोबाइल के माध्यम से नागरिकों को सरकारी सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई है। उमंग पर 1668 से अधिक ई-सेवाएं और 20,197 से अधिक बिल भुगतान सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

ई-हस्ताक्षर: ये सेवा कानूनी रूप से स्वीकार्य रूप में नागरिकों द्वारा प्रपत्रों/दस्तावेजों पर तुरंत ऑनलाइन हस्ताक्षर करने की सुविधा प्रदान करती है। यूआईडीएआई की ओटीपी आधारित प्रमाणीकरण सेवाओं का उपयोग करते हुए विभिन्न अनुप्रयोगों द्वारा सेवाओं का लाभ उठाया जा रहा है। सभी एजेंसियों द्वारा 31.08 करोड़ से अधिक ई-साइन जारी किए गए, जबकि सीडीएसी द्वारा 7.01 करोड़ ई-साइन जारी किए गए।

मेरी पहचान: मेरी पहचान नामक नेशनल सिंगल साइन-ऑन (NSSO) प्लेटफॉर्म को जुलाई 2022 में लॉन्च किया गया है, ताकि नागरिकों को सरकारी पोर्टलों तक आसानी से पहुंचाया जा सके।

MyGov: यह एक नागरिक जुड़ाव मंच है जिसे सहभागी शासन की सुविधा के लिए विकसित किया गया है। वर्तमान में, 2.76 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता MyGov एप पर पंजीकृत हैं, जो MyGov प्लेटफॉर्म पर चलाई गई विभिन्न गतिविधियों में भाग ले रहे हैं।

डिजिटल गांव: अक्टूबर 2018 में एमईआईटीवाई ने 'डिजिटल गांव पायलट प्रोजेक्ट' की शुरुआत की थी। जिसमें 700 ग्राम पंचायत (जीपी)/गांव, कम से कम एक ग्राम पंचायत/गांव प्रति जिला प्रति राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को परियोजना के तहत कवर किया जा रहा है। पेश की जा रही डिजिटल सेवाओं में डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा सेवा, वित्तीय सेवाएं, कौशल विकास, सरकार से नागरिक सेवाएं (जी2सी), व्यवसाय से नागरिक (बी2सी) सेवाएं सहित सौर पैनल संचालित स्ट्रीट लाइट शामिल हैं।

ई-डिस्ट्रिक्ट एमएमपी का राष्ट्रीय रोलआउट: ई-डिस्ट्रिक्ट एक मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) है जिसका उद्देश्य जिला या उप-जिला स्तर पर चिन्हित उच्च मात्रा वाली नागरिक केंद्रित सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी करना है। वर्तमान में भारत भर के 709 जिलों में 4,671 ई-सेवाएं शुरू की गई हैं।

ओपन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफॉर्म: डाटा शेयरिंग को सुविधाजनक बनाने और गैर-व्यक्तिगत डाटा पर नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, ओपन गवर्नमेंट डाटा प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है। 12,940+ कैटलॉग में 5.93 लाख से अधिक डाटासेट प्रकाशित किए गए हैं। इस प्लेटफॉर्म ने 94.8 लाख डाउनलोड की सुविधा प्रदान की जा रही है।

ई-अस्पताल/ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ओआरएस): ई-अस्पताल एप्लिकेशन अस्पतालों के आंतरिक कार्यप्रवाह और प्रक्रियाओं के लिए अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली है। वर्तमान में, 753 अस्पतालों को ई-हॉस्पिटल पर ऑन-बोर्ड किया गया है और ओआरएस से बुक किए गए 68 लाख से अधिक अपॉइंटमेंट के साथ देश भर के 557 अस्पतालों द्वारा ओआरएस को अपनाया गया है।

को-विन: यह कोविड-19 के लिए पंजीकरण, नियुक्ति समय-निर्धारण और टीकाकरण प्रमाणपत्र के प्रबंधन के लिए एक खुला मंच है। इसने 110 करोड़ लोगों को पंजीकृत किया है और टीकाकरण की 220 करोड़ खुराक प्रदान की गई है।

जीवन प्रमाण: पेंशनरों के लिए जीवन प्रमाण पत्र हासिल करने की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की परिकल्पना करता है। इस पहल के साथ, पेंशनभोगी को संवितरण एजेंसी या प्रमाणन प्राधिकरण के सामने खुद को शारीरिक रूप से पेश करने की आवश्यकता नहीं है। 2014 से अब तक 685.42 लाख से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र संसाधित किए जा चुके हैं।

एनसीओजी-जीआईएस एप्लीकेशन: नेशनल सेंटर ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स (एनसीओजी) प्रोजेक्ट, एक जीआईएस प्लेटफॉर्म है जिसे साझा करने, सहयोग, स्थान आधारित विश्लेषण और विभागों के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली के लिए विकसित किया गया है।

राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क: उच्च शिक्षा और अनुसंधान के संस्थानों को आपस में जोड़ने के लिए एक उच्च गति डेटा संचार नेटवर्क स्थापित किया गया है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा): सरकार ने 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों (प्रति परिवार एक व्यक्ति) को कवर करके ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता की शुरुआत करने के लिए "प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा)" नामक एक नई योजना को मंजूरी दी है।

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस: यूपीआई अग्रणी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है। इसने 376 बैंकों को जोड़ा गया है और साथ ही इसमें 11.9 लाख करोड़ रुपये के 730 करोड़ लेनदेन (मात्रा के हिसाब से) की
सुविधा दी है।

फ्यूचरस्किल प्राइम: NASSCOM के सहयोग से एमईआटीवाई ने फ्यूचरस्किल प्राइम नामक एक कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 10 नई/उभरती प्रौद्योगिकियों में आईटी पेशेवरों को फिर से कुशल बनाना/कौशल बढ़ाना है, जिसमें संवर्धित/वर्चुअल रियलिटी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग/3डी प्रिंटिंग, क्लाउड शामिल हैं। कम्प्यूटिंग, सामाजिक और मोबाइल, साइबर सुरक्षा और ब्लॉकचेन शामिल किया गया है।

साइबर सुरक्षा: सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 को प्रशासित करके डेटा गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के संबंध में चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक उपाय किए हैं, जिसमें डेटा गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रावधान हैं। भारत ने 29 जून, 2021 को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा शुरू किए गए वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) 2020 में शीर्ष 10 में जगह बनाई है।

किन-किन देशों में विमुद्रीकरण को अपनाया गया

1873 - संयुक्त राज्य अमेरिका विमुद्रीकरण

1873 के सिक्का निर्माण अधिनियम ने चांदी के सिक्कों को सोने के मानक के रूप में विमुद्रीकरण करने का आह्वान किया। हालांकी इस कदम का स्वागत नहीं किया गया और इसका परिणाम पैसे की आपूर्ति में संकुचन के रूप में सामने आया। जिसके कारण डेढ़ दशक का अवसाद हुआ। इसे केवल 1878 में चांदी के मानक के पुनर्मुद्रीकरण द्वारा नियंत्रित किया जा सकता था।

1970 - श्रीलंका में विमुद्रीकरण

श्रीलंका का विमुद्रीकरण कुछ लोकप्रिय और सफल विमुद्रीकरण अभियानों में से एक है। जिसमें सीलोन की सरकार ने 50 और 100 रुपये के नोटों को अवैध घोषित किया। श्रीलंका के तत्कालीन वित्त मंत्री एन.आर परेरा ने विमुद्रीकरण अभियान के उद्देश्यों को 'अर्थव्यवस्था में बैंकिंग क्षेत्र में बड़ी मात्रा में मुद्रा लाने' के रूप में बताया। माना जाता है कि इस कदम से 1970 के दशक के मजबूत श्रीलंकाई बैंकिंग क्षेत्र के लिए आधार बनाया था। कोई अराजकता नहीं थी। आम श्रीलंकाई लोगों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा जाता है कि इसने अगले आम चुनावों में पार्टी की सत्ता में वापसी में योगदान दिया।

1980 - सोवियत संघ ने विमुद्रीकरण किया

यूएसएसआर के अंतिम महासचिव मिखाइल गारबोचेव ने अपने आर्थिक और राजनीतिक सुधार कार्यक्रम के तहत 'पेरेस्त्रोइका' और 'ग्लासनोट' नाम दिया, जो 1980 के दशक के अंत में प्रचलन से बड़े मलबे के बिल को वापस लेने के लिए गया था। यह कदम पीछे हट गया और इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विरोध हुआ और एक बार शक्तिशाली यूएसएसआर की मृत्यु हो गई।

1982 - घाना में नोटबंदी

कई राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों का सामना कर रही रॉलिंग्स सरकार ने 1982 में अपने 50 सेडी करेंसी नोटों का विमुद्रीकरण करने का निर्णय लिया। इस उपाय के माध्यम से इसने कर चोरी, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और पहले से ही नाजुक अर्थव्यवस्था की तरलता की स्थिति में सुधार करने की मांग की। सामान्य घाना के लोगों का देश की बैंकिंग प्रणाली में से विश्वास उठ गया और घाना में भौतिक संपत्ति और विदेशी मुद्रा की बचत और निवेश में वृद्धि हुई और घाना में काले धन और मुद्रास्फीति का प्रसार बढ़ गया।

1984 नाइजीरियाई विमुद्रीकरण

नाइजीरिया के तत्कालीन सैन्य तानाशाह मुहम्मदु बुहारी ने एक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बीच एक सीमित समय सीमा के भीतर पुरानी मुद्राओं को पूरी तरह से वापस ले लिया और इसे एक रंगीन मुद्रा से बदल दिया। पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव के कारण एक कर्ज से लदी अर्थव्यवस्था को पटरी से उतर गया।

2015 का जिम्बाब्वे विमुद्रीकरण

जिम्बाब्वे विमुद्रीकरण की सफल कहानियों में से एक है। सरकार ने जिम्बाब्वे डॉलर को देश की अति मुद्रास्फीति से निपटने के तरीके के रूप में विमुद्रीकृत करते हुए देखा, जो 231,000,000% दर्ज की गई थी। 3 महीने की प्रक्रिया में जिम्बाब्वे डॉलर को देश की वित्तीय प्रणाली से बाहर निकालना और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए देश की कानूनी निविदा में अमेरिकी डॉलर, बोत्सवाना पुला और दक्षिण अफ्रीकी रैंड को मजबूत करना शामिल था।

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English summary
The Government of India is promoting digitalization more in this time, so that every citizen of India can be benefited from the upcoming projects and schemes. Also, the country can be transformed into a digitally empowered society and knowledge-based economy. The Digital India program has been started considering these things mainly. Let us tell you that this program has been focused on three major vision areas. Which includes digital infrastructure as a core utility, governance and service on demand and digital empowerment of citizens.
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