2023 के 12 और 2024 के 2 महीनों में कितने लोगों की गई नौकरी?

आपने अक्सर अखबारों या मीडिया के खबरों में ले ऑफ शब्द को सुना होगा। वर्ष 2023 में दुनिया के हर देश में बड़े पैमाने पर छंटनी या मास ले ऑफ हुए। इनमें ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं। हालांकि भारत में केवल बहुराष्ट्रीय और टेक कंपनियों में ही नहीं बल्कि कई विभिन्न सेक्टरों एवं स्टार्टअप कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी की गई।

क्या आपने कभी सोचा है कि ले-ऑफ क्या होता है और कैसे होता है। यह शब्द ले ऑफ किसी संगठन में कार्य करने वाले कर्मचारियों को संगठन से निकाले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे अंग्रेजी में ले ऑफ तथा हिन्दी में छंटनी कहते हैं। ले ऑफ या छंटनी रोजगार परिदृश्य का एक परिणामी पहलू है। यह व्यक्तियों अर्थात कर्मचारियों और संगठनों दोनों को प्रभावित कर सकता है।

Layoff क्या है, 2024 में अब तक गई 25000 से ज्यादा नौकरियां

इस लेख इस बात की सीधी व्याख्या की गई है कि छंटनी क्या होती है, बड़ी कंपनियों द्वारा ले ऑफ क्यों किया है, और वे मानदंड जो यह निर्धारित कर सकते हैं कि किसे नौकरी से निकाला जायेगा। आइए जानें ले ऑफ के बारे विस्तार से-

छंटनी क्या होती है?

सरल शब्दों में, छंटनी का तात्पर्य किसी कंपनी द्वारा आमतौर पर वित्तीय बाधाओं, पुनर्गठन या अन्य परिचालन कारणों से रोजगार की अस्थायी या स्थायी समाप्ति से है। यह कारणवश बर्खास्तगी से अलग होती है, जहां किसी कर्मचारी को प्रदर्शन या व्यवहार संबंधी मुद्दों के कारण नौकरी से निकाल दिया जाता है।

छंटनी का तात्पर्य कर्मचारियों के एक समूह के लिए रोजगार की अस्थायी या स्थायी समाप्ति से है, जो अक्सर संगठनात्मक पुनर्गठन, आर्थिक मंदी या तकनीकी प्रगति जैसे कारकों के कारण होता है। छंटनी आमतौर पर किसी संगठन के विभिन्न विभागों या स्तरों पर कई कर्मचारियों को प्रभावित करती है। कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का निर्णय आम तौर पर रणनीतिक व्यावसायिक विचारों से प्रेरित होता है और जरूरी नहीं कि यह व्यक्तिगत प्रदर्शन का प्रतिबिंब हो।

कंपनियां छंटनी का विकल्प क्यों चुनती हैं?

कई कारक कंपनियों को छंटनी के लिए प्रेरित कर सकते हैं। यहां कुछ विशेष कारणों को सुचीबद्ध किया गया है-

  • आर्थिक मंदी, कम राजस्व, या वित्तीय संकट कंपनियों को लागत में कटौती करने के लिए मजबूर कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर कटौती होती है।
  • स्वचालन और तकनीकी प्रगति से कुछ भूमिकाओं की आवश्यकता कम हो सकती है, जिससे कुछ पद निरर्थक हो सकते हैं।
  • जब कंपनियों का विलय होता है या अधिग्रहण होता है, तो अतिरेक उत्पन्न हो सकता है, जिससे कार्यबल समायोजन की आवश्यकता होती है।
  • कंपनियां बढ़ी हुई दक्षता के लिए अपने परिचालन को पुनर्गठित कर सकती हैं, जिससे विशिष्ट भूमिकाएं समाप्त हो जाएंगी।

ले-ऑफ के दौरान किसे नौकरी से निकाला जा सकता है?

ले ऑफ के दौरान किसे नौकरी से निकाला जा सकता है, यह निर्धारित करने के मानदंड अलग-अलग हो सकते हैं और कई कारकों पर निर्भर करते हैं:

  • कुछ मामलों में, कम वरिष्ठ कर्मचारी छंटनी के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
  • कंपनियां प्रदर्शन मेट्रिक्स के आधार पर कर्मचारियों का मूल्यांकन कर सकती हैं, उच्च उत्पादकता वाले लोगों को बनाए रख सकती हैं।
  • यदि उद्योग में बदलाव के कारण कुछ कौशल अप्रचलित हो जाते हैं या कम प्रासंगिक हो जाते हैं, तो उन कौशल वाले कर्मचारियों को अधिक जोखिम हो सकता है।
  • संगठन के भीतर विशिष्ट भूमिकाओं की आवश्यकता छंटनी के निर्णयों को प्रभावित कर सकती है।

2024 में दो महीने में गई 25000 नौकरियां

  • सिस्को- 4250
  • नाइकी- 2% अर्थात 1700
  • स्विगी- 400
  • स्पाइसजेट- 1400
  • पैरामाउंट- 800
  • स्नैपचैट- 500
  • ग्रैमरली- 230
  • इंस्टाकार्ट- 250
  • मोजिला- 60
  • पेपाल- 2500
  • व्रूम- 800
  • पिक्सार- 300
Layoff क्या है, 2024 में अब तक गई 25000 से ज्यादा नौकरियां

वर्ष 2023 में गई 16000 नौकरियां

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में, लगभग 100 भारतीय स्टार्टअप्स में 16,000 से अधिक कर्मचारियों को छंटनी का सामना करना पड़ा। इसका सीधा कारण कंपनी में लंबित पड़े फंडिंग को बताया गया। ले ऑफ्स डॉट एफवाईआई की डेटा से पता चलता है कि वित्तीय बाधाओं से जूझ रहे बायजू ने साल 2023 में अपने दूसरे दौर की छंटनी में 2,500 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया।

भारतीय स्टार्टअप्स में 2023 में फंडिंग में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। इसी कारण हजारों की संख्या में लोगों को नौकरी में छंटनी यानी ले ऑफ का सामना करना पड़ा। फंडिंग संकट से जूझ रही स्टार्टअप कंपनियां अपने खर्च का पुनर्मूल्यांकन करने और संचालन को अनुकूलित करने के लिए मजबूर हो गई। इसका नतीजा ले ऑफ में परिवर्तित हो गया।

इसके अतिरिक्त, आईएमएफ और विश्व बैंक की रिपोर्ट में 2023 में वैश्विक विकास में कमी की भविष्यवाणी की गई है, जिससे तकनीकी खर्च और लाभप्रदता प्रभावित होगी। "गार्टनर डिजिटल लेबर मार्केट सर्वे 2023" रिपोर्ट के अनुसार, कई कंपनियों ने निरंतर महामारी के दौरान अत्यधिक मांग की उम्मीद में आवश्यकता से अधिक नियुक्तियां कीं, जिससे हालात सामान्य होने पर मांग में कमी हुई और कंपनियों के लिए कर्मचारी अतिरिक्त बोझ बन गये। इसके फलस्वरूप कार्यबल समायोजन की आवश्यकता हुई।


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2023 में किन भारतीय कंपनियों में हुआ सबसे ज्यादा ले-ऑफ?|Layoffs in India in 2023

कैशफ्री: ऑनलाइन भुगतान सर्विस कंपनी कैशफ्री ने पिछले वर्ष 100 ले ऑफ किया।

वेदांतु: एडटेक कंपनी वेदांतु ने बीते वर्ष अपने चौथे राउंड के ले ऑफ के दौरान संस्थान से करीब 385 कर्मचारियों को पिंक स्लिप थमाया।

अनअकादमी: अनअकादमी ने पिछले वर्ष दो राउंड की छंटनी में करीब 1350 कर्मचारियों का ले ऑफ किया।

फ्रंट रो: गैर अकाडमी शिक्षण संस्थान फ्रंट रो ने अपने संस्थान के 75 प्रतिशत वर्कफोर्स को कम करते हुए बीते वर्ष 130 कर्मचारियों को पिंक स्लिप थमाया।

मीशो: ई-कॉमर्स वेबसाइट मीशो ने 2023 की शुरुआत में तीसरे दौर की छंटनी की, जिसमें 15% कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया।

बायजू: ले ऑफ्स डॉट एफवाईआई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, आर्थिक संकट से जूझ रहे बायजू ने साल 2023 के दूसरे दौर में अपने 2,500 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।

कॉइंडसीएक्स: क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइंडसीएक्स (CoinDCX) ने अपने लगभग 12 प्रतिशत कार्यबल को निकाल दिया।

उड़ान: बी2बी ई-कॉमर्स यूनिकॉर्न उड़ान ने कथित तौर पर 150 कर्मचारियों या उसके पूरे कार्यबल के लगभग 10 प्रतिशत को निकाल दिया।

डंज़ो: डंज़ो ने अपने कार्यबल में 30 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 300 लोगों की छंटनी हुई।

ओला: इंक 42 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अभ्यास के हिस्से के रूप में लगभग 200 कर्मचारियों को पिंक स्लिप सौंपी गईं।

मोहल्लाटेक (शेयरचैट, Moj): सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शेयरचैट और शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म Moj चलाने वाली मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड ने अपने करीब 20 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।

स्विगी: ले ऑफ्स डॉट एफवाईआई के अनुसार, स्विगी ने उत्पाद, इंजीनियरिंग और ऑपरेशन डिवीजनों में 380 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया।

ज़ेस्टमनी: फिनटेक कंपनी ज़ेस्टमनी ने अपनी व्यवसाय निरंतरता और अस्तित्व योजनाओं के हिस्से के रूप में अपने कार्यबल में लगभग 20 प्रतिशत की कटौती की।

नोट: यहां दिये गये डेटा विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। करियर इंडिया इसकी जिम्मेदारी नहीं लेती।

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English summary
You must have often heard the word lay off in newspapers or media reports. In the year 2023, large-scale layoffs or mass lay-offs took place in every country of the world. These include mostly multinational companies. However, in India, there were large-scale layoffs not only in multinational and tech companies but in many different sectors and startup companies.Have you ever wondered what lay-off is and how it happens? This term lay off is used to remove the employees working in an organization from the organization. It is called lay off in English and retrenchment in Hindi. Lay off or retrenchment is a consequential aspect of the employment scenario. It can affect both individuals i.e. employees and organizations. This article provides a straightforward explanation of what layoffs are, why large companies conduct layoffs, and the criteria that determine who gets fired. Let us know about the lay off in detail-
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