Makar Sankranti Essay In Hindi 2023 मकर संक्रांति पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें जानिए

Makar Sankranti Essay In Hindi भारत में हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। सूर्य उत्तरायण पर्व को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

By Careerindia Hindi Desk

Makar Sankranti Essay In Hindi भारत में हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। सूर्य उत्तरायण पर्व को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह भगवान सूर्य की उपासना का दिन है, इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य देव की आराधन प्रार्थना करते हैं। मकर संक्रांति पर पतंग भी उड़ाई जाती है, जिसे काईट फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है। स्कूलों में छात्रों को मकर संक्रांति पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में यदि आपको भी मकर संक्रांति पर निबंध लिखना है तो हम आपके लिए सबसे बेस्ट मकर संक्रांति पर निबंध का ड्राफ्ट लेकर आए हैं, जिसकी मदद से आप आसानी से मकर संक्रांति पर निबंध लिख सकते हैं।

Makar Sankranti Essay In Hindi 2023 मकर संक्रांति पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें जानिए

मकर संक्रांति का अर्थ क्या है
मकर संक्रांति दो शब्दों मकर और संक्रांति से बना है। मकर का अर्थ है मकर राशि और संक्रांति का अर्थ है परिवर्तन। जब सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन होता है तो उसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर आकाश में रंग-बिरंगी पतंगों का उड़ना और लगभग हर घर की छत से 'वो काटा' की जोशीली आवाज आना देश के लगभग हर हिंदी भाषी क्षेत्र की एक खास पहचान है। छतों पर दाल, चूरमा, बाटी का रसास्वादन करते हुए, म्यूजिक सिस्टम पर अपने पसंदीदा गानों पर थिरकते हुए बच्चे बूढ़ों, और युवक-युवतियों को पतंग उड़ाते या उड़ते देख मस्त हो जाने और घर की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा सुबह-सवेरे स्नान करके दानधर्म के उपक्रम करने की क्या वजह है, यह सवाल कभी न कभी आपके दिमाग में जरूर आया होगा।

प्रकृति को थैंक्स कहने का दिन
मकर संक्रांति, उत्तरायण, पोंगल या पौष संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है और धनुराशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं जबकि आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल में इसे 'संक्रांति' कहते हैं। यह सूर्य की उपासना का पर्व है। पंजाब में एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है, जो एक मौसमी पर्व है। किसानों के लिए यह उत्साह और उल्लास का अवसर है जब हाड़ कंपाती हवाएं अलविदा होने लगती हैं और नई फसल का समय सामने आ जाता है। इस प्रकार कुल मिलाकर यह पर्व और यह समय पूरी तरह कुदरत को समर्पित है। इसे आप कुदरत के प्रति आभार व्यक्ति करने का त्योहार मान सकते हैं।

पतंगबाजी प्रतीक है सक्रियता का
संक्रांति का शाब्दिक अर्थ है संचार या गति। इस त्योहार का दार्शनिक पहलू यह है कि सर्दियों में आलस्य में जकड़ा शरीर जरा गति पकड़ ले, इसके लिए वार्मअप के कुछ भागदौड़, जरा हल्ला-गुल्ला और मौजमस्ती हो जाए। सूर्य की गुनगुनी धूप में पतंग उड़ाते वक्त अच्छी खासी दौड़भाग, मौजमस्ती और शोरगुल हो जाता है। खानपान भी हो जाता है और परिजनों के साथ हंसी-ठट्ठा भी हो जाता है। अगर शरीर में गति न रहे, यह चलायमान न रहे तो एक प्रकार से हम निर्जीव ही हो जाए। संभवतः इस जड़ता को खत्म करने के लिए ही इस अवसर पर पतंग उड़ाने का रिवाज हमारी संस्कृति में जुड़ गया।

सूरज के सान्निध्य का दिन
हमारी मान्यताओं और परम्पराओं के वैज्ञानिक कारण होते हैं। जब हम छत या मैदान में खड़े होकर खुले आसमान के नीचे पतंग उड़ाते हैं, तो सूर्य की किरणें सीधे हम पर पड़ती हैं। संक्रांति पर जब सूर्य़ एक गोलार्द्ध से दूसरे गोलार्द्ध की यात्रा कर रहा होता है, तो इस दिन इस की किरणों का सकारात्मक औषधीय प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है। सर्दियों में जब हम अक्सर सर्दी-जुकाम से पीड़ित रहते हैं ऐसे में इन किरणों से हमारी सेहत पर अच्छा असर होता है।

कुछ अलग खाने का पर्व
मकर संक्रांति के अवसर पर हम आम दिनों से हटकर कुछ अलग खाते हैं। वर्ष के दूसरे दिनों में तिल और गुड़ से बने व्यंजनों की पूछ-परख नहीं होती लेकिन इन दिनों हम मूंगफली और गुड से बनी चिक्की, तिलकुट्टा और तिलगुड़ से बने व्यंजन खूब पसंद करते हैं। महाराष्ट्र में गन्ने की पहली फसल आने के कारण इस दिन घर घर में तिल-गुड़ बनाकर खाया जाता है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित कई राज्यों में दाल चावल की खिचड़ी, तिल गुड़ से बनी गजक, रेवड़ी आदि खाने का रिवाज है। पश्चिम बंगाल में चावल के आटे और खजूर गुड़ से बने पीठे, पुली और पातीशाप्ता मिठाइयां खाई खिलाई जाती हैं। कई राज्यों में इस अवसर पर घेवर और फीणी भी खाते हैं और बहन-बेटियों के यहां भेजते हैं।

पुण्य प्राप्ति और दान का पर्व
हमारी हिंदू संस्कृति में इस दिन दान करने का पुराना रिवाज है। गरीबों, ब्राह्मणों आदि को अपनी आर्थिक शक्ति के मुताबिक खुलकर तिल गुड से बना मीठा, चावल-दाल, चिवड़ा, कपड़े, नगदी आदि दान किया जाता है। उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस दिन गंगा स्नान करने का भी महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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English summary
Makar Sankranti Essay In Hindi : Every year on 14 January in India, the festival of Makar Sankranti is celebrated with great pomp. The festival of Surya Uttarayan is known as Makar Sankranti. According to Hindu mythology, it is the day of worship of Lord Surya, on this day people bathe in holy rivers, offer charity and worship the Sun God. Kite is also flown on Makar Sankranti, which is also known as Kite Festival. Makar Sankranti is made up of two words Makar and Sankranti. Makar means Capricorn and Sankranti means change. When the Sun transits into Capricorn, it is known as Makar Sankranti.
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