हरियाणा को राज्य का दरजा 1 नवंबर 1966 में दिया गया था। राज्य की अबादी की बात करें तो बाकी राज्यों की तुलना में इसकी अबादी कम है। सभी आबादी वाले राज्यों में हरियाणा 18वें स्थान पर आता है और बड़े क्षेत्र वाले राज्यों की लिस्ट में 21वें स्थान पर आता है। हरियाणा पहले पंजाब का हिस्सा हुआ करता था। 1966 में जाके इसे एक अलग राज्य बनाया गया। इस दौरान चल रही ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ इस क्षेत्र से स्वतंत्रता के लिए कई सेनानी खड़े हुए। जिनके योगदान को हर स्वतंत्रता दिवस के दिन याद किया जाता है। और याद किया जाता रहेगा। भारत के आजाद होने से बाद जब देश में विभाजन की स्थिति उत्पन्न हुई तब भारत से निकल कर पाकिस्तान एक नया देश बना उस दौरान हरियाणा और पंजाब के वह क्षेत्र जिनमें हिंदूओं और सिखों की ज्यादा संख्या थी वह भारत का हिस्सा बन गए। बढ़ी तादाब में हिंदू शरणार्थी और सीख पश्चिम पंजाब पहुंचे। स्थिति सुधरी और फीर 1966 में हरियाणा एक राज्य बना।
हरियाणा प्रदेश कई सेनानी हैं जिन्होंने भारत की आजादी में अपना योगदान दिया है और भारत को आजाद बनाने में सहायता की है। आज इस लेख के माध्यम से आपको हरियाणा के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताएंगे।
शेर नाहर सिंह
राजा नाहर सिंह बल्लभगढ़ रियासत के शासक थे। ये हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित था। 1857 की क्रांति में उन्होंने महत्वपूर्ण योगजदान दिया था। उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से आजादी पाने के लिए भीषण युद्ध किया। आज की तरीख में उनके महल को हरियाणा टूरिज्म के तहत हरियाणा सरकार ने अपने अडंर कर लिया है। उनके योगदान को देखते हुए हरियाणा के एक स्टेजियम का नाम नाहर सिंह स्टेडियम रखा गया है।
नवाब अब्दुर्र हमान खान
अब्दुर्र हमान खान झाझार के नवाब थे। उन्होंने 1857 में हुई क्रांति में हिस्सा लिया था। इसी क्रांति के दौरान उन्हें पकड़ लिया गया था। ब्रिटिश सरकार के द्वारा पकड़े जाने की वजह से इन पर मुकदमा चलाया गया और 17 अक्टूबर को मौत की सजा सुनाई गई। 23 अक्टूबर 1857 को लाल किले के सामने उन्हें ये सजा दी गई।
सर छोटूराम
सर छोटूराम का जन्म 14 नवंबर 1881 में हुआ था। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। सर छोटूराम रोहतक जिले के रहने वाले थे। वह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ थे और इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वह जाट समुदाय से थे। इसके साथ उन्होंने नशनल युनियनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी।
नेकीराम शर्मा
नेकीराम शर्मा का जन्म 1887 में हुआ था। 1916 में वह स्वराज संघ में शामिल हुए। नेकीराम शर्मा ने अपने पूरे जीवन काल में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की है। वह ब्रिटिश शासन को भारत से उखाड़ फेकना चाहते थे। भगत सिंह और उनके साथ के लोगों को 1907 में गिरफ्तार किया गया और उसके बाद 1908 में लोकमान्य नायक को इसे देखते हुए नेकीराम शर्मा ब्रिटिश सरकार के और अधिक विरोधी बन गए। उन्होंने प्रण लिया की जब तक वह ब्रिटिश सरकार को भारत से नहीं निकाल देते वह तब तक शांत नहीं बैठेंगे। 1915 में वह महात्मा गांधी से मिले और उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की। महात्मा गांधी द्वारा चलाए असहयोग आंदोलने में नेकीराम शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और गिरफ्तार भी हुए।
चौधरी देवी लाल
चौधरी देवी लाल का जन्म 25 सितंबर 1914 में हुआ था। चौधरी देवी लाल गांधी जी के मार्गदर्शन पर चलने वाले व्यक्ति थे। गांधी जी के साथ उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। चौधरी देवी लाल ने इन स्वतंत्रता संग्रामों में हिस्सा लेने के लिए अपनी पढ़ाई भी बीच में छोड़ दी थी। 1930 में स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी के लिए उन्हें करीब एक साल के लिए जेल जाना पड़ा। लगातार स्वतंत्रात संग्राम में उनकी भागीदारी के कारण एक बार फिर उन्हें 1942 में गिरफ्तार कर 2 साल की सजा सुनाई गई। भारत की आजादी के बाद 1987 में वह हरियाणा राज्य के 5वें मुख्यमंत्री चुने गए।