वेडिंग प्लानिंग या वेडिंग प्लानर का करियर इन दिनों काफी ब्राइट है। यदि आप चीजों को प्लानिंग के साथ अच्छे से मैनेज करने की योग्यता रखते हैं तो आपके लिए यह करियर का शानदार विकल्प है। वेडिंग प्लानर एक ऐसा प्रोफेशनल होता है जो शादी की योजना बनाने और उसे पूरा करने में मदद करता है। भारत में शादी एक बड़ा पारिवारिक आयोजन है। वेडिंग प्लानर यह सुनिश्चित करता है कैसे शादी को यादगार बनाई जाए। इन दिनों छात्र वेडिंग प्लानिंग का कोर्स करके करोड़ों कमा रहे हैं। इसके लिए आपको बस अपनी प्लानिंग और मैनेजमेंट पर ध्यान देना होगा।
आपको जानकार हैरानी होगी कि अच्छी कमाई की वजह से ही अब ईवेंट मैनेजमेंट कंपनियां भी वेडिंग प्लानर का काम करने लगी हैं। दरअसल शादियों के नाम पर होने वाले खर्च जैसे ज्वेलरी, सूट-बूट, कपड़े, टेंट, फ्लावरिंग, डीजे, केटरिंग, डेकोरेशन, आदि मिला लें तो भारत में हर साल 25 से 30 लाख करोड़ रुपए का बिजनेस केवल शादियों के नाम पर होता है।
यह एक वेडिंग प्लानर का काम है कि वह युगल की पोशाक, विवाह स्थल, भोजन, सजावट, फोटोग्राफर हायरिंग और शादी का कार्ड आदि समेत विभिन्न चीजों को कैसे अरेंज करता है। इसलिए एक वेडिंग प्लानर के रूप में, आपको बहुत रचनात्मक, सहज, प्रबंधन कौशल, समय प्रबंधन, संचार कौशल के साथ साथ बहुत धैर्यवान भी होना पड़ेगा। वेडिंग प्लानर बनना एक मजेदार काम है, साथ ही ढेर सारी जिम्मेदारियां भी है। आइए जानते हैं वेडिंग प्लानर कैसे करोड़ों की कमाई करते हैं।
कहां से कैसे होगी कमाई
8 से 10 लाख तक के बजट वाली प्रत्येक शादी से वेडिंग प्लानर कम से कम 1 से दो लाख रुपए तक मार्जिन निकालते हैं।
15 से 20 लाख के बजट वाली शादियों में 2 से 4 लाख रुपए तक एक शादी से मुनाफा निकल जाता है।
40 से 50 लाख के बजट वाली शादियों में मुनाफा बढ़ कर 5 से 10 लाख रुपए तक जाता है।
इसका कारण यह है कि बड़े बजट की शादियां बड़ी ईवेंट कंपनियां ही करती हैं, और उनके पास शादियों में इस्तेमाल होने वाली चीजों में से ज्यादा तर सामान खुद का होता है, यानि की आउटसोर्स नहीं करना पड़ता है। इस प्रोफेशन में जितनी कम आउटसोर्सिंग करते हैं, आपका प्राफिट उतना अधिक होता है।
अगर नहीं शुरू किया है करियर, तो इंटर्नशिप का सुनहरा मौका
अगर आप इस प्रोफेशन में आ चुके हैं, तो आपके लिए पैसा कमाने का यह सुनहरा मौका है, और अगर आप इस प्रोफेशन में आना चाहते हैं, तो आप अगले छह महीनें में वेडिंग प्लानर का कार्य किसी ईवेंट कंपनी के साथ बतौर इंटर्न जुड़ कर सीख सकते हैं। हमारी सलाह यह है कि अगर आपको इस इंटर्नशिप में पैसा नहीं मिलता है, यानि कि इंटर्नशिप अपनेड है, तो भी यह मौका मत छोड़िये, क्योंकि अगले छह महीने में 53 शुभ दिन हैं, जिन पर शादियां होनी हैं। ये 53 दिन आपकी इंटर्नशिप के दौरान सबसे अधिक सीखने के दिन हो सकते हैं।
अगले छह महीनों में 70 लाख शादियों का अनुमान
पिछले वर्ष शादियों के सीजन में हुए जोरदार व्यापार से उत्साहित होकर दिल्ली सहित देश भर के व्यापारी अब 15 जनवरी से शुरू होकर जून महीने तक चलने वाले शादी के बड़े सीजन में बड़े व्यापार करने की कोशिशों में जुट गए हैं | 15 जनवरी मकर संक्रांति से शुरू होकर जून तक के लगभग 6 महीनों के शादी सीजन में देश भर में लगभग 70 लाख शादियाँ होने का अनुमान है जिसके कारण अकेले शादियों की वजह से इस सीजन में लगभग 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार होना आंका जा रहा है- यह कहते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की अकेले दिल्ली में इस सीजन में लगभग 8 लाख से ज्यादा शादियाँ होने का अनुमान है जिससे दिल्ली में ही लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए के व्यापार की सम्भावना है ।पिछले वर्ष नवम्बर से दिसंबर तक के महीने में शादियों के चरण में लगभग 32 लाख शादियाँ हुई थी तथा लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार हुआ था ।
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने बताया की शादी के इस सीजन में लगभग 10 लाख से अधिक शादियां होंगी। जसमें प्रति शादी में लगभग 3 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए तक खर्च होने की संभावना है। यह क्रम लोगों के बजट पर आधारित होगा। यदि इसको हम 3, 5, 15, 25, 35, 50 और 1 करोड़ या उससे अधिक धन खर्च होने का बजट लेकर चलते हैं तो कुल मिलाकर इस एक महीने के शादी के सीजन में लगभग 13 लाख करोड़ रुपये का धन प्रवाह बाजार में इस वर्ष शादी की खरीदी के माध्यम से होने की संभावना है।
उन्होंने कहा किशादियों के सीजन में अच्छे व्यापार की संभावनाओं को देखते हुए देशभर के व्यापारियों ने व्यापक तैयारियां की हैं और पिछली बार के हुए रिकॉर्ड कारोबार से अधिक या उसके बरकरार रखने के सभी प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया की प्रत्येक शादी का लगभग 80 प्रतिशत खर्च शादी को सम्पन्न कराने में काम करने वाली अन्य तीसरी एजेंसियों को जाता है, जबकि मात्र 20 प्रतिशत पैसा ही वर-वधू के परिवारों को सीधा मिलता है। खास बात यह है की यह 80 प्रतिशत पैसा कहीं रुकता नहीं है बल्कि घूम फिरकर तरह तरह की ख़रीदारी से बाज़ार में ही आता है। जैसे घरों की मरम्मत, पेंट, फ़र्निशिंग, साज सज्जा, ज्वेलरी, कपड़े आदि। इसलिए शादियों का सीजन भी देश में एक बड़े व्यापार का रूप ले चुका है।
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