एनवायरमेंटल साइंस में एम.फिल. कैसे करें (Career in M.Phil. Environmental Sciences)

मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन एनवायरमेंटल साइंस 2 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम.फिल इन एनवायरमेंटल साइंस कोर्स में पर्यावरण को हमारे चारों ओर की हर चीज के रूप में परिभाषित किया गया है। पर्यावरण संबंध के संबंधित प्रभाव के साथ हमारे परिवेश और इसके साथ हमारे संबंधों का अध्ययन पर्यावरण अध्ययन के दायरे में आता है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन एनवायरमेंटल साइंस से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर एनवायरमेंटल साइंस में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में एनवायरमेंटल साइंस में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

एनवायरमेंटल साइंस में एम.फिल. कैसे करें

• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन एनवायरमेंटल साइंस
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 8,000 से 60,000 तक
• अवरेज सैलरी- 15,000 से 22,000 तक (प्रति माह)
• टॉप रिक्रूटर्स- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, गैर सरकारी संगठन, सरकारी विभाग, अनुसंधान प्रयोगशालाएं आदि।
• जॉब प्रोफाइल- पर्यावरण विशेषज्ञ, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रमुख, मृदा वैज्ञानिक, शोधकर्ता, प्रोफेसर आदि।

एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास एनवायरमेंटल साइंस से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन एनवायरमेंटल साइंस में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस के लिए एडमिशन प्रोसेस नेट, गेट, सीईटी आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस: सिलेबस

ईयर 1

  • एनवायरमेंटल बायोलॉजी
  • एनवायरमेंटल केमेस्ट्री
  • जीयोलॉजी इन रिलेशन टू एनवायरमेंट
  • फील्डवर्क
  • रिसर्च वर्क
  • प्रैक्टिकल

ईयर 2

  • वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट
  • इम्यूनोलॉजी एंड टॉक्सीकोलॉजी
  • एनवायरमेंटल फिजिक्स
  • इंपेक्ट अस्सिमेंट
  • प्रोजेक्ट वर्क
  • वाइवा- वोक

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा- फीस 30,250
  • बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी- फीस 45,000
  • चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा- फीस 30, 500
  • फकीर मोहन विश्वविद्यालय, बालासोर- फीस 42,000
  • गीताम विज्ञान संस्थान, विजाग- फीस 30, 170
  • गुलबर्गा विश्वविद्यालय- फीस 3,775
  • गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर- फीस 27,562
  • इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद- फीस 25,200
  • जेएनयू दिल्ली- फीस 4,000
  • जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर- फीस 22,000

एम.फिल एनवायरमेंटल साइंस: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • एनवायरमेंट साइंटिस्ट- सैलरी 4 लाख
  • सोइल साइंटिस्ट- सैलरी 5 लाख
  • एनजीओ वर्कर- सैलरी 3 लाख
  • फॉरेस्ट सर्विस ऑफिसर- सैलरी 6 लाख

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English summary
Master of Philosophy in Environmental Science is a post graduate research level course of 2 years duration. The M.Phil in Environmental Science course defines the environment as everything around us. The study of our surroundings and our relationship with it comes under the purview of environmental studies, along with the associated impact of environmental interactions.
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