मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन क्लिनिकल साइकोलॉजी 2 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम.फिल इन क्लिनिकल साइकोलॉजी कोर्स रेगुलर और डिस्टेंस लर्निंग दोनों मोड से किया जा सकता है। क्लिनिकल साइकोलॉजी में एमफिल सैद्धांतिक सिद्धांतों के क्षेत्र में उम्मीदवारों को अवसर देने के लिए अवधारणाओं पर आधारित है और साथ ही ये रोगियों या ग्राहकों के साथ नैदानिक सेटअप में अनुभव सुनिश्चित करता है।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन क्लिनिकल साइकोलॉजी से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर क्लिनिकल साइकोलॉजी में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में क्लिनिकल साइकोलॉजी में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन क्लिनिकल साइकोलॉजी
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 25,000 से 2,00,000 तक
• अवरेज सैलरी- 2,00,000 से 4,00,000 तक
• जॉब प्रोफाइल- क्लिनिकल डेटा एनालिस्ट, काउंसलिंग ऑफिसर, साइकोलॉजिस्ट, प्रोफेसर, क्लिनिकल मैनेजर आदि।
एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास क्लिनिकल साइकोलॉजी से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन क्लिनिकल साइकोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी के लिए एडमिशन प्रोसेस बीएचयू आरईटी, डीयूईटी, सीयू-ईटी, आईपीयू सीईटी, एनपीएटी, एएमयू एंट्रेंस एग्जाम, जामिया मिलिया इस्लामिया प्रवेश परीक्षा आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी: सिलेबस
ईयर 1
- बेसिक साइकोसोशल फाउंडेशन ऑफ बिहेवियरल एंड साइकोपैथोलॉजी
- व्यवहार की जैविक नींव
- मौलिक मनश्चिकित्सा
- व्यावहारिक आकलन
- मनोवैज्ञानिक परीक्षा और मौखिक
ईयर 2
- बुनियादी मनोचिकित्सा और परामर्श
- आवश्यक व्यवहार चिकित्सा
- मौलिक सांख्यिकी और अनुसंधान पद्धति
- व्यावहारिक आकलन
- मनोवैज्ञानिक चिकित्सा परीक्षा और वाइवा
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- श्री राम चंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर रिसर्च एंड एजुकेशन, चेन्नई- फीस 1,50,000
- गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नोएडा- फीस 1,84,000
- एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा- फीस 2,00,000
- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, चंडीगढ़- फीस 70,000
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु- फीस 38,050
- सरकारी मेडिकल कॉलेज, चंडीगढ़- फीस 26,054
- पंडित भागवत दया शर्मा स्नातकोत्तर चिकित्सा विज्ञान संस्थान, रोहतक- फीस 15,405
- मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी, कर्नाटक- फीस 285,000
- क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, मणिपुर- फीस 22,150
- आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम- फीस 7,000
एम.फिल क्लिनिकल साइकोलॉजी: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- क्लिनिकल डेटा एनालिस्ट- सैलरी 5 लाख
- काउंसलिंग ऑफिसर- सैलरी 8 लाख
- साइकोलॉजिस्ट- सैलरी 10 लाख
- प्रोफेसर- सैलरी 10 लाख
- क्लिनिकल मैनेजर- सैलरी 10 लाख