रिसर्च के क्षेत्र में जाने के इच्छुक ग्रेजुएट स्टूडेंट्स अक्सर यह सवाल करते हैं कि एक अच्छा रिसर्चर बनने का क्या फॉर्मूला है। दरअसल एक अच्छा रिसर्चर बनने की प्रक्रिया काफी लंबी है जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों की समस्याओं को सुलझाने के प्रति फोकस्ड अप्रोच का होना जरूरी है। एक आम धारणा यह है कि इस क्षेत्र में आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितने पेपर्स पब्लिश कर चुके हैं या कितने जर्नल्स में आपके पेपर्स का साइटेशन है।
इसके ठीक उलट ऐसे कई फैक्टर्स और स्किल्स हैं जो आपको दूसरे रिसर्चर्स से बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं अपना धैर्य बनाए रखना और आलोचना को सकारात्मक रूप से लेना। तो क्या आप भी यह जानना चाहते हैं कि सफल रिसर्चर के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए आप कितने तैयार हैं और कितनी विशेषताएं आपको अपने अंदर विकसित करने की जरूरत होगी?
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, जिज्ञासा के बिना किसी भी रिसर्च का सफल होना संभव नहीं है। कल्पना कीजिए कि अगर न्यूटन चीजों के नीचे की ओर गिरने का कारण खोजने के लिए क्यूरियस नहीं होते तो गुरुत्वाकर्षण का नियम वे कभी नहीं खोज पाते।
अहम बात यह है कि गैलीलियो से लेकर फेनमैन तक सभी साइंटिस्ट जिज्ञासु होने के साथ ही पुराने और स्थापित सिद्धांतों के आलोचक भी थे। इनसे सीख लेते हुए आपको रिसर्च में अपनी सफलता जांचने के लिए खुद से दो सवाल करने होंगे -
क्या मेरी सोच आलोचनात्मक है? यह देखें कि आप अपने ऑब्जर्वेशन को लेकर कितने आलोचनात्मक हैं। आप किसी इंफॉर्मेशन को स्वीकार करने से पहले उसका आलोचनात्मक विश्लेषण करते हैं या नहीं। गैलीलियो, न्यूटन, आइंस्टाइन जैसे रिसर्चर्स को आलोचनात्मक सोच ने ही महान खोज की राह दिखाई।
क्या मैं पर्याप्त रूप से क्यूरियस हूं? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए आपको यह अवलोकन करना होगा कि आपका ऑब्जर्वेशन कितना बारीक है, आपने कितने सवाल किए और उनके जवाब ढूंढ़ने के लिए कितनी कोशिश की।
सफल रिसर्चर बनने की प्रक्रिया में पीएचडी पहला कदम है। यह एक ट्रेनिंग प्रोग्राम है जो आपको एक स्वतंत्र रिसर्चर के तौर पर स्थापित होने में मदद करता है। पीएचडी की यह ट्रेनिंग तीन चरणों में होती है।
- पहले चरण में पीएचडी सुपरवाइजर आइडियाज और प्रॉब्लम्स को परिभाषित करता है। यहां आप समस्या को पहचानना सीखते हैं।
- दूसरे चरण में आप अपने एडवाइजर के साथ मिलकर समस्या और आइडियाज को परिभाषित करते हैं और एक दूसरे से सीखते हैं।
- तीसरे चरण में आप स्वतंत्र रूप से समस्या को पहचानने, उस पर काम करने और निष्कर्ष निकालने में सक्षम होते हैं।
Career in Waste Management ये है करियर का नया ट्रेंड, रोजगार के ढेरों अवसर