रंगों का त्यौहार होली किसे पसंद नहीं है। भारत के साथ अब इस त्यौहार को अन्य देशों में भी मनाया जाता है। विदेश से कई लोग खास तौर पर होली का त्यौहार मनाने और रंगों के साथ खेलने भारत आते हैं। ये त्यौहार है ही इतना खास की सबसा मन मोह लेता है। होली भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। हर साल ये त्यौहार मार्च महीने में आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली को फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार होली का त्यौहार हिंदू भगवान राधा कृष्ण के दिव्य प्रेम को दर्शाता है और इसका जश्न मनाया जाता है। वहीं एक और पौराणिक कथा के अनुसार इस दिवस को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के रूप में देखा जाता है जिसमें प्रहलाद पर हो रहे अत्याचारों को मिटाने के लिए हिर्णयकश्यप के वध करने के लिए हिंदू भगवान विष्णु नरसिंह नारायण के रूप मे अवतरित हुए थे, होली त्यौहार उनकी बुराई पर अच्छाई की इस जीत की याद दिलाता है।
इस साल होली का त्यौहार 8 मार्च 2023 को मनाया जा रहा है। पूरा भारत आज रंगों में डूबा रहेगा और इस त्योहार का जश्न मनाएगा। होली के इस खूबसूरत त्यौहार पर हम आपके साथ साझा करेंगे भारत के महान लेखकों द्वारा होली पर लिखी कविताएं जो आपका मन मोह लेंगी।
टॉप होली कविताएं
1. कैसी होरी खिलाई।
आग तन-मन में लगाई॥
पानी की बूँदी से पिंड प्रकट कियो सुंदर रूप बनाई।
पेट अधम के कारन मोहन घर-घर नाच नचाई॥
तबौ नहिं हबस बुझाई।
भूँजी भाँग नहीं घर भीतर, का पहिनी का खाई।
टिकस पिया मोरी लाज का रखल्यो, ऐसे बनो न कसाई॥
तुम्हें कैसर दोहाई।
कर जोरत हौं बिनती करत हूँ छाँड़ो टिकस कन्हाई।
आन लगी ऐसे फाग के ऊपर भूखन जान गँवाई॥
तुन्हें कछु लाज न आई।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र
2. तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
देखी मैंने बहुत दिनों तक
दुनिया की रंगीनी,
किंतु रही कोरी की कोरी
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छूए बहुतों ने
मन का तार न भीगा,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है
अंबर ने ओढ़ी है तन पर
चादर नीली-नीली,
हरित धरित्री के आँगन में
सरसों पीली-पीली,
सिंदूरी मंजरियों से है
अंबा शीश सजाए,
रोलीमय संध्या ऊषा की चोली है।
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
- हरिवंशराय बच्चन
3. यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ' रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,
आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को!
निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,
आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!
प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,
जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो !
- हरिवंशराय बच्चन
4. जो कुछ होनी थी, सब होली!
धूल उड़ी या रंग उड़ा है,
हाथ रही अब कोरी झोली।
आँखों में सरसों फूली है,
सजी टेसुओं की है टोली।
पीली पड़ी अपत, भारत-भू,
फिर भी नहीं तनिक तू डोली!
- मैथिलीशरण गुप्त
5. केशर की, कलि की पिचकारीः
पात-पात की गात सँवारी।
राग-पराग-कपोल किए हैं,
लाल-गुलाल अमोल लिए हैं
तरू-तरू के तन खोल दिए हैं,
आरती जोत-उदोत उतारी-
गन्ध-पवन की धूप धवारी।
गाए खग-कुल-कण्ठ गीत शत,
संग मृदंग तरंग-तीर-हत
भजन-मनोरंजन-रत अविरत,
राग-राग को फलित किया री
विकलांग कल गगन विहारी ।
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
6. रस रंग भरे मन में होली ,
जीवन में प्रेम भरे होली ।
मुस्कान रचे सब अधरन पर,
मिल जुल कर सब खेलें होली ।
गले लगें सब मन मीत बने ,
रंगों से मन का गीत लिखें ।
जीवन में मधु संगीत भरें ,
भूले बिसरों को याद करें ।
जो संग में थे पिछली होली ,
रस रंग भरे मन में होली ।।
- रीता ठाकुर
7. तुमको रंग लगाना है
होली आज मनाना है।
प्रतिकार करो इनकार करो
पर रगों को स्वीकार करो
रगों से तुम्हें नहलाना है
होली आज मनाना है।
भर पिचकारी बौछार जो मारी
भीगी चुनरी भीगी साड़ी
अपने ही रंग में रंगवाना है
होली आज मनाना है।
अबीर गुलाल तो बहाना है
दूरियाँ दिलों की मिटाना है
तो कैसा ये शरमाना है
होली आज मनाना है।
- अंशुमन शुक्ल