Topper Tips: अक्सर माता-पिता बच्चों पर पढ़ाई को लेकर पर इतना प्रेशर डाल देते हैं कि वह जब असफल हो जाते हैं या अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पते हैं तो वह गलत कदम तक उठा लेते हैं। अगर आप अपने बच्चे को टॉपर बनने के लिए फोर्स करते हैं, उनको बार-बार डांटते हैं, फटकारते है, तो मत कीजिए। जरूरी यह है कि उन्हें अपनापन मिले, साथ ही साथ में प्यार मिले, उन्हें करियर के साथ-साथ अपनों की अहमियत भी समझाइए। ऐसा ना हो कि जब वह बड़े हो जाएं और उनके लिए सबसे ज्यादा जरूरी सिर्फ अपना करियर ही रह जाए।
जब वह बड़े हो जाते हैं, हमारी अपेक्षा रहती है कि हमारे बच्चे हमारे साथ बैठे, हमारे साथ कुछ वक्त बिताए पर सोचिए जब वह छोटे थे आप निरंतर अपने कार्यों में व्यस्त थे और उन्हीं भी आपने समय ना देते हुए कोचिंग क्लासेस, ट्यूशन, स्कूल और बहुत सी एक्टिविटीज मैं व्यस्त कर दिया। उनकी आदत आपने स्वयं बना दी अब जब बड़े हो गए, तो जो वह सीखें उन्होंने भी वैसा ही व्यक्तित्व एवं व्यस्तता का निर्माण किया। अब हम अपेक्षा करें कि वह हमारे साथ कुछ बात करें और समय बिताए तो क्या यह सही है?
जब आप वृद्ध हो जाते हैं जितनी आपको जरूरत होती है कि आपके साथ कोई समय बिताए वैसे ही एक छोटे बच्चों को भी आवश्यकता होती है उनके माता-पिता उनके साथ समय बताएं! कोशिश कीजिए जब आपको आपके बच्चे अपनी स्कूल की किताबों की कहानी सुनाएं तो आप सुने कभी आप उन्हें कहानी सुनाएं, कभी कुछ एक्टिविटीज घर में करिए, साथ में मिलकर प्रोजेक्ट बनाएं, कभी-कभी साथ में खेले, कोशिश कीजिए बहुत से कार्य को खेल-खेल में, हंसी खुशी, एक वक्त साथ में बिताते हुए उनको बड़ा करें।
जीवन में धन करियर शिक्षा के साथ साथ अपनों का साथ भी जरूरी होता है। अगर आप उनको टॉपर बनने के लिए फोर्स करते हैं तो हो सकता है उनके अंदर कोई कला रुचि या बहुत से विचार है जो शायद हार जाएंगे। उनका साथ दीजिए, उन्हें कहिए हमें अच्छे अंक लाने हैं, कोशिश करनी है, जरूरी नहीं कि टॉप ही करें पर हारना नहीं है और अगर हार भी गए तो मैं तुम्हारे साथ हूं। यह विश्वास दीजिए बहुत से बच्चे इसी डिप्रेशन और इस प्रेशर में आकर कभी-कभी आत्महत्या तक कर लेते हैं।
टॉपर बनने की आदत और कभी ना हारने की आदत बहुत कुछ छीन लेती है जीवन में हम हर चीज में टॉपर हो ही नहीं सकते। कहीं ना कहीं हमें हार और जीत अवश्य मिलती है! पर अगर मन हारा तो सब हारा! हमारा मानसिक संतुलन, मानसिक विकास, स्वास्थ्य आदि पर इसका बहुत प्रभाव पड़ता है। हमें बच्चों की खुशी का ध्यान रखना, अत्यंत आवश्यक है, स्वयं के लिए, समाज के लिए, उनके खुद के लिए, बहुत सारी बार, बच्चे पढ़ाई में तो अच्छे होते हैं पर स्पोर्ट्स में उनकी बिल्कुल रुचि नहीं होती। अपनों के साथ बैठकर दो बातें करने में उन्हें तकलीफ होने लगती है। इन सभी का कारण है कि वह सिर्फ एक ही कार्य में पूरी तरह से व्यस्त हैं।
जीवन में संतुलन होना अत्यंत आवश्यक है, देखिए कहीं उनका स्वास्थ्य तो नहीं नजरअंदाज हो रहा है, नजरअंदाज होने से यह तात्पर्य है, कहीं उनकी शारीरिक गतिविधियां तो नहीं कम हो रही है, मानसिक विकास के साथ-साथ, शारीरिक विकास होना अत्यंत आवश्यक है और वह शारीरिक गतिविधियों से ही होती है ना कि पूरे दिन चारदीवारी में बैठकर किताबें पढ़ने से। अगर उनकी बचपन में शारीरिक गतिविधियों में थोड़ी भी रुचि नहीं आई तो बड़े होकर वह मोटापा, डायबिटीज बहुत सी बीमारियों से जूझते रहेंगे।
हफ्ते में या रात को सोते वक्त कुछ समय जरूर ऐसा निकाले, जिसमें आप वह सब सुने, जो आपको वह बताना चाहते हो। याद रखिए बहुत सी बातें सिर्फ बच्चे अपने माता-पिता को ही बता सकते हैं और अगर आप उनको समय नहीं देते तो वह जिंदगी भर जूझते रहेंगे। हम सभी के पास आज भी बहुत से दोस्तों की बातें आती है कि मेरे साथ बचपन में यह हुआ था, मैं आज तक उस तकलीफ में हूं। अगर बचपन में वह अपने माता पिता को बता देते तो सोचिए और ज्यादा विकास कर सकते थे। हमने बहुत ही बार देखा है जो बच्चे टॉपर होते हैं उनमें से बहुत से बच्चे आने वाले वक्त में एक साधारण जीवन बिता रहे होते हैं पर वही जब आप देखेंगे जो बच्चे एवरेज मार्क्स लाते हैं, वह बड़े होकर कुछ ऐसा कर जाते हैं कि हम आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
इसका पूरा पूरा श्रेय उन माता-पिता को जाता है जिन्होंने उन पर विश्वास किया, उनके साथ वक्त बिताया, उनकी काबिलियत को समझा। यही कार्य कभी-कभी शिक्षक भी कर जाते हैं, उनके साथ वक्त बिता कर, उनकी काबिलियत को समझ कर, उन्हें सही रहा, मानसिक तनाव से मुक्त और अच्छी सलाह देते हैं। आज टॉपर बनने के चक्कर में अपनी पढ़ाई में ही नहीं, जो आदत उन्हें बचपन से मिली तो बड़े होकर करियर में टॉपर बनने की भी इच्छा है। अब इनका मानसिक व्यक्तित्व बस इन्हें टॉपर बनने की सलाह देता है।