शिक्षा की व्यवस्था संविधान की समवर्ती सूची में है और अधिकांश विद्यालय/उच्च शिक्षण संस्थान संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। केंद्र सरकार और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश, ग्रामीण एवं वंचित विद्यार्थियों सहित देश के छात्रों व छात्राओं की शैक्षिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित होने वाली विभिन्न योजनाओं/परियोजनाओं/कार्यक्रमों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ जोड़ा गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी विद्यार्थी जन्म या पृष्ठभूमि की परिस्थितियों के कारण सीखने तथा उत्कृष्टता प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रहे। इस नीति में सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ भौगोलिक पहचान जैसे कि गांवों, छोटे शहरों और आकांक्षी जिलों तथा अन्य श्रेणियों के विद्यार्थियों को शामिल किया गया है। इस नीति का उद्देश्य पहुंच, भागीदारी और सीखने के परिणामों में सामाजिक श्रेणी के अंतर को समाप्त करना है।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 2018-19 से स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत केंद्र प्रायोजित योजना-समग्र शिक्षा लागू की है। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिशु विद्यालय से लेकर कक्षा 12 तक के सभी बच्चों को एक समान एवं समावेशी कक्षा वातावरण के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाए, जिसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं तथा विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखा जाए और उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाया जाए। समग्र शिक्षा सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को विभिन्न गतिविधियों को पूरा करने हेतु सहायता प्रदान करती है, जैसे कि अनुकूल शिक्षण वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से प्रत्येक विद्यालय को समग्र स्कूल अनुदान, पुस्तकालय, खेल व शारीरिक गतिविधियों के लिए अनुदान, पात्र विद्यार्थियों को निःशुल्क वर्दी और पाठ्यपुस्तकें, राष्ट्रीय आविष्कार अभियान में सहायता, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा डिजिटल पहल, स्कूल नेतृत्व विकास कार्यक्रम, शैक्षणिक रूप से कमजोर छात्रों-छात्राओं की सुधारात्मक शिक्षण आदि की व्यवस्था करना। समग्र शिक्षा के अंतर्गत, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को ग्रामीण और वंचित विद्यार्थियों के साथ-साथ सभी बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विस्तार के लक्ष्य के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसमें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की स्थापना, उन्नयन एवं संचालन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालयों की स्थापना और संचालन, पीएम-जनमन के तहत छात्रावासों की स्थापना आदि शामिल हैं। इसके अलावा, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए छात्र-उन्मुख घटक के अंतर्गत, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान एवं मूल्यांकन के उद्देश्य से वित्तीय सहायता, सहायक उपकरण, ब्रेल किट तथा पुस्तकें, उपयुक्त शिक्षण सामग्री और दिव्यांग छात्राओं को अलग से भत्ता आदि प्रदान किया जाता है।
समग्र की एकीकृत योजना को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ भी जोड़ा गया है, ताकि विभिन्न उपायों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया जा सके, जैसे कि नए शैक्षणिक एवं पाठ्यचर्या संरचना का प्रारंभ, शुरुआती बाल्यावस्था देखभाल के साथ शिक्षा, आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता तथा विद्यार्थियों के विकास के लिए मूल्यांकन में परिवर्तन, अनुभवात्मक व योग्यता आधारित शिक्षा आदि।
उच्च शिक्षा विभाग ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार करने के लक्ष्य के साथ विभिन्न उपाय किए हैं जैसे कि अत्यंत आवश्यक लचीलापन प्रदान करना, विषयों के रचनात्मक संयोजन की अनुमति देना, कई अवसर उपलब्ध कराना, राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ), राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता ढांचा, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी), बहु प्रवेश/निकास के माध्यम से विद्यार्थियों की सहायता में समतुल्यता एवं गतिशीलता स्थापित करना; भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम व पुस्तकों/पाठ्यक्रम सामग्री की पेशकश; शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करने तथा विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रशासन व व्यवस्था के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग; शिक्षार्थियों को स्वयं मंच से 40 प्रतिशत क्रेडिट पाठ्यक्रम का लाभ उठाने की अनुमति देना; प्रशिक्षुता प्राप्त करने के उद्देश्य से औद्योगिक अकादमिक सहयोग और औद्योगिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लक्ष्य के साथ पाठ्यक्रम तथा पाठ्यचर्या विकसित करना, उद्योग-अनुरूप पाठ्यक्रमों की पेशकश करना; शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करना आदि।
उच्च शिक्षा विभाग ने शैक्षिक रूप से अप्रयुक्त/वंचित क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लक्ष्य के साथ 2023-24 से 2025-26 की अवधि के लिए 12926.10 करोड़ रुपये के परिव्यय को लेकर जून, 2023 में प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) के रूप में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) के तीसरे चरण का शुभारंभ किया है। यह एक केन्द्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों सहित विशिष्ट राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को वित्तपोषित करना है, ताकि निर्धारित मानदंडों और मानकों के अनुरूप उनकी गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।
पीएम-उषा कार्यक्रम के तहत फोकस वाले जिलों को प्राथमिकता दी जाती है। इन जिलों की पहचान संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा विभिन्न मानदंडों के आधार पर की जाती है, जिसमें निम्न सकल नामांकन अनुपात, लिंग समानता, जनसंख्या अनुपात एवं महिलाओं, किन्नरों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए नामांकन अनुपात, आकांक्षी/सीमावर्ती क्षेत्र/वामपंथी उग्रवाद से ग्रस्त जिले आदि शामिल हैं। यह जानकारी शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।