सरकार ने मार्च 2019 में पीएम-कुसुम योजना शुरू की। पीएम-कुसुम योजना की शुरुआत जनवरी 2024 में हुई है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को ऊर्जा और जल सुरक्षा प्रदान करना, उनकी आय बढ़ाना, कृषि क्षेत्र को डीजल मुक्त करना और पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।
पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को लाभान्वित करने वाले तीन घटक निम्नलिखित हैं:-
घटक-ए: किसान अपनी ज़मीन पर 2 मेगावाट की क्षमता तक के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/स्टिल्ट माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड सोलर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित पावर प्लांट लगा सकते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा पावर प्लांट (आरईपीपी) किसान अपनी ज़मीन पर सीधे खुद या किसानों के समूह/सहकारी समितियों/पंचायतों/किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)/जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए) के साथ साझेदारी में या डेवलपर के माध्यम से लगा सकते हैं। इन पावर-प्लांट से उत्पन्न नवीकरणीय बिजली को डिस्कॉम द्वारा पहले से तय स्तरीकृत टैरिफ पर खरीदा जाता है। यदि किसान डेवलपर को अपनी ज़मीन पट्टे पर देते हैं तो वे लीज़ रेंट के लिए भी पात्र हैं।
डिस्कॉम वाणिज्यिक संचालन तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए खरीदी गई प्रति यूनिट 0.40 रुपये या स्थापित क्षमता के प्रति मेगावाट 6.6 लाख रुपये, जो भी कम हो, की दर से प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई) प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। डिस्कॉम, यदि चाहें तो, इस घटक के तहत केंद्र सरकार द्वारा उन्हें दिए गए पीबीआई को आरईपीपी मालिक को दे सकते हैं ताकि आरई बिजली का अधिक प्रतिस्पर्धी टैरिफ प्राप्त किया जा सके।
घटक-बी: इस घटक के अंतर्गत किसान सिंचाई के लिए स्टैंड-अलोन सोलर एग्रीकल्चर पंप लगा सकते हैं। सरकार स्टैंड-अलोन सोलर एग्रीकल्चर पंप के लिए 30% (या पूर्वोत्तर क्षेत्र/पहाड़ी क्षेत्र/द्वीपों के लिए 50%) की केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करती है।
घटक-सी: यह घटक अपने व्यक्तिगत पंप सोलराइजेशन (आईपीएस) मोड के तहत ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सोलराइजेशन और कृषि भार के फीडर लेवल सोलराइजेशन (एफएलएस) को भी सक्षम बनाता है। सरकार घटक-सी के तहत आईपीएस और एफएलएस दोनों के लिए 30% (या पूर्वोत्तर क्षेत्र/पहाड़ी क्षेत्र/द्वीपों के लिए 50%) की केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करती है। यह किसानों को दिन के समय सुनिश्चित सौर ऊर्जा प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
30 जून 2024 तक पीएम-कुसुम योजना के माध्यम से देश में लाभान्वित किसानों की कुल संख्या 4,11,222 है। उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 29 जून 2024 तक पीएम-कुसुम ने राज्य में 51,097 किसानों को लाभ प्रदान किया है।
पीएम-कुसुम योजना के घटक-बी और घटक-सी के तहत, भारत सरकार स्टैंडअलोन कृषि पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सौरीकरण के लिए 30% (या पूर्वोत्तर क्षेत्र/पहाड़ी क्षेत्र/द्वीपों के लिए 50%) की केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करती है। यह जानकारी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
पीएम-कुसुम योजना के लाभ
- लागत बचत: किसान अपनी कृषि आवश्यकताओं के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली और डीजल की लागत बचाते हैं।
- पर्यावरण लाभ: सौर ऊर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन कम होता है और स्वच्छ, हरित कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलता है।
- आय सृजन: किसान उत्पादित अतिरिक्त सौर ऊर्जा को बेच सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत मिल सकता है।
- ऊर्जा स्वतंत्रता: यह योजना किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाती है, जिससे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों और ग्रिड पर उनकी निर्भरता कम होती है।
- कार्यान्वयन: इस योजना को राज्य नोडल एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। किसान और अन्य पात्र संस्थाएं इन एजेंसियों के माध्यम से योजना के तहत लाभ के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- वित्तपोषण: केंद्र सरकार सौर पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े पंपों के सौरकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। लागत-साझाकरण अनुपात आमतौर पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान के बीच 60:30:10 होता है।
पीएम-कुसुम योजना आवेदन कैसे करें
पीएम-कुसुम योजना का लाभ उठाने में रुचि रखने वाले किसान और अन्य हितधारक अपनी संबंधित राज्य नोडल एजेंसियों के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया और पात्रता मानदंड राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए विस्तृत जानकारी के लिए स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करना उचित है।
पीएम-कुसुम योजना एक परिवर्तनकारी पहल है जिसका उद्देश्य किसानों को टिकाऊ और लागत प्रभावी ऊर्जा समाधान प्रदान करके सशक्त बनाना है। कृषि में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देकर, यह योजना न केवल किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा और लागत बचत सुनिश्चित करती है, बल्कि भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों और पर्यावरणीय स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।