Visva Bharati University Convocation 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 19 फरवरी 2021 को सुबह 11 बजे विश्वभारती विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह 2021 को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं, बल्कि समाज की, देश की हर एक भावी पीढ़ियों की भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान अपकी स्किल एक समाज, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है।
पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें
इस हैकाथॉन ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के अभिनव समाधानों को देखा। ये नवाचार हमारे देशों को परिपत्र अर्थव्यवस्था समाधान लेने के लिए प्रेरित करेंगे। अब हमें इन विचारों को स्केल करने और इनक्यूबेट करने के तरीके भी तलाशने चाहिए। परिपत्र अर्थव्यवस्था की अवधारणा हमारी कई समस्याओं को हल करने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, कचरे को खत्म करना और संसाधन दक्षता में सुधार करना हमारी जीवन शैली का हिस्सा बनना चाहिए।
गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी हैं, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना, मेरे लिए प्रेरक भी है और आनंददायक भी है। इस बार तो कुछ समय के अंतराल पर मुझे दूसरी बार ये मौका मिला है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता पिता को और गुरुजनों को मैं बहुत बहुत बधाई और अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया। गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का।
गुरुदेव कहते थे - हे श्रमिक साथियों, जानकर साथियों, हे समाजसेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक साथियों। आइये समाज की मुक्ति के लिए मिलकर प्रयास करें। जिस प्रकार सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, रहना जरूरी होता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति जिम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति है।
आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं, बल्कि समाज की, देश की हर एक भावी पीढ़ियों की भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान अपकी स्किल एक समाज, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है। विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गयी थी। ज्ञान की Creativity की कोई सीमा नहीं होती है, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए। गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने, उन्हें आधुनिक बनाने का एक माध्यम थीं।
हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों Journals की फ्री एक्सेस अपने Scholars को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Gender Inclusion Fund की भी व्यवस्था की गई है।
प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे हैं। दीक्षांत समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और विश्वभारती के रेक्टर, जगदीप धनखड़, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और शिक्षा के लिए केंद्रीय एमओएस संजय धोत्रे शामिल हैं। इस साल दीक्षांत समारोह में कुल 2,535 छात्र अपनी डिग्री प्राप्त करेंगे। दीक्षांत समारोह को शिक्षा मंत्री और प्रधान मंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के माध्यम से छात्रों और अन्य लोगों द्वारा लाइव देखा जा सकता है। दीक्षांत समारोह दूरदर्शन द्वारा कवर किया जाएगा और टेलीविजन पर भी देखा जा सकता है।
पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना 1921 में रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। यह देश के सबसे पुराने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। यह मई 1951 में था, संसद के एक अधिनियम द्वारा विश्व-भारती विश्वविद्यालय को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपोर्टेंस 'घोषित किया गया था।