नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज 'एक राष्ट्र एक शिक्षा बोर्ड' की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया और साथ ही केंद्र सरकार से संपर्क करने का निर्देश दिया है। भाजपा नेता प्रवेशिनी उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर दो राष्ट्रीय स्तर के बोर्ड, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और भारतीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (ICSE) को मर्ज करके 6 से 14 वर्ष के बीच के बच्चों के लिए एक समान पाठ्यक्रम की मांग की थी।
यह अदालत का काम नहीं
याचिका को नीतिगत मामले के रूप में खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति डीयू चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में याचिकाकर्ता प्रवेशिनी उपाध्याय को कहा कि ऐसे फैसले अदालत द्वारा नहीं लिए जा सकते। अदालत ने पूछा कि आप अदालत से एक बोर्ड को दूसरे के साथ विलय करने के लिए कैसे कह सकते हैं? यह अदालत का काम नहीं है। आप इसके सन्दर्भ में सरकार से सम्पर्क कर सकते हैं।
देश के टॉप बोर्ड कौनसे हैं
कई लोगों ने पहले एक राष्ट्र एक शिक्षा बोर्ड का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया है और यहां तक कि देश के विभिन्न हिस्सों से कड़ी प्रतिक्रिया का भी आह्वान किया गया है। वर्तमान में, भारत में तीन राष्ट्रीय स्तर के बोर्ड हैं जैसे सीबीएसई, आईसीएसई और एनआईओएस जो एक राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय बोर्ड है। इसके अलावा, देश के हर राज्य में एक शिक्षा बोर्ड है। कुछ राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल आदि में दो अलग-अलग बोर्ड हैं। इनके अलावा, कई राज्यों में अलग-अलग ओपन बर्ड हैं और देश में कई मदरसा बोर्ड भी हैं।
राष्ट्रीय बोर्ड एनसीईआरटी
राष्ट्रीय बोर्ड एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के लिए निर्धारित करते हैं, जबकि राज्य बोर्ड संबंधित राज्य के एससीईआरटी पाठ्यक्रम को डिज़ाइन करते हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, राज्य बोर्डों ने कक्षा 9 से 12 के लिए निर्धारित एनसीईआरटी सिलेबस में पाठ्यक्रम को संरेखित करने की मांग की है। तथ्य यह है कि अधिकांश राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा एनसीईआरटी सिलेबस पर आधारित है, जिसने इस कदम को प्रेरित किया है। उत्तर प्रदेश ने पहले ही यूपीएमएसपी राज्य बोर्ड के लिए एनसीईआरटी को सफलतापूर्वक अनुकूलित कर लिया है।