Kargil Vijay Diwas 2023: मिलिए ताशी नामग्याल से जिनका याक कारगिल के लिए रामबाण

Tashi Namgyal The Shepherd, Who Warned The Army About The Kargil War: भारतीय सेना के इतिहास में वो काला दिन जिसे जन्मों जन्मांतर तक याद रखा जाएगा। देश में ऐसा पहली बार हुआ था जब शांति की स्थापना के लिए कोई प्रधानमंत्री पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ शांति वार्ता की घोषणा पर चर्चा और हस्ताक्षर कर आए थे। लेकिन कुछ महीनों के बाद दोनों देशों के बीच की गई सौहार्द की उम्मीद न उम्मीद में बदल जाए तो जरा सोचिए क्या होगा।

दरअसल हम बात कर रहे हैं वर्ष 1999 में घटित हुए उस युद्ध की जिसेक नायक विक्रम बत्रा को माना जाता है। जी हां, आपने सही समझा हम बात कर रहे हैं कारगिल युद्ध की। जब उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर की यात्रा की और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ शांति वार्ता की और घोषणा पर हस्ताक्षर भी किए, लेकिन कहते हैं न कि पाक की नापाक सेना को शांति और सौहार्द की बात समझ नहीं आती।

Kargil Vijay Diwas 2023: मिलिए ताशी नामग्याल से जिनका याक कारगिल के लिए रामबाण

दरअसल, 1999 में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीरियों के भेष में एलओसी (Loc) को पार कर कारगिल में स्थिति भारतीय चैकियों पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया। लेकिन इन सभी के बीच सवाल ये उठता है कि इसकी जानकारी भारतीय सेना को सबसे पहले किसने दी।

बता दें की जिसे हम आज कारगिल युद्ध के नाम से जानते हैं, इसकी जानकारी आज से 24 वर्ष पहले एक स्थानीय चरवाहे ताशी नामग्याल द्वारा 2 मई 1999 में दी गई थी। तो आइए जानते हैं ताशी नामग्याल के बारे में और कैसे पता लगा उन्हें पाकिस्तानियों की घुसपैठ के बारे में...

ताशी नामग्याल की याक की कहानी

ताशी नामग्याल लद्दाख क्षेत्र के कारगिल शहर से लगभग 60 किमी दूर बटालिक शहर के पास घरकोन नामक एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। जो आज 60 वर्ष के हैं। ताशी को पाकिस्तानियों की घुसपैठ के बारे में जानकारी मिलते ही उन्होंने बिना कुछ सोचे भारतीय आर्मी को इसकी जानकारी दी। बात है 2 मई 1999 की, जब ताशी नामग्याल याक की तलाश पर निकले थे।

उन्होंने बताया कि वह याक के शिकार के लिए दूरबीन से क्षेत्र का निरीक्षण कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने छह लोगों को पत्थर तोड़ते और बर्फ को साफ करते हुए देखा था। ताशी के लिए घटना असामान्य थी। क्योंकि उसने घटनास्थल पर जाते हुए पैरों के निशान रास्ते में नहीं देखें। साथ ही उन लोगों ने पठानी और सेना की वर्दी में देखा था। इसके साथ ही ताशी ने उनमें से कुछ लोगों के पास हथियारों को भी देखा। ये युद्ध की शुरुआत थी।

ताशी ने इस असामान्य घटना की जानकारी तुरंत पंजाब रेजिमेंट के सेना के जवान को दी। शुरुआत में उनकी बात को थोड़ा अनसुना किया गया, क्योंकि कुछ ही देर पहले सेना का गश्ती दल वहां से वापस लौटा था। लेकिन ताशी ने इस बात जोर दिया। जिसके बाद सेना ने क्षेत्र की स्क्रीनिंग के लिए आदेश दिए और सेना के 20 से 25 जवानों को ताशी के साथ भेजा गया। क्षेत्र की स्क्रीनिंग के दौरान ये बात सामने आ गई कि पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयारी कर रहा है।

युद्ध की जानकारी मिलते ही। भारतीय सेना तेजी से आगे बढ़ी ताकि होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं। ताशी द्वारा दी जानकारी के 8 दिन के बाद युद्ध की शुरुआत हुई।

युद्ध के दौरान ताशी ने क्या किया

युद्ध की जानकारी के बार ताशी और उनका परिवार खालसी गांव की ओर चले गए। क्योंकि कारगिल तोपों और गोलियों की बारिश हो रही थी। इसके साथ ही ताशी ने ये भी बताया कि किस प्रकार स्थानियों लोगों ने सेना की सहायता हथियार लाने में की थी। अपने परिवार को एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद किस प्रकार वह सेना की सहायता करने के लिए हथियारों को ऊंचे पहाड़ों पर ले गए थे।

इस प्रकार ताशी नामग्याल द्वारा दी गई जानकारी ने एक भारी नुकसान को तो रोका ही रोका साथ ही पूरे लद्दाख को भी बचाया। याक की तलाश में प्राप्त की उनकी इस खुफिया जानकारी के कारण ही भारत ने युद्ध पर सही समय पर नियंत्रण प्राप्त किया और आज देश कारगिल युद्ध में प्राप्त विजय को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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English summary
Tashi Namgyal The Shepherd, Who Warned The Army About The Kargil War: What we know today as the Kargil War, its information was given 24 years ago by Tashi Namgyal, a local shepherd, on 2 May 1999. Due to the intelligence given by him, India prepared for the war in time and also won the war. Let us tell you how Tashi Namgyal contributed to the war.
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