Haryana News: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित एचएसएससी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा को आवेदकों ने सरकार और आयोग पर गड़बड़ी और भेदभाव का आरोप लगाया है। आवेदकों ने कहा कि आयोग ने 524 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया से पहले अंकों का क्राइटेरिया नहीं बताया। 2019 में निकली हरियाणा असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में खेल कोटे के अंकों में बदलाव किया है। इस मामले को लेकर आवेदक कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं। यदि आवेदक हरियाणा असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती अंक क्राइटेरिया मामले को लेकर कोर्ट में जाते हैं तो यह भर्ती प्रक्रिया अटक जाएगी।
हरियाणा में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इसका एक बड़ा कारण भर्तियों का कोर्ट में जाकर अटकना भी है। जो भी भर्तियां कोर्ट में जाकर अटक रही हैं, उनमें से ज्यादातर में आयोग या सरकार की कमी या फिर बार-बार नियमों का बदलना एक प्रमुख कारण रहा है। इसी वजह से एक और भर्ती जल्द कोर्ट में जाकर अटकने वाली है। 2019 में शुरू हुई 524 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद विवादों में आ गई है।
आवेदक भर्ती को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। अगर आवेदक कोर्ट में याचिका लगाते हैं तो भर्ती का अटकना लगभग तय है। आवेदकों के कोर्ट जाने का कारण भर्ती के नियम शुरुआत से स्पष्ट न होना और भर्ती प्रकिया के दौरान नियमों का बदलना है। आवेदकों ने आरोप लगाए हैं कि हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमिशन ने पहले भर्ती के सभी नियम स्पष्ट नहीं किए। बाद में बार-बार आरटीआई लगाकर पता किया तो नियमों में बदला मिला। आवेदक भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगा जांच करवाने की भी मांग कर रहे हैं।
आयोग ने वर्ष 2019 में अलग-अलग विषयों की असिस्टेंट प्रोफेसर के 524 पदों की भर्ती निकाली थी। भर्ती के लिए 50 प्रतिशत अंक पेपर, 37.5 प्रतिशत अंक एकेडमिक और 12.5 प्रतिशत अंक इंटरव्यू के लिए तय थे। एकेडमिक के 37.5 प्रतिशत अंकों में क्राइटेरिया स्पष्ट नहीं था कि किस-किस पॉइंट पर कितने अंक मिलेंगे। इसके लिए आवेदकों ने बार-बार आरटीआई लगाई तो आयोग कि तरफ से जवाब दिया गया कि अभी कुछ नहीं बता सकते। भर्ती पूरी होने पर ही क्राइटेरिया स्पष्ट करेंगे।
मामले को लेकर विवाद हुआ और राजनीतिक पार्टियों आदि ने मुद्दा उठाया तो आयोग ने क्राइटेरिया स्पष्ट किया और इसमें 6.5 प्रतिशत अंक स्पोर्ट्स के भी थे। साथ ही कहा था कि सभी विषयों के लिए क्राइटेरिया एक जैसा रहेगा। स्पोर्ट्स के 6.5 प्रतिशत अंक के लिए कॉमनवेल्थ, एशियाड या ओलिंपिक में मेडल होना जरूरी था।
प्रक्रिया होने के बाद जब परिणाम आया तो उसमें काफी बच्चों को एकेडमिक के 35-35 अंक दिए हुए थे। ऐसे में विवाद हुआ कि ऐसे आवेदक कौन से हैं, जिन्होंने एम-फील, पीएचडी भी कर रखी है, रिसर्च पेपर भी आए हुए हैं और इंटरनेशनल मेडल भी जीत रखा है।
एकेडमिक अंकों पर विवाद हुआ तो आयोग की तरफ से पत्र जारी कर दिया गया और उसमें 8 और 9 अक्टूबर के टेस्ट वालों के क्राइटेरिया में स्पोर्ट्स के 6.5 प्रतिशत अंक का क्राइटेरिया शामिल ही नहीं था। इसमें फिजिकल एजुकेशन का विषय भी शामिल था।
आवेदकों का सवाल है कि भर्ती प्रक्रिया के दाैरान नियम क्यों बदले गए। जब पहले कहा गया था कि सभी विषयों के लिए एक जैसा क्राइटेरिया रहेगा तो बाद में इसे क्यों बदला। दूसरा सवाल है कि लोक प्रशासन और इंग्लिश जैसे विषयों में स्पोर्ट्स के अंक रखे गए हैं और फिजिकल एजुकेशन में नहीं। यह भेदभाव क्यों हुआ।
भर्तियों के मुद्दों को लगातार उठाने वाली श्वेता ढुल ने बताया कि आयोग हर बार ऐसे ही बीच में नियमों को बदला है, जिससे भर्ती कोर्ट में जाकर अटक जाती है। भर्ती प्रक्रिया के बीच में क्राइटेरिया बदलने जाने के चलते कोर्ट के आदेश पर पहले ही पीटीआई और ड्राइंग टीचर की भर्ती रद्द हो चुकी है। असिस्टेंट प्रोफेसर की जो भर्ती 3 साल से चल रही है अब आयोग की लापरवाही के चलते फिर से अटक सकती है।