कर्नाटक के उडुपी जिले में हिजाब प्रतिबंध को लेकर चल रहे विवाद के बीच कई कॉलेजों और स्कूलों ने तीन दिन की छुट्टी की घोषणा की है। कर्नाटक उच्च न्यायालय 'हिजाब प्रतिबंध' के संबंध में दायर याचिका पर आज 9 फरवरी 2022 को सुनवाई करेगा। हालांकि राज्य सरकार से अनुमति के बाद शिक्षा विभाग ने छात्रों के लिए एक समान ड्रेस कोड का आदेश जारी किया है। जिसके बाद से कर्नाटक में दो समुदायों के बीच विरोध जारी है और कई स्कूल कॉलेजों ने तत्काल परिसर को बंद कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन पर लगाया गया प्रतिबंध भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 में वर्णित धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने छात्रों से कॉलेजों में एक ड्रेस कोड नियम का पालन करने को कहा है। सीएम के आदेश के बाद उडुपी जिले के एक कॉलेज ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को परिसर में आने की अनुमति दी, लेकिन उन्हें एक अलग कमरे में बैठाया। सीएम बोम्मई ने कहा कि 5 फरवरी को जारी सर्कुलर का पालन तब तक किया जाना चाहिए, जब तक उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर फैसला न करे। सभी छात्र सर्कुलर का पालन करें और शांति बनाए रखें।
बता दें कि कर्नाटक के उडुपी में सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद का मामला ठंडा नहीं हो रहा है। मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी इस मामले पर कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित ने कहा कि आंदोलन, सड़कों पर आना, नारेबाजी करना और छात्रों का एक-दूसरे पर हमला सही नहीं है। यह मामला कानून और तर्क की कसौटी पर देखा जाएगा, जुनून या भावनाओं से नहीं। कोर्ट संविधान से चलता है। मेरे लिए संविधान श्रीमद्भगवतगीता से ऊपर है। बुधवार को फिर सुनवाई होगी।
कर्नाटक हाईकोर्ट में कुछ मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पर लगी रोक के खिलाफ याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हिजाब मुस्लिम संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस पर कोर्ट ने पवित्र कुरान की प्रति मांगी है। कुरान की आयत 24.31 और 24.33 सिर पर दुपट्टा रखने को जरूरी बताती है। वहीं कर्नाटक सरकार के वकील जनरल ने कहा कि मामले से ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि राज्य सरकार कठोर रवैया अपना रही है। सरकार का मामले में दखल नहीं दे रही है।
उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म चुनना स्कूल-कॉलेजों के अपने अधिकार क्षेत्र का मामला है। जिन छात्रों को हिजाब को लेकर परेशानी है वह अपने कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी से संपर्क कर सकते हैं। जबकि कामत ने कहा कि हिजाब पहनना अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत मूल अधिकार है। यह निजता के अधिकार का भी पहलू है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 के हिस्से के रूप में मान्यता दी है। जस्टिस दीक्षित ने कहा कि इस मामले में जो फैसला होगा, वह सभी याचिकाओं पर लागू होगा। सभी से अपील है कि शांति बनाए रखें। सभी पक्ष की बात सुनी जाएगी।