Happy New Year 2023: विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में साल 2022 में देश ही नहीं पूरी दुनिया में जहां कई शानदार सफलताएं हासिल हुईं, वहीं अनेक नई शुरुआतें हुईं, जिनके परिणाम आने वाले वर्षों में देखने को मिलेंगे। खासतौर पर यह साल स्पेस साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की फील्ड में हासिल की गई कामयाबियों के लिए याद किया जाएगा। आइए जानते हैं बीते साल में साइंस एंड टेक्नोलॉजी में भारत की उपलब्धियों के बारे में।
विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में बीत रहा वर्ष देश के लिए कई उपलब्धियों वाला रहा। हमारे द्वारा कराए गए पेटेंट की संख्या बढ़ी तो आईआईटी के ऑफसेट कंपेंसेटेड डाटा सेंसिंग टेक्निक फॉर लो एनर्जी एंबेडेड एसआरएएम जैसे कई शोध और सुधार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्ज किए गए। कृषि, यातायात, जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारतीयों ने तमाम ऐसे तरीके विकसित किए, जो सुर्खियों के सबब बने। इस बरस हमने 5 जी का प्रवेश देखा तो देश की पहली डिजिटल मुद्रा का भी।
वास्तविक और आभासी डिजिटल दुनिया के बीच की दूरी मिटाने वाले मेटावर्स का आगमन, नॉन फंजिबल टोकन यानी एनएफटी की तेज बढ़त और अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई सफल शुरुआत भी। सेना में स्वदेशी शस्त्र (वेपन), फाइटर ड्रोन की बात हो या रेलवे में कवच प्रणाली लागू करना, तकनीक संबंधी बहुत से हमने इस साल हासिल किए। तकनीक और विज्ञान क्षेत्र में देश की गति देखकर यह लगा कि सस्ते ड्रोन और रोबोट बनाने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, एज कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी, ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और साइबर सिक्योरिटी जैसी तकनीक के लिए हम वैश्विक मुकाबले के लिए धीरे-धीरे ही सही मजबूती से तैयार हो रहे हैं।
चांद की ओर बढे कई कदम
बीत रहे साल में अलग-अलग एजेंसियां और सरकारों ने तकनीकी दक्षता की ऊंचाइयां जताने के लिए चांद को गंतव्य बनाया। अमेरिका, रूस, चीन, भारत के अलावा दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, जापान जैसे देशों के लिए यह साल चांद की ओर शुरुआती कदमों का रहा। कुछ अड़चनों के बाद संयुक्त अरब अमीरात का पहला लूनर मिशन 'राशिद' अमेरिका के फ्लोरिडा से प्रस्थान कर गया तो वहीं केप केनेडी स्पेस सेंटर पर जापानी स्पेस स्टार्टअप आईस्पेस इंकॉर्पोरेटेड कंपनी द्वारा निर्मित लूनर मिशन 'हाकुतो आर' को लॉन्च किया गया। इस मिशन की लॉन्चिंग दो बार टल गई थी।
इस साल रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस का 'लूना-25' लैंडर मिशन लॉन्च नहीं हो पाया। अब रूसी स्पेस एजेंसी का दावा है वो अगले साल इसे लॉन्च करेगा। हां, दक्षिण कोरिया का पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर मिशन 'दानूरी' इसी साल के आखिर में चांद की ओर रवाना हुआ। अमेरिका की सरकारी स्पेस एजेंसी नासा का 16 नवंबर को कैनेडी स्पेस सेंटर से चंद्रमा की ओर चला 'आर्टेमिस मिशन' का पहला चरण आर्टेमिस - 1 तो दिसंबर में वहां पहुंचकर लौट भी आया। दस साल के भीतर चांद पर बस्तियां बसाने के लक्ष्य के लिए यह वर्ष प्रस्थान बिंदु माना जाएगा। भारत की भी योजना चंद्रयान- 3 लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर भेजने की थी लेकिन यह मिशन अब अगले साल प्रक्षेपित होगा।
स्पेस रिसर्च में स्टार्टअप का कमाल
अंतरिक्ष के क्षेत्र में हर बार की तरह इस बार भी देश ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब 'प्रारंभ' अभियान के तहत श्रीहरिकोटा से स्वदेशी अंतरिक्ष स्टार्ट-अप द्वारा विकसित 'विक्रम-एस' रॉकेट के जरिए तीन उपग्रहों को कक्षा में 18 नवंबर को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। दो साल पहले अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश के बाद अब मानना होगा कि अंतरिक्ष अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए इससे नए रास्ते खुले । प्रमाण है कि बीत रहे साल देश में 102 स्पेस टेक्नोलॉजी रिलेटेड स्टार्ट-अप एक्टिव थे, जो रॉकेट प्रक्षेपण अंतरिक्ष में वेस्ट मैनेजमेंट, नैनो-सैटेलाइट स्थापित करने जैसे बहुत-सी तकनीकी कार्य कर रहे हैं, जिससे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में विदेशी निवेश के रास्ते खुल गए हैं। इस साल इस बात का साफ संकेत मिला कि 2028 तक स्पेस रिसर्च के 630 अरब डॉलर से ज्यादा के मार्केट में भारतीय कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी बनेगी।
निरंतर करने होंगे प्रयास
हालांकि डीएनए फिंगर प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स में भी हमने इस साल कुछ उपलब्धियां हासिल कीं। अंतरिक्ष और एटॉमिक क्षेत्रों में देश इतना आगे बढ़ा कि पोखरण ऑपरेशन और मंगल मिशन की सफलता के बाद इन क्षेत्रों में हम वैश्विक महाशक्तियों में से एक बन चुके हैं। अंतरिक्ष और परमाणु क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताओं के बावजूद परमाणु ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए हम आज भी दूसरे देशों पर निर्भर हैं। देश के 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की संख्या बढ़ाकर 16 करने पर इस साल से काम शुरू हुआ है। ग्लोबल इनोवेटिव इंडेक्स में 46वें स्थान पर भारत पहुंच चुका है, जबकि साल 2015 में हम 81वें स्थान पर थे। बावजूद इसके भारत में अपेक्षित संख्या में पेटेंट नहीं हो रहे।
भारत को रिसर्च और इनोवेशन का ग्लोबल सेंटर बनाने के लिए विज्ञान-तकनीक से जुड़े शोध को स्थानीय स्तर तक पहुंचाना होगा। इसके लिए वैज्ञानिकों के लिए मूलभूत अनुसंधान हेतु बड़ी और उच्चस्तरीय अत्याधुनिक सुविधाएं देनी होंगी। सरकार ने इससे संबंधित जिन योजनाओं की घोषणाएं की हैं, वे अपर्याप्त हैं और इस साल भी जमीन पर नहीं उतरीं। साल 2022 आजादी का अमृत महोत्सव का साल था। यह अमृतकाल दूसरे क्षेत्रों के अलावा विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी अतीत के स्मरण, वर्तमान को आंकने और भविष्य की योजना बनाने का साल था । बावजूद इसके इस तरफ सक्रियता कुछ कम ही देखी गई। कुल मिलाकर कुछ विफलताओं के बावजूद यह साल विज्ञान और तकनीक के लिए उपलब्धिकारक रहा।
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