Happy New Year 2023: कठिनाइयों के बीच ऐसे सिद्ध करें अपनी सार्थकता

Happy New Year 2023: आज का इंसान नकारात्मक को ओढ़े नानाप्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है,हर इंसान अपनी आदतों को लेकर परेशान है। ऐसा नहीं है कि आज का आदमी समय के साथ चलना न चाहे, बुरे आचरण एवं आदतों को छोड़कर अच्छी जिन्दगी क

Happy New Year 2023: आज का इंसान नकारात्मक को ओढ़े नानाप्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है,हर इंसान अपनी आदतों को लेकर परेशान है। ऐसा नहीं है कि आज का आदमी समय के साथ चलना न चाहे, बुरे आचरण एवं आदतों को छोड़कर अच्छी जिन्दगी का सपना न देखे, बुराई को बुराई समझने के लिये तैयार न हो। सोचना यह है कि हम गहरे में में संस्कारों एवं जड़ हो चुकी आदतों को कैसे दूर करें। जड़ तक कैसे पहुंचे। बिना जड़ के सिर्फ फूल-पत्तों का क्या मूल्य? अच्छा जीवन जीने एवं श्रेष्ठता के मुकाम तक पहुंचने के लिये अच्छी आदतों को स्वयं में सहेजना होगा, बाहरी अवधारणाओं को बदलना होगा, जीने की दिशाओं को मोड़ देना होगा। अंधेरा तभी तक डरावना है जब तक हाथ दीये की बाती तक न पहुंचे। जरूरत सिर्फ उठकर दीये तक पहुंचने की है।

Happy New Year 2023: कठिनाइयों के बीच ऐसे सिद्ध करें अपनी सार्थकता

विलियम जेम्स ने अपनी पुस्तक 'दि प्रिसिंपल ऑफ साइकोलॉजी' में मनोवैज्ञानिक ढंग से चर्चा करते हुए लिखा है-'अच्छा जीवन जीने के लिए अच्छी आदतों का बनाना जरूरी है। और अच्छी आदतों के निर्माण के लिए अभ्यास जरूरी है। यदि हम अभ्यास किए बिना ही यह चाहें कि हमारे आदतें बदल जाएं तो ऐसा कभी नहीं होगा। असफलता ही हाथ लगेगी।' उन्होंने अच्छी आदतों के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण सूत्र प्रस्तुत किया हैं कि अच्छी आदतें डालनी हों तो सबसे पहले अच्छी आदतों का चिन्तन करो, अभ्यास करो और बुरी आदतों को रोको। नकारात्मकता को छोड़ों।

अच्छी आदतें डालने के लिए शरीर को एक विशेष प्रकार का अभ्यास देना जरूरी है। क्योंकि शरीर की विशेष स्थिति का निर्माण किए बिना हमारी आदतें अच्छी नहीं हो सकतीं। स्नायुओं को हमने जो पहले से आदतें दे रखी हैं, उनको यदि हम नहीं बदलते तो वे एक चक्र की भांति चलती रहती हैं। ठीक समय आता है और मिठाई खाने की बात याद आ जाती है, क्योंकि हमने जीभ को एक आदत दे रखी है। ठीक समय आता है और स्नायु उस वस्तु की मांग कर लेते हैं। खाने की सोचने, विचार करने की, कार्य करने की जैसे आदत हम स्नायुओं में डाल देते हैं, वैसी आदत हो जाती है। जो लोग बहुत ऊंचे मकानों में रहते हैं, वे पहली बार जब सीढ़ियों से उतरते हैं तब बहुत सावधानी से उतरते हैं। दूसरी-तीसरी बार उतरते हैं तो सावधानी कम हो जाती है और जब सौवीं बार उतरते हैं तो कोई सावधानी की जरूरत नहीं होती। पैर अपने आप एक-एक सीढ़ी उतरते हुए नीचे आ जाते हैं। चलने के साथ मन को जोड़ने की वहां आवश्यकता नहीं होती। टाइप करने वाले प्रारंभ में अक्षरों को देख-देखकर टाइप करना सीखते हैं। जब वे अभ्यस्त हो जाते हैं, तब उनकी अंगुलियां अभीष्ट अक्षरों पर पड़ती हैं और जैसा चाहा वैसा टाइप हो जाता है। फिर 'की बोर्ड' को देखने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि अंगुलियां अभ्यस्त हो चुकी हैं।

हम बदल सकते हैं अपनी आदतों को और स्वभाव को, अपनी नकारात्मकता को। चाहे वह आदत शराब की हो या अन्य किसी व्यसन की। झूठ, चोरी, छल-कपट की हो या बुरे आचरण की। बदलाव के लिये गणित का कोई फार्मूला नहीं चाहिए। बड़ी-बड़ी ज्ञान एवं उपदेश से पहले सिर्फ चाहिए यह संकल्प कि मैं बदल सकता हूं। आधी गिलास के खाली होने का ही खयाल रहा तो आधी गिलास भरा होना पूरी तरह से आंखों से ओझल हो जाता है, तब मन शिकायतों से भर जाता है। इसी नकारात्मकता की दीवार को गिराना जरूरी है। अक्सर हम जिन स्थितियों में होते हैं, उसके लिए हम ही जिम्मेदारी होते हैं। हम ही अपने इर्द-गिर्द नकारात्मक विचारों की दीवार खड़ी करते हैं। वही दीवार आत्मविश्वास के जादुई चिराग तक पहुँचने के सारे रास्ते को बंद कर देती है, आशा को निराशा में, सफलता को असफलता में एवं हर्ष को विषाद में बदल देती है। फ्रैंसी लैरियू स्मिथ ने कहा कि "प्रेरणा के पीछे सबसे महत्वपूर्ण बात लक्ष्य तय करना होता है। आपका हमेशा एक लक्ष्य अवश्य होना चाहिए।"

नकारात्मकता की कुछ ईटों पर लिखा है, 'तुम्हें भला क्या मालूम है ?' उन ईंटों पर लिखे इस वाक्य को मिटाकर आप लिख दो 'मुझे काफी कुछ मालूम हैं।' यही आत्म विश्वास और इच्छाशक्ति जरूरी है। डा. राबर्ट ने कहा कि "उन सभी कारणों को भूल जाएं कि कोई कार्य नहीं होगा। आपको केवल एक अच्छा कारण खोजना है कि यह कार्य सफल होगा।" मान लो, आप एक गायक बनाना चाहते हो। गायक बनने के लिए सिर्फ इतना ही जरूरी नहीं है कि आप अपनी आलोचना से न घबराओ। उसके लिए यह भी जरूरी है कि आपको गाना भी आता हो। यहीं पर प्रशिक्षण की आवश्यकता पडती है। जीवन ही हर घटना ऐसे ही प्रशिक्षण से सकारात्मक बनती है। इसी सन्दर्भ में डेनिस वेटले ने कहा कि "यदि आप यह मानते हैं कि आप कर सकते हैं, तो संभवतः आप कर सकते हैं। यदि यह सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते, तो आप सुनिश्चित रुप से नहीं कर सकते। विश्वास वह स्विच है जो आपको आगे बढ़ाता है।"

हर व्यक्ति समस्याग्रस्त है। अभाव सबको महसूस होता है तो यह भीतर की समस्या है। इसे खरबपति बन कर नहीं सुलझाया जा सकता, क्योंकि तृष्णा प्रबल है और कितना भी मिल जाए संतोष नहीं होगा। संतोष की चेतना जाग जाए तो पास में कुछ भी नहीं होने पर भी आप स्वयं को कुबेरपति अनुभव करेंगे। यह स्थिति आदमी को हर क्षण बेचैन किए रहती है। जीवन में संतुलन जरूरी है। कभी भी अपने आपको कमजोर नहीं मानना चाहिए। पोप लेव ने कहा है कि न तो कोई इतना धनाढ्य है कि उसे दूसरे की सहायता की आवश्यकता न हो और न ही कोई इतना दरिद्र है कि किसी भी रूप में अपने साथियों के लिये उपयोगी सिद्ध न हो सके। एक मनीषी ने लिखा है ''यह शरीर नौका है। यह डूबने भी लगता है और तैरने भी लगता है। क्योंकि हमारे कर्म सभी तरह के होने से यह स्थिति बनती है। इसीलिये बार-बार अच्छे कर्म करने की प्रेरणा दी जाती है। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। हमें यह समझ लेना चाहिए कि जिस प्रकार एक डाल पर बैठा व्यक्ति उसी डाल को काटता है तो उसका नीचे गिर जाना अवश्यम्भावी है, उसी प्रकार गलत काम करने वाला व्यक्ति अन्ततोगत्वा गलत फल पाता है।

कर्म की ही भांति मनुष्य की सोच और विचार भी उन्नत होने चाहिए। स्वामी विवेकानन्द का मार्मिक कथन है कि हम वही है, जो हमारे विचार हमें बनाते हैं, इसलिये आप क्या सोच रहे है, उसका खास ख्याल रखिये। शब्दों को इतना महत्व नहीं, लेकिन विचार हमेशा उद्वेलित करते हैं। वे दूर तक जाते हैं।' बहुत सारी बातें हैं, जिन्हें लोग मानते तो हैं, किन्तु जानते नहीं। मानी हुई बात बिना जाने बहुत कार्यकारी नहीं होती। जब उसकी सचाई सामने आती है तो फिर मानने की जरूरत नहीं रह जाती। लेकिन मानना जरूरी भी है। आप न मानें तो जीवन चलना कठिन हो जाए, किन्तु मानने तक ही स्थिर नहीं हो जाना है, उसके आगे की बात भी सोचनी है। केवल मानते ही रहे, जानने की कोशिश नहीं की तो प्रगति का द्वार बंद हो जाएगा।

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English summary
Happy New Year 2023: New Year is the time of hope and expectation. No matter how many problems are there, we would like to think that the new year should bring solutions to the problems, bring a good message for the future. We think this for ourselves, for our family and loved ones and also for the whole world. The beginning of the year is also such a time when we are more ready and ready for many auspicious resolutions, for many good beginnings with body and mind. On the strength of hard work and dedication, can we achieve the goal which is very important but is being left behind?
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