एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय मिशन क्या है? जानिए विस्तार से, UPSC के छात्र बना लें नोट्स

Eklavya Model Residential School Mission: मोदी सरकार द्वारा शिक्षा के दृष्टिकोण के कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की गई। एकलव्य स्कूल मिशन इन पहलों में से एक है। आदिवासी समुदायों के बच्चों के लिए देश भर में सरकार का 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) बनाने का लक्ष्य है। प्रत्येक उप-जिले में एक विद्यालय। अर्थात जिन उप-जिलों में कम से कम 20,000 लोग रहते हैं। एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय मुख्य रूप से अनुसूचित जनजाति के लिए है।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय मिशन क्या है? जानिए विस्तार से, UPSC के छात्र बना लें नोट्स

जनजातीय कार्य मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक करीब एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय को मंजूरी मिल गई है। वहीं तकरीबन 405 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय कार्यरत हैं। आंकड़ों के अनुसार, इन एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में करीब 1,23,841 लाख बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस)

एकलव्य स्कूल मिशन भारत में वंचित बच्चों को उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित है। इसमें आदिवासी और ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। मिशन का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शैक्षिक अंतर को पाटना है और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक बच्चे को व्यापक और समग्र शिक्षा प्राप्त हो सके।

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय कब शुरू हुए?

जनजातीय कार्य मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ईएमआरएस की शुरुआत वर्ष 1997-98 में दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी। ताकि वे उच्च और व्यावसायिक शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में अवसर प्राप्त कर सकें और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकें। ये विद्यालय न केवल अकादमिक शिक्षा पर बल्कि छात्रों के सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं। प्रत्येक विद्यालय में 480 छात्रों की क्षमता है, जो कक्षा VI से XII तक के छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं। अब तक, संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान के तहत राज्य सरकारों को स्कूलों के निर्माण और आवर्ती व्यय के लिए अनुदान दिया जाता था।

ईएमआरएस को और अधिक गति देने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि वर्ष 2022 तक, 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में एक ईएमआरएस होगा। एकलव्य विद्यालय नवोदय विद्यालय के समकक्ष होंगे और इनमें खेल और कौशल विकास में प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए विशेष सुविधाएं होंगी। देश भर में, जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार, ऐसे 564 उप-जिले हैं, जिनमें से 102 उप-जिले में ईएमआरएस है। इस प्रकार, वर्ष 2022 तक 462 नए स्कूल खोले जाने हैं।

एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल क्या है?

देशभर मे चिह्नित किये गये उप-जिलों में एसटी आबादी का घनत्व अधिक है (90% या अधिक), वहां आवासीय सुविधा के बिना स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक एसटी छात्रों के लिए अतिरिक्त गुंजाइश प्रदान करने के लिए प्रायोगिक आधार पर एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल (ईएमडीबीएस) स्थापित करने का प्रस्ताव है।

खेलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र (खेलों के लिए सीओई)के अंतर्गत सभी संबंधित बुनियादी ढांचे (भवन, उपकरण आदि) के साथ खेलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए समर्पित बुनियादी ढांचे का समर्थन किया जाता है। इस उत्कृष्टता केंद्र में प्रत्येक राज्य में एक पहचाने गए व्यक्तिगत खेल और एक समूह खेल के लिए विशेष अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। इन खेल उत्कृष्टता केंद्रों में भारतीय खेल प्राधिकरण के मानदंडों के अनुसार अत्याधुनिक सुविधाएं, उपकरण और वैज्ञानिक बैकअप के साथ-साथ विशेष प्रशिक्षण, भोजन और आवास सुविधाएं, खेल किट, खेल उपकरण, प्रतियोगिता प्रदर्शन, बीमा, चिकित्सा व्यय आदि उपलब्ध होंगे।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में दाखिला के लिए मानदंड

सरकार ने आदिवासी समुदायों के बच्चों के लिए 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) बनाने की योजना बनाई है, प्रत्येक उप-जिले में एक, जहाँ कम से कम 20,000 लोग रहते हैं, जो अनुसूचित जनजाति के रूप में पहचाने जाते हैं, जो उस क्षेत्र की कुल आबादी का 50% प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • कक्षा 6वीं में प्रवेश हेतु पात्रता की सामान्य मापदंड के तहत एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में कक्षा 6वीं प्रवेश हेतु पात्रता का मापदंड का विवरण निम्नानुसार है
  • विद्यार्थी की आयु 10 से 13 वर्ष के बीच होनी चाहिये।
  • प्रवेश के समय कक्षा 5वीं उत्तीर्ण होना चाहिये (औपचारिक/अनौपचारिक)।
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में प्रवेश जिला स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से किया जाता है।
  • आदिवासी बच्चों को कक्षा VI स्तर पर प्रवेश दिया जाता है।
  • सभी बच्चे जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से कक्षा V उत्तीर्ण की है, वे कक्षा VI के लिए ईएमआरएस "प्रवेश-परीक्षा" देने के पात्र हैं।

एकलव्य मॉडल का उद्देश्य क्या है?

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय को शुरू करने में सरकार का लक्ष्य केंद्रीय विद्यालयों और जवाहर नवोदय विद्यालयों के बराबर स्कूल बनाना था। जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 2018-19 तक कार्यक्रम का प्रबंधन किया, जिसमें राज्य सरकारों का नए स्कूल खोजने, उन्हें काम पर रखने, प्रबंधित करने और छात्रों को दाखिला देने पर सबसे अधिक प्रभाव था। हालांकि केंद्र सरकार ने एक निश्चित संख्या में अंतरिम एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय को मंजूरी दी थी, लेकिन योजना के दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ज़रूरत पड़ने पर नए स्कूलों की मंजूरी के लिए आवेदन करेंगे।

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English summary
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