जानिए जम्मू-कश्‍मीर में क्यों बार-बार आ रहा है भूकंप, क्या है दिल्ली-एनसीआर से संबंध

नेपाल और दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में 8 नवंबर 2022 मंगलवार को रात 2 बजे तेज भूकंप आया। नेपाल में भूकंप की तीव्रता 6.3 रही, जिसकी वजह से नेपाल में 6 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। नेपाल के डोटी जिले में घर गिरने

नेपाल और दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में 8 नवंबर 2022 मंगलवार को रात 2 बजे तेज भूकंप आया। नेपाल में भूकंप की तीव्रता 6.3 रही, जिसकी वजह से नेपाल में 6 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। नेपाल के डोटी जिले में घर गिरने से इन लोगों की मौत हुई है। भूकंप की वजह से लोगों में दहशत का माहौल बन गया और लोग घरों से बाहर निकल आए हैं। भूकंप के झटके करीब 1 मिनट तक रुक-रुककर लगते रहे। नेपाल के साथ साथ दिल्ली के अलावा यूपी, उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल में दर्जनों घरों को नुकसान पहुंचा है। अधिकारियों ने बताया कि नेपाल सेना के जवानों को खोज एवं बचाव अभियान के लिए प्रभावित इलाकों में भेजा गया है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने नेपाल की सीमा से लगे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से 90 किमी दक्षिण पूर्व में भूकंप का केंद्र बनाया है।

जानिए जम्मू-कश्‍मीर में क्यों बार-बार आ रहा है भूकंप, क्या है दिल्ली-एनसीआर से संबंध

आपदा कोई भी हो, भूकंप हो या बाढ़, उसको रोकना तो मुमकिन नहीं, लेकिन उनसे निबटने के लिए खुद को तैयार जरूर कर सकते हैं। बात भारत की करें तो नेशनल डिसास्‍टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) और उसकी सहयोगी इकाईयां हर वक्त आपदाओं से निबटने के लिए तैयार रहती है।

कहां-कहां हैं प्रमुख फॉल्‍ट लाइन
दरअसल पृथ्‍वी का ऊपरी भाग मेंटल और क्रस्ट कई छोटी-छोटी परतों से मिलकर बनता है। ये परतें गतिमान होने के कारण एक दूसरे से टकराती रहती हैं। घूमती परतों को ही टेक्टोनिक प्लेट कहते हैं। इन प्‍लेटों के आपस में टकराने के कारण ही भूकंप के झटके आते हैं। प्‍लेट के किनारों को प्‍लेट बाउंड्री कहते हैं। ये प्लेट कई फॉल्ट से मिलकर बनी होती हैं। दुनिया भर में भूकंप का कारण यही फॉल्‍ट होते हैं।

भारत को भूकंप के जोखिम के हिसाब से चार ज़ोन में बांटा गया है। टेक्टोनिक प्लेट के जुड़ने वाली जगह को फॉल्‍ट लाइन कहा जाता है। बड़े भूकंप फॉल्‍ट लाइन के किनारे ही आते हैं। प्लेट के किनारे असमान और ऊबड़-खाबड़ होते हैं, जब ये किनारे एक दूसरे से टकराते हैं, तब ऊर्जा पैदा होती है। प्लेट जहां-जहां जुड़ी होती हैं, वहां टकराव ज्‍यादा होते हैं। यही फॉल्‍ट लाइन कहलाती हैं, क्‍योंकि टकराने पर प्लेट के किनारे फॉल्‍ट से अलग हो जाते हैं। इनका अलग होना ही भूकंप की वजह बनता है।

दिल्ली के आस-पास सोहना, मथुरा समेत छह से सात जगहें ऐसी हैं, जहां जमीन के अंदर फॉल्‍ट लाइन मौजूद हैं। दिल्ली-मुरादाबाद, महेंद्रगढ़-देहरादून में जमीन के अंदर उपसतही फॉल्‍टलाइन मौजूद हैं।

देश में भूकंप की निगरानी करने वाली संस्‍था नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी के वरिष्‍ठ वैज्ञानिक डॉ. जे एल गौतम ने प्रसार भारती से बातचीत में कहा कि भूकंप की भविष्‍यवाणी अब तक संभव नहीं हुआ है। यह कहना कि छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं, इसलिए बड़ा भूकंप आयेगा ही, यह बात पक्‍के तौर पर नहीं कह सकते हैं। जहां तक इन छोटे-छोटे भूकंपों की बात करें तो महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्‍ट पर भूकंप आए हैं। वहीं ग्रेटर नोएडा और हरियाणा में जो भूकंप आये थे, वो मथुरा फॉल्‍ट की वजह से आये। ऐसे ही दिल्‍ली और एनसीआर में दिल्‍ली-हरिद्वार रेंज में टेक्‍टोनिक्‍स के मूवमेंट से आये।

दिल्‍ली-एनसीआर के नीचे एकत्र हो रही ऊर्जा
हिमालयन जियोलॉजी के डॉ. कलाचंद सेन ने कहा, "भूकंप के बारे में बताना मुश्किल है, लेकिन यह बात सही है कि भारतीय प्लेट जिस तरह से उत्तर की ओर गतिमान है और यूरेशियन प्‍लेट से यह टकरा रही है, उसकी वजह से भारी मांत्रा में ऊर्जा उत्‍पन्‍न हो रही है। यह ऊर्जा हिमालय के नीचे एकत्र हो रही है। उस ऊर्जा का कुछ हिस्‍सा दिल्‍ली-एनसीआर की ओर प्रोपोगेट यानी प्रसारित हो रहा है। दिल्‍ली-एनसीआर में रॉक डीफॉर्मेशन हो रहा है और यहां फॉल्‍ट लाइन व लीनियर ज़ोन भी हैं, जहां से ऊर्जा एकत्र हो रही है।"

डॉ. सेन ने कहा, "हाल ही में जो लगातार भूकंप आये हैं, इससे हम यह नहीं कह सकते हैं कि अगले दिनों में कब एक बड़ा भूकंप आने की संभावना है या नहीं। एनसीआर-दिल्‍ली में जमीन के अंदर ऊर्जा एकत्र हुई है, लेकिन वह ऊर्जा कितनी है, कितनी ऊर्जा जमीन से निकलेगी, कब निकलेगी, उसके बारे में अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। क्‍योंकि इसका पता करने के लिए कोई तकनीक नहीं है। लेकिन अगर 5-60 साल पहले देखें, तो दिल्‍ली एनसीआर में 1956 में 6.5 तीव्रता का भूकंप आया था। 1960, 1966 में भी 6 मैग्‍नीट्यूड का भूकंप आ चुका है। इस इतिहास को ध्‍यान में रखें, तो बड़ा भूकंप दिल्‍ली में आ सकता है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। यह भूकंप कब आयेगा, कितनी तीव्रता का होगा, इसे पता करने के लिए कोई टेक्‍नोलॉजी अभी मौजूद नहीं है।"

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English summary
A strong earthquake occurred at 2 pm on Tuesday, November 8, 2022, in entire North India including Nepal and Delhi-NCR. The magnitude of the earthquake in Nepal was 6.3, due to which more than 6 people have died in Nepal. These people have died due to house collapse in Doti district of Nepal. Due to the earthquake, there was an atmosphere of panic among the people and people came out of their homes. The tremors of the earthquake lasted intermittently for about 1 minute.
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