Diwali 2021 Date In India / When Is Diwali Kab Hai 2021: कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली पूजन (महालक्ष्मी पूजा) का विधान है। इस वर्ष दिवाली 2021 में 4 नवंबर को मनाई जाएगी। दिवाली से पहले करवा चौथ, गौत्सव, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली और फिर दिवाली का पर्व आता है। दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव, भाई दूज और विश्वकर्मा पूजा की जाती है। हिन्दुओं का सबसे बड़ा दिवाली का पर्व पूरे विश्व में पांच दिन तक मनाया जाता है। आइये जानते हैं करवा चौथ कब है, गौत्सव कब है, धनतेरस कब है, नरक चतुर्दशी कब है, छोटी दिवाली कब है और दिवाली कब है, गोवर्धन पूजा कब है, अन्नकूट महोत्सव कब है, भाई दूज कब है और विश्वकर्मा पूजा कब है।
दिवाली के दिन भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली से पहले पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की जाती है और शाम के समय गणेश जी और लक्ष्मी जी का पूजन करके पूरे घर को दीपों से सजाकर माता लक्ष्मी की स्वागत किया जाता है। दिवाली को दीपों का त्योहार कहा जाता है। पुराणों के अनुसार दीपावली के दिन ही भगवान राम अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने उनका दीप जलाकर स्वागत किया था। उसी समय से दिवाली का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं दिवाली 2021 की तिथि, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त, दिवाली का महत्व, दिवाली पूजन विधि और दिवाली की कथा के बारे में।
When Is Diwali 2021 | Diwali 2021 Date Time
दिवाली कब है 2021 ?
दिवाली 2021 में 4 नवंबर को मनाई जाएगी। दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दिवाली पर माता लक्ष्मी, कुबेर जी और भगवान श्री गणेश की पूजा का विधान है।
Diwali 2021 Muhurat | Lakshami Puja Muhurat 2021 | Diwali Puja Date Time
दिवाली 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त
दिवाली की तिथि: 4 नबंवर 2021
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 4 नबंवर 2021 सुबह 6 बजकर 3 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: अगले दिन सुबह 2 बजकर 44 मिनट तक (5 नबंवर 2021)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 4 मिनट तक (4 नबंवर 2021)
प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 5 बजकर 34 मिनट से रात 8 बजकर 10 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त: शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 4 मिनट तक
Diwali Pujan Shubh Choghadiya Muhurat | Diwali 2021 Choghadiya | Morning Choghadiya
दिवाली पूजन शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2021
दिवाली लक्ष्मी पूजन सुबह का मुहूर्त
शुभ मुहूर्त सुबह 06:35 से 07:58 तक
चर, लाभ अमृत: 10:42 से 02:49 तक
शुभ शाम 04:11 से 05:34 तक
अमृत चर शाम 05:34 से 08:49 तक
लाभ अमृत मध्यरात्रि 12:05 से 01:43 तक
Diwali Puja Shubh Choghadiya Muhurat 2021 | Diwali 2020 Choghadiya | Night Choghadiya
दिवाली लक्ष्मी पूजन रात/रात्रि का मुहूर्त
शुभ शाम 04:11 से 05:34 तक
अमृत चर शाम 05:34 से 08:49 तक
लाभ अमृत मध्यरात्रि 12:05 से 01:43 तक
Diwali Pujan Auspicious Timings 4th November 2021 | Diwali Lakshmi Puja Shurbh Muhurat 2021
दिवाली पूजन शुभ समय: 4 नवंबर 2021
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:51 से 05:43 तक
प्रातः संध्या सुबह 05:17 से 06:35 तक
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 से दोपहर 12:26 तक
विजय मुहूर्त दोपहर 01:54 से 02:38 तक
गोधुली मुहूर्त शाम 05:23 से 05:47 तक
सयाना संध्या शाम 05:34 से 06:52 तक
अमृत कलाम रात 09:16 से 10:42 तक
निशिता मुहूर्त रात 11:39 से 12:31 तक 05 नवंबर
Diwali Puja Auspicious Timings State Wise List | Diwali Muhurat 2021
दिवाली लक्ष्मी पूजन (14 नवंबर 2021) सर्वश्रेष्ठ शुभ समय राज्य अनुसार सूची (Diwali Lakshmi Pujan (4th November 2021) Best Auspicious Timings State Wise List)
दिवाली लक्ष्मी पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 2021: शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक
शाम 06:39 से 08:32 तक - पुणे
शाम 06:09 से 08:04 तक - नई दिल्ली
शाम 06:21 से 08:10 तक - चेन्नई
शाम 06:17 से 08:14 तक - जयपुर
शाम 06:22 से 08:14 तक - हैदराबाद
शाम 06:10 से 08:05 तक - गुड़गांव
शाम 06:07 से 08:01 तक - चंडीगढ़
शाम 05:34 से 07:31 तक - कोलकाता
शाम 06:42 से 08:35 तक - मुंबई
शाम 06:32 से 08:21 तक - बेंगलुरू
शाम 06:37 से 08:33 तक - अहमदाबाद
शाम 06:08 से 08:04 तक - नोएडा
Diwali Festival Importance | Importance Of Diwali Festival In Hindi
दिवाली का महत्व (Importance Of Diwali Festival)
पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में जब भगवान श्री राम रावण का वध करके अयोध्या लौट रहे थे तो अयोध्या के लोगों ने उनका दीप जलाकर स्वागत किया था। भगवान श्री राम के इसी स्वागत को हर साल लोग दिवाली के त्योहार के रूप में मनाते हैं। दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस दिन लोग अपने घर अच्छी तरह से सफाई करते हैं और अपने घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाकर और पूरे घर को दीपों से सजाकर मां लक्ष्मी के आगमन का स्वागत करते हैं। लोग इस दिन अपने घरों को अच्छी तरह से सजाते हैं और भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद खील और बतासे का प्रसाद बांटकर एक दूसरे को दिवाली की शुभकामना देते हैं। दिवाली पटाखे जलाकर इस त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार पर लोग अपने गहनों,पैसों और बहीखातों की भी पूजा करते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में वास होता है और घर में कभी भी धन की कोई कमीं नही रहती।
Diwali Puja Method | Method Of Diwali Pujan
दिवाली की पूजा विधि (Method Of Diwali Pujan)
1. दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
2. इस दिन घर के सभी लोगो शाम के समय स्नान करने के बाद कोरे वस्त्र धारण करने चाहिए।
3. इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़कर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
4.कपड़ा बिछाने के बाद खील और बताशों की ढेरी लगाकर उस पर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की प्रतिमा और कुबेर जी की प्रतिमा स्थापित करें।
5. इसके बाद कुबेर जी प्रतिमा भी स्थापित करें और साथ ही कलश की स्थापना भी करें । उस पर स्वास्तिक बनाकर आम के पत्ते रखें और नारियल स्थापित करें।
6.कलश स्थापित करने के बाद पंच मेवा, गुड़ फूल , मिठाई,घी , कमल का फूल ,खील और बातसे भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के आगे रखें।
7. इसके बाद अपने घर के पैसों, गहनों और बहीखातों आदि को भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के आगे रखें।
8.यह सभी चीजें रखने के बाद घी और तेल के दीपक जलाएं और विधिवत भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा करें।
9.माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप और साथ ही श्री सूक्त का भी पाठ करें।
10.पूजा समाप्त होने के बाद अंत में अपने घर के मुख्य द्वार पर तेल के दो दीपक अवश्य जलाएं और साथ ही अपनी तिजोरी पर भी एक दीया अवश्य रखें।
Diwali Katha | Diwali Story | Diwali Ki Kahani | Lakshmi Katha
दिवाली की कथा (Diwali Pooja Story)
पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक साहुकार रहा करता था। उसकी एक बेटी थी जो रोज पीपल पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पेड़ को वह जल देती थी वहां पर लक्ष्मी जी भी वास करती थी। लक्ष्मी जी उस साहुकार की लड़की से बहुत अधिक प्रसन्न थी। जिसके बाद उन्होंने उस लड़की से मित्र बनने की इच्छा प्रकट की। लड़की ने कहा कि मैं अपने पिता से इस विषय में पूछूंगी। जब उसने अपने पिता को इस बारे में बताया तो उसके पिता ने इसके लिए हां कर दी। जिसके बाद वह एक दिन लक्ष्मी जी साहुकार की बेटी को अपने घर लेकर आ गई। उन्होने साहुकार की पुत्री का बहुत स्वागत किया। जब साहुकार की बेटी जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने पूछा कि अब तुम मुझे अपने घर कब बुलाओगी। जिसके बाद एक दिन उसने लक्ष्मी जी को अपने घर बुलाया लेकिन उसकी वह बहुत ही निर्धन थी। जिसके कारण उसके मन में डर था कि वह लक्ष्मी जी का स्वागत कैसे करेगी। उसके पिता ने जब उसकी यह हालत देखी तो उससे कहा कि तू घर की सफाई करके चार बाती वाला दीपक जला और लक्ष्मी जी को याद कर। उसी समय एक चील अपनी चोंच में नोलखा हार लेकर जा रही थी और उसने उस हार को साहुकार के घर पर डाल दिया। जिसे बेचकर उसने लक्ष्मी जी के स्वागत की तैयारी की। लक्ष्मी जी भगवान गणेश के साथ उसके घर में पाधारी। साहुकार की बेटी ने उन दोनों की खूब सेवा की। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी ने साहुकार को अमीर बना दिया।
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दिवाली पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें ? Diwali Essay For Kids Students In Hindi (Diwali Par Nibandh)
"दिवाली" को "दीपावली" के नाम से भी जाना जाता है जो भारत में या दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे शुभ त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार पूरी दुनिया में लोगों द्वारा बहुत उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह एक हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग पटाखे और आतिशबाजी फोड़कर उज्ज्वल त्योहार मनाते हैं।
हिंदुओं के अनुसार, दिवाली एक त्योहार है जो दानव राजा रावण को हराने के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या में भगवान राम की वापसी की याद दिलाता है। यह धार्मिक त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
दीवाली को अक्सर "प्रकाशोत्सव" के रूप में जाना जाता है। लोग मिट्टी के तेल के दीयों को जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और आकारों की रोशनी से सजाते हैं जो उनके प्रवेश द्वार और बाड़ पर चमकते हैं जो एक मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य के लिए बनाते हैं। बच्चों को पटाखे फोड़ना पसंद है और विभिन्न आतिशबाजी जैसे स्पार्कलर, रॉकेट, फूलों के बर्तन, फव्वारे, आतिशबाजी, आदि।
इस शुभ अवसर पर, हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि व्यापारी दिवाली पर नए खाता बही खोलते हैं। इसके अलावा, लोगों का मानना है कि यह सुंदर त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग अपने लिए नए कपड़े भी खरीदते हैं और त्योहार के दौरान अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों के आदान-प्रदान के लिए तत्पर रहते हैं। "
हमें उम्मीद है कि दीपावली त्योहार के लिए उपरोक्त निबंध अंग्रेजी उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर एक निबंध रचना करना चाहते हैं। हमने ऊपर दिए गए निबंध में शुभ दीवाली त्योहार के सार को सही ठहराने के लिए अपने अंत से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर इस नमूना निबंध से कुछ विचार चुन सकते हैं और कुछ पंक्तियों का मसौदा तैयार कर सकते हैं और सीख सकते हैं कि वाक्यों को कैसे फ्रेम किया जाए और साथ ही साथ अपने अंग्रेजी लेखन कौशल को बढ़ाया जाए।
Sharda Puja 2021 | Sharda Puja Kab Hai | Sharda Puja Date Time 2021 | Sharda Puja Muhurat 2021
शारदा की पूजा कब है 2021 में : When Is Sharda Puja Date Time 2021
Sharda Puja 2021 Kab Hai Date Time Muhurat Puja Vidhi Katha: माता शारदा की पूजा दिवाली के दिन की जाती है। इसलिए शारदा पूजा भी 4 नवंबर को की जाएगी। मां शारदा एक नाम माता सरस्वती भी है। जो ज्ञान, विद्या और बुद्धि की देवी मानी जाती है। दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ ही माता शारदा की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं शारदा पूजा 2021 में कब है (Sharda Puja 2021 Mein Kab Hai), शारदा पूजा का शुभ मुहूर्त (Sharda Puja Ka Shubh Muhurat), शारदा पूजा का महत्व (Sharda Puja Importance),शारदा पूजा की विधि (Sharda Puja Vidhi), मां शारदा की कथा (Goddess Sharda Story)
मां शारदा की पूजा (Goddess Sharda Puja) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (Kartik Amavasya) को की जाती है। इस दिन मां शारदा की पूजा विशेष फलदायी होती है। मां शारदा की पूजा करने से व्यक्ति की विद्या अर्जन में आ रही सभी परेशानी समाप्त हो जाती है। विद्यार्थियों को तो इस मां शारदा की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। जिससे उन्हें उनकी विद्या में सफलता प्राप्त हो सके।
शारदा पूजा 2021 शुभ मुहूर्त (Sharda Puja 2021 Shubh Muhurat)
शुभ मुहूर्त सुबह 06:35 से 07:58 तक
चर, लाभ अमृत: 10:42 से 02:49 तक
शुभ शाम 04:11 से 05:34 तक
अमृत चर शाम 05:34 से 08:49 तक
लाभ अमृत मध्यरात्रि 12:05 से 01:43 तक
Sharda Puja Importance | Importance OF Sharda Puja | Sharda Puja Ka Mahatva
शारदा पूजा का महत्व (Sharda Puja Importance)
शारदा पूजा दिवाली के दिन ही की जाती है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ ही माता शारदा यानी सरस्वती की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। माता शारदा को ज्ञान, विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है। इसी कारण से दिवाली के दिन इनकी पूजा का विशेष महत्व होता है। विद्यार्थियों को तो इस दिन माता सरस्वती की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। जिससे उनकी विद्या में किसी भी प्रकार कोई समस्या न आए। माता शारदा की पूजा व्यापार करने वाले वाले लोगों की अधिक महत्वपूर्ण होती है। गुजरात में इस दिन चोपड़ा यानी नए बहीखातों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ देवी सरस्वती की पूजा करने से धन और संपन्नता तो बढ़ती ही है साथ ही ज्ञान में भी बढ़ोतरी होती है। गुजरात में शारदा पूजा न केवल दिवाली पूजा के नाम से प्रसिद्ध है बल्कि चोपड़ा पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है।
Sharda Puja Vidhi | Sharda Puja Method | Method Of Sharda Puja 2021 | Sharda Puja Vidhi
मां शारदा की पूजा विधि (Maa Sharda Ki Puja Vidhi)
1. दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ ही माता शारदा यानी सरस्वती जी की भी पूजा की जाती है।
2. इस दिन एक साफ चौकी लेकर उस गंगाजल छिड़क कर सफेद रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान गणेश और माता सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
3.मां शारदा की यह पूजा आपको शाम के समय पर करनी है।यदि आप इस दिन सरस्वती यंत्र स्थापित करें तो आपके लिए काफी शुभ है। माता सरस्वती की पूजा से पहले भगवान गणेश का विधिवत पूजन करें.
4. इसके बाद मां शारदा को सफेद या फिर पीले फूल और सफेद चंदन अर्पित करें और इसके बाद उनका श्रृंगार करें।
5. मां का श्रृंगार करने के बाद ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः मंत्र का जाप करें।
6. इसके बाद मां शारदा की विधिवत पूजा करें और साथ ही पुस्तकों और वाद्य यंत्रों की भी पूजा करें।
7.इसके बाद मां शारदा की कथा पढ़े या सुनें। उसके बाद माता शारदा की धूप व दीप से आरती उतारें।
8.माता शारदा की आरती उतारने के बाद उन्हें उन्हें दही, हलवा, केसर मिली हुई मिश्री के प्रसाद का भोग लगाएं।
9. इसके बाद माता शारदा से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।
10. यदि संभव हो तो निर्धन बच्चों को पुस्तकों का दान अवश्य करें।
11. अंत में माता सरस्वती को दही, हलवा, केसर मिली हुई मिश्री के प्रसाद का भोग लगाएं।
Sharda Puja Katha | Sharda Vart Story | Sharda Katha
मां शारदा की कथा (Mata Sharda Ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने ब्रह्मदेव को संसार की रचना का आदेश दिया था। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने सभी जीवों विशेषकर मनुष्य की रचना की। लेकिन ब्रह्मदेव को इससे भी संतुष्टि प्राप्त नही हुई। ब्रह्मा जी को लगता था कि संसार में अभी भी कुछ कमी है क्योंकि हर तरफ ही मौन का वातावरण है। इसके बाद ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा पाकर अपने कमंडल में से जल लेकर छिड़काव किया। पृथ्वीं पर जैसे ही ब्रह्मा जी के कमंडल का जल गिरा उसी समय धरती पर कंपन होने लगा।जिसके बाद वृक्षों से अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। यह शक्ति एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी। जो वीणा और वर मुद्रा के साथ प्रकट हुई थीं। उनके अन्य हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाने के लिए कहा। जैसे ही उस देवी ने वीणा बजाई वैसे ही संसार के सभी प्राणियों को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल होने लगा। पवन से सरसराहट की आवाज आने लगी। उस समय ब्रह्मा जी ने उस देवी को सरस्वती नाम से संबोधित किया। माता सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी जैसे नामों से भी जाना जाता है।
Kuber Puja Vidhi | Method Of Kuber Puja | Kuber Puja Method In Hindi
दिवाली 2021: भगवान कुबेर की पूजा विधि (Lord Kuber Puja Vidhi)
दिवाली का त्योहारों (Diwali Festival) दीपों का पर्व माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन इनके साथ ही इस दिन भगवान कुबेर की पूजा (Lord Kuber Puja) का भी विधान हैं। क्योंकि दिवाली की पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक भगवान कुबेर की पूजा न की जाए।
Diwali 2021 : दिवाली का पर्व 4 नवबंर 2021 (Diwali Festival 14 November 2021) को मनाया जाएगा। हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान कुबेर को धन का देवता माना जाता है और इनकी पूजा माता लक्ष्मी के साथ की जाती है। दिवाली (Diwali) के दिन भगवान कुबेर की पूजा करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और कुबेर जी की पूजा करने वालों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं तो चलिए जानते हैं दिवाली पर भगवान कुबेर की पूजा विधि।
1. भगवान कुबेर की पूजा धनतेरस और दिवाली के दिन की जाती है। दिवाली के दिन आपको शाम को भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के साथ कुबेर जी की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए।
2. इसके लिए आप एक साफ चौकी लें और उस पर गंगाजल छिड़कें। इसके बाद उस पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भी गंगाजल छिड़कें।
3. इसके बाद उस चौकी पर अक्षत डालें और भगवान गणेश मां लक्ष्मी और भगवान कुबरे की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
4. प्रतिमा स्थापित करने के बाद अपने आभूषण, पैसे और सभी कीमती चीजें भगवान कुबेर के आगे रखें।
5. इसके बाद अगर आभूषण के डिब्बे पर स्वास्तिक बनाएं या फिर स्वास्तिक बनाकर अपने सभी पैसे और आभूषण उस पर रखें।
6. इसके बाद भगवान कुबेर का तिलक करें और कुबेर जी के साथ- साथ सभी आभूषण और पैसों को अक्षत अर्पित करें।
7. इसके बाद भगवान कुबेर को फल और फूल, माला अर्पित करें और आभूषण और पैसों पर भी फूल अर्पित करें।
8. इसके बाद कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता।तां देवीं प्रेषयाशु त्वं मद्गृहे ते नमो नम:।। मंत्र का जाप करें।
9. मंत्र जाप के बाद भगवान कुबेर को मिठाई का भोग लगाएं।
10. इसके बाद भगवान कुबरे की धूप व दीप से आरती उतारें।
11. इसके बाद एक साफ गिलास में जल लेकर भगवान कुबेर को जल अर्पित करें।
12. अंत में भगवान कुबेर को हाथ जोड़कर नमन करें और उनसे जाने अनजाने में हुई भूल के क्षमा प्रार्थना करें और उनसे अपना अर्शीवाद सदा बनाने के लिए भी प्रार्थना करें।
दिवाली पर क्या न करें
दिवाली पूजा में न करें इन चीजों का प्रयोग (Diwali Puja Mein In Chizo Ka Prayog Na Kare)
Diwali 2021 : दिवाली का पर्व 4 नवंबर 2021 (Diwali Festival 4 November 2021) को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी (Goddess Laxmi) धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से घर में सुख,सपंदा और धन का वास होता है। लेकिन इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा में आपको कुछ चीजें भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए और यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको जीवन भर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है तो चलिए जानते हैं दिवाली के दिन मां लक्ष्मी को क्या अर्पित न करें।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाया जाता है।घर में सुख,सपंदा और शांति प्राप्ति करने के लिए इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी की पूजा का फल तब ही प्राप्त होता है। जब पूजा पाठ को पूरे नियम से किया जाए। मां लक्ष्मी की पूजा में कुछ चीजें ऐसी होती है। जिनका प्रयोग करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
इसी कारण से माता लक्ष्मी की पूजा करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें। दिवाली के दिन या और कभी भी माता लक्ष्मी को तुलसी के पत्ते भूलकर भी न चढ़ाएं। भगवान विष्णु को तुलसी सबसे अधिक प्रिय है। लेकिन देवी लक्ष्मी को तुलसी से बैर है।क्योंकि यह भगवान विष्णु के दूसरे स्वरूप शालिग्राम की पत्नी मानी जाती हैं।इसी कारण से देवी लक्ष्मी की पूजा में तुलसी को अर्पित नहीं किया जाता।
दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा में बाईं और न रखें।देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए दीपक की बाती का रंग लाल होना चाहिए।पूजा में आप हमेशा दीपक को दाईं और रखें।इसका कारण यह है कि भगवान विष्णु अग्नि और प्रकाश स्वरूप हैं। भगवान विष्णु का स्वरूप होने के कारण दीपक को दाईं और रखना चाहिए। इसके अलावा आपको दिवाली की पूजा में माता लक्ष्मी को सफेद रंग का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। देवी लक्ष्मी सुहागन हैं इसलिए हमेशा लाल फूल ही चढ़ाने चाहिए।
दिवाली के दिन वैसे तो भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन इस दिन आपको भगवान विष्णु की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि देवी लक्ष्मी की पूजा तब तक सफल नहीं मानी जाती। जब तक भगवान विष्णु की पूजा न की जाए। वहीं दिवाली के दिन आपको प्रसाद दक्षिण दिशा में ही रखना चाहिए और फूल बेलपत्र हमेशा सामने की और रखें।
Diwali Mata Laxmi Chowki Puja Vidhi
दिवाली के बाद मां लक्ष्मी की चौकी हटाने की विधि (Diwali Ke Baad Maa Laxmi Ki Chowki Hatane Ki Vidhi )
Diwali 2021 : दिवाली का त्योहार (Diwali Festival) दीपों का पर्व कहलाता है। इस दिन मां लक्ष्मी (Goddess Laxmi) की विशेष रूप से पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपको माता लक्ष्मी की चौकी कब हटानी चाहिए और पूजा में प्रयोग सभी सामग्री का क्या करना चाहिए। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं दिवाली के बाद माता लक्ष्मी की चौकी हटाने की विधि।
1.मां लक्ष्मी की चौकी आपको दिवाली के अगले दिन यानी गोवर्धन पूजा के दिन ही हटानी चाहिए। लेकिन चौकी हटाने से पहले भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें।
2. यदि आपने दिवाली पर कलश की स्थापना की है तो कलश को हटाने से पहले उस पर जो नारियल रखा है उसे उतार लें। उसके बाद उस कलश पर एक चावल की कटोरी रख लें और उस पर दीप जला लें। यदि आप दीप नहीं जला सकते तो आप उसमें अगरबत्ती या धूपबत्ती जला लें।
3.इसके बाद सभी पूजा का सामग्री एक जगह पर एकत्रित कर लें और मां लक्ष्मी पर चढ़ाई गई खील और बताशों को उस पूजा सामग्री से अलग रख लें। इसके साथ ही माता लक्ष्मी को चढ़ाया गया कमल का फूल और कौड़िया आदि भी अलग रख लें।
4.दिवाली पर आपने जिस भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की थी। उसे उठाकर अपने मंदिर में रख लें।
5.इसके बाद उस सभी पूजा सामग्री को किसी किसी पवित्र नदी, तलाब या सरोवर में विसर्जित कर दें।
6.इसके बाद चौकी पर से कपड़ा उठा लें। अगर आपने उस कलश में चावल को रखे हैं तो उस चावल को उठाकर अपने खाने के अन्न में मिला लिजिए। ऐसा करने से घर में कभी भी अन्न की कमीं नही होती।
7.इसके बाद माता को स्थापित करने वाली चौकी को हटा लिजिए और उसकी जगह पर दो दीपक जला दें और दो फूल भी वहां पर रख दें। क्योंकि माता की चौकी के स्थान को खाली नहीं छोड़ा जाता।
8.दिवाली की पूजा में माता लक्ष्मी को चढ़ाए गए खील और बताशे यदि संभव हो तो किसी गाय को खिला दें।
9. इसके बाद माता लक्ष्मी को चढ़ाया गया कमल का फूल और कौड़िया अपनी तिजोरी में रख दें।
10.अंत में यदि संभव हो तो किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को अन्न और दक्षिणा अवश्य दें।
Diwali Gift | दिवाली गिफ्ट
दिवाली पर किसी को न दे गिफ्ट
दिवाली का त्योहार 4 नवंबर 2021 (Diwali Festival 4 November 2021) को मनाया जाएगा। इस दिन लोगो अपने रिश्तेदारों और चाहने वालों उपहार देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली (Diwali) पर कुछ उपहार ऐसे भी हैं जिन्हें आपको भूलकर भी किसी को नहीं देने चाहिए और यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको जीवनभर के कष्टों को प्राप्त कर सकते हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार (Diwali Festival) मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा (Lord Ganesha And Goddess Laxmi Puja) की जाती है और अपने चाहने वालों को उपहार स्वरूप कुछ न कुछ दिया जाता है। लेकिन इस दिन आपको कुछ वस्तुएं भूलकर भी उपहार के रूप में नहीं देनी चाहिए नहीं तो आपको जीवनभर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है तो आइए जानते हैं कौन सी हैं वो वस्तुएं जो दिवाली पर आपको किसी को उपहार के रूप में नहीं देनी चाहिए।
दिवाली पर जब आप दोस्तों,रिश्तेदारों और मिलने जुलने वालों को उपहार देते हैं तो आपको किसी भी इस प्रकार के गिफ्ट नहीं देने चाहिए जिससे आपकी सुख और समृद्धि किसी दूसरे के पास चली जाए। माना जाता है कि कुछ वस्तुएं ऐसी भी हैं। जिन्हें भूलकर भी किसी और को नहीं देना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आप कंगाल भी हो सकते हैं।इन उपहारों में से सबसे पहला उपहार आता है लक्ष्मी जी। आपको दिवाली पर लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर किसी को भी उपहार में नहीं देनी चाहिए।
यदि आप किसी को लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर उपहार में देते हैं तो आप अपने घर की लक्ष्मी यानी यश,धन और समृद्धि सामने वाले व्यक्ति को दे देते हैं। काले रंग का उपहार दिवाली पर किसी को देना बहुत ही अशुभ माना जाता है। ऐसा उपहार प्राप्त करने वाले व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक छा जाती है। दिवाली पर घड़ी देना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि दिवाली पर हम किसी को घड़ी उपहार में देते हैं तो हम उसे अपना समय भी उपहार में दे देते हैं।
दिवाली पर आपको किसी को चमड़े का तोहफा भी भेंट नहीं करना चाहिए। किसी भी शुभ काम में चमड़े का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए आप भूलकर भी किसी को दिवाली पर चमड़े की कोई वस्तु उपहार में बिल्कुल भी न दें। इसके अलावा आपको जूते भी किसी को दिवाली पर उपहार में नहीं देने चाहिए। क्योंकि जूतों पर शनि का आधिपत्य माना गया है। इसलिए आपको भूलकर भी किसी को जूते भी उपहार में नहीं देने चाहिए।