Corona Virus Omicron Variant In India: कोरोना के नए वैरिएंट बोत्सवाना की शुरुआती रिपोर्ट्स चौंकाने वाली हैं। डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ कन्सर्न बताते हुए 'ओमिक्रॉन' नाम दिया है। दक्षिण अफ्रीका के 3 प्रांतों में रोज मिलने वाले 90% केस इसी वैरिएंट के हैं, जो 15 दिन पहले सिर्फ 1% थे। अभी तक सबसे तेजी से फैलने वाला वैरिएंट डेल्टा था। डेल्टा वैरिएंट जितना 100 दिन में फैला, बोत्सवाना उतना 15 दिन में ही फैल चुका है।
अब ओमिक्रॉन से नई लहर का खतरा है, क्योंकि यह डेल्टा से 7 गुना तेजी से फैल रहा है। यह तेजी से म्यूटेट भी हो रहा है। पकड़ में आने से पहले ही इसमें 32 म्यूटेशन हो चुके हैं। यूरोपीय यूनियन ने अफ्रीकी देशों से उड़ानों पर रोक लगा दी है। भारत में नए वैरिएंट का कोई केस नहीं है।
कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वैरिएंट पहली बार कब मिला? यह पहली बार 11 नवंबर को बोत्सवाना में मिला था। उसके बाद हाॅन्गकॉन्ग, इजराइल और बेल्जियम में पुष्टि हुई। अब यह किस गति से फैल रहा है? बहुत तेजी से। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वायरोलॉजिस्ट प्रो. दीनान पिल्लई के मुताबिक कुछ सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग हुई है। असल रफ्तार ज्यादा हो सकती है।
प्रार्थना सभा और कैंटीन बंद
जयपुर में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए सरकार ने शिक्षण संस्थानों में फिर से ऑनलाइन क्लासेज शुरू करने का विकल्प दे दिया है। शुक्रवार को जारी गृह विभाग की गाइडलाइन के अनुसार, अब स्कूल बच्चों को जबरन स्कूल नहीं बुला सकेंगे। अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते तो भी ऑनलाइन कक्षाएं जारी रहेंगी।
स्कूलों प्रार्थना सभा, भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों पर भी रोक है। दरअसल, 15 नवंबर से प्रदेश में सभी शिक्षण संस्थान पूरी क्षमता के साथ खोल दिए थे। इसके बाद ऑनलाइन क्लासेज बंद कर दी गई। तब से 40 से अधिक स्कूली बच्चे पॉजिटिव आ चुके हैं। शुक्रवार को भी प्रदेश में 29 नए रोगी मिले, जिनमें से जयपुर के 3 स्कूलों के 3 व अलवर का एक स्टूडेंट शामिल है।
नए वैरिएंट का डर
बोत्सवाना नई लहर ला सकता है। पिछली लहर का कारण डेल्टा था। बोत्सवाना इससे 7 गुना संक्रामक है। आशंका है कि यह नई लहर ला सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि बोत्सवाना सबसे तेज फैलने वाला वैरिएंट है। वैक्सीन इसे रोकने में कारगर नहीं है। भारत समेत एशिया, अमेरिका, यूरोप के शेयर बाजारों में अप्रैल के बाद सबसे बड़ी गिरावट आई है। शेयर बाजार में यह इस साल अप्रैल के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट रही। इस साल की यह तीसरी बड़ी गिरावट है।