NCERT Controversy: एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए पाठ्यक्रम पर विवाद, केरल के शिक्षा मंत्री ने केंद्र को लिखा पत्र

NCERT Textbook Deletions Controversy: केरल के शिक्षा मंत्री ने एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों से प्रमुख अंशों को हटाए जाने को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एनसीईआरटी द्वारा कक्षा 11वीं और 12वीं की पाठ्यपुस्तकों से कुछ अंशों को हटाए जाने के संबंध में एक पत्र लिखा है।

एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए पाठ्यक्रम पर विवाद, केरल के शिक्षा मंत्री ने केंद्र को ल

आपको बता दें कि प्रधानमंतत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए इस पत्र के माध्यम से हाल ही में पाठ्यपुस्तकों से विभिन्न चैप्टरों को विवादास्पद तरीके से हटाये जाने की समीक्षा की मांग की गई है। पीएम मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बीते बुधवार को भेजे गए पत्र में राज्य मंत्री ने इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्राप्त होने की दिशा में पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से एक व्यापक और संतुलित शिक्षा भी प्रदान की जाए। गौरतलब है कि राज्य की पाठ्यक्रम समिति ने एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए हिस्सों को पढ़ाए जाने का निर्देश दिया गया है।

केरल के शिक्षा मंत्री के इस कड़े रवैय्ये से यह स्पष्ट होता है कि राज्य पाठ्यक्रमों में से इन प्रमुख भागों को हटाए जाने को एक गंभीर मुद्दा मानता है। उनका कहना है कि यह उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक और भविष्य के लीडर्स के रूप में खुद को श्रेष्ठ तरीके से ढालने के लिए अत्यंत आवश्यक है। आपको बता दें कि हाल ही में, एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम के युक्तिकरण के नाम पर, कक्षा 12वीं की इतिहास की पाठ्यपुस्तक से महात्मा गांधी पर कुछ अंशों को हटा दिया था। इसके साथ ही कैसे हिंदू-मुस्लिम एकता की उनकी खोज ने "हिंदू चरमपंथियों को उकसाया" इस भाग को भी हटा दिया गया है।

केरल राज्य के शिक्षा मंत्री ने छात्रों के संपूर्ण बौद्धिक विकास की पैरवी करते हुए प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को यह पत्र लिखा है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पाठ्यक्रम में से प्रमुख अंशों को हटाए जाने के विवाद को शिक्षक और माता-पिता दोनों ही ओर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि एनसीईआरटी ने उस हिस्से को भी छोड़ दिया जहां गांधी की हत्या के बाद सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। तथ्यों को छिपाकर पाठ्यपुस्तकों के संशोधन ने एक विवाद खड़ा कर दिया है। शिवनकुट्टी ने बताया कि हमारी शिक्षा प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने और देश के समृद्ध और विविध इतिहास को युवा पीढ़ी के लिए सुलभ बनाने के लिए गंभीर हस्तक्षेप आवश्यक थे। युक्तिकरण के नाम पर पाठ्यपुस्तकों से प्रमुख अध्यायों और अंशों को हटाने के एनसीईआरटी के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी जल्द से जल्द समीक्षा की जानी चाहिए।

उक्त पत्र में केरल के शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह उल्लेख किया गया है कि नए बदलाव, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और कोविड-19 के कारण अभूतपूर्व स्थिति पर आधारित हैं। उन्होंने कहा,लेकिन कक्षा 11वीं और 12वीं की पाठ्यपुस्तकों से प्रमुख अध्यायों को हटाए जाने और कक्षा 9वीं और 10वीं से विकास के सिद्धांत को अकादमिक का हिस्सा नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि शांति, विकास, जन आंदोलनों के उदय और मुगल इतिहास जैसे महत्वपूर्ण विषयों को छोड़ देना, बच्चों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि इससे बच्चें सीखने और अच्छे नागरिक बनने के अवसर से वंचित करना था।

शिवनकुट्टी ने संकेत दिया था कि एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए अंशों को राज्य के स्कूलों में पढ़ाए जाने की संभावना है, इसके साथ ही उन्होंने उसी समय केंद्र को पत्र लिखा था। सामान्य शिक्षा विभाग की एक स्वायत्त संस्था स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) इन हटाए गए हिस्सों को राज्य के पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए अपनी पाठ्यक्रम संचालन समिति के निर्णय पर विचार कर रही है। बीते मंगलवार को हुई समिति ने सरकार और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के साथ परामर्श के बाद मामले पर अंतिम निर्णय लेने के लिए शिवनकुट्टी को सौंपा था।

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English summary
NCERT Textbook Deletions Controversy: The Education Minister of Kerala has expressed his displeasure over the deletion of key passages from ACERT textbooks. Kerala Education Minister V Sivankutty has written a letter to Prime Minister Narendra Modi regarding the removal of certain passages from the textbooks of class 11th and 12th by the NCERT. Let us tell you that through this letter written to Prime Minister Narendra Modi, a review has been demanded for the recent removal of various chapters from the textbooks in a controversial manner.
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