आज यानी 1 फरवरी 2023 को भारत की वित्त मंत्री नीरमला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2023-23 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया जा रहा है। इस साल का बजट कुछ खास है, जिसका सबकों इंतजार है। खास तौर पर स्पेस सेक्टर के लिए ये सबसे महत्वपूर्ण है। स्पेस में भारते के डिफेंस को मजबूत करने के लिए और अन्य अंतरिक्ष रिसर्चों के लिए स्पेस सेक्टर सबसे मह्तवपूर्ण माना जाता है। बजट 2023-24 पर विशेषज्ञों की नजरे टिकी हुई हैं। भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आत्मनिर्भर होकर वह कई अंतरिक्ष रिसर्च और सैटालाइट के निर्माण में कार्य कर रहा है जिसमें कई अंतरिक्ष के उपकरणों की विकास में शामिल है।
वित्त वर्ष 2023 के बजट में अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रगति लाने और नए इनोवेश को ध्यान में रखते हुए अधिक बजट की आवश्यकता है। जिसमें इस साल 14,000 करोड़ से अधिक की उम्मीदें जताई गई है। वर्ष 2022 के केंद्रीय बजट में अंतरिक्ष के सेक्टर को 13,700 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। वर्ष 2021 के बजट के मुकाबले कम था। वर्ष 2021 में अंतरिक्ष के लिए 13,949 करोड़ का बजट दिया गया था।
अंतरिक्ष बजट 2023
मंगल यान से शुरुआत करते हुए भारत आत्मनिर्भर बने की दिशा में कार्य कर रहा है। विश्व का हर देश अब भारत की शक्ति को मानने लगा है। जहां नासा तक भारत की अंतरिक्ष योजानाओं में दिलच्सपी ले रहा है और उसकी सहायता के लिए तैयार दिखता है। भारती अंतरिक्ष संस्थान इसरो तेज गति से अंतरिक्ष के में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए आगे बढ़ रहा है।
अंतरिक्ष सेक्टर में वर्ष 2023-24 के लिए पूर्ण बजट 12,543.91 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। जो कि पीछले साल की तुलना में कम है और इसमें 8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। अंतरिक्ष प्रोद्योगिकि और अंतरिक्ष अनुप्रोयग के लिए बजट 2023-24 में क्रमशः 9,441 करोड़ और 1,559 करोड़ रुपये के अनुमानिक बजट प्रदान किया गया है। दोनों को मिलाकर बात करें तो ये 11,000 करोड़ रुपये का है।
वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 में अंतरिक्ष के लिए जारी किए गए बजट में बढ़ोतरी देखी गई है। जहां वर्ष 2018-19 में अंतरिक्ष के लिए 10,783 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था वहीं वर्ष 2022-23 में ये बढ़ कर 13,700 करोड़ हो गया है। 2018 से वर्ष 2022 तक में अंतरिक्ष के लिए मुहौया होने वाले बजट में 3 करोड़ तक की बढ़ोतरी को दर्ज किया गया है। लेकिन आपको बता दें कि वर्ष 2021 में 13,949.09 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था जिसमें कटौती कर वर्ष 2022 के 13,700 करोड़ का बजट पेश किया गया।
अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर भारत
भारत इस समय हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत बनने की पहल कर रहा है। जिसके लिए विज्ञान और प्रोद्योगिकि अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत स्थानीय विनिर्माण को अधिक बढ़ावा दे रहा है। जिसमें सरकारी सेक्टर के साथ प्राइवेट सेक्टर भी शामिल है। इस बार बजट में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन यानी पीएलई योजना की भी घोषणा की जा सकती है।
अंतरिक्ष के लिए बजट दिया जाता है जो वह इन-स्पेस और डिफेंस स्पेस एजेंसी के लिए एक बराबर परीक्षा सुविधायों और नई तकनीको की खरीद और आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए समपर्ति होता है। भारत अपने अंतरिक्ष यानों के साथ-साथ अंतरिक्ष में अपने डिफेंस को भी मजबूत करने के लिए कार्य कर रहा है। स्पेस इनोवेश, उपकरणों के लिए निर्माण, अंतरिक्ष यान, सैटालाइट, सैटालाइट लॉन्चर, डिफेंस प्रोग्राम और अन्य अंतरिक्ष शिक्षा संबंधित प्रोग्रामों के लिए कार्य कर रहा है।
अंतरीक्ष उद्योग को लेकर क्या उम्मीदे हैं
ध्रुवस्पेस के रणनीति और विशेष परियोजनाओं के प्रमुख, क्रांति चंद - नई तकनीक के लिए रक्षा अंतरिक्ष एजंसीयों के लिए 1,000 करोड़ रुपये का समर्पित आवंटन की उंम्मीद करते हैं। साथ ही वह बजट 2023-24 में, हम नया बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के रूप में 100 करोड़ रुपये जारी करने का अनुरोध करते हैं।
वहीं भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के सेवानिवृत महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट चाहते हैं कि - सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र की कंपनियों और संगठनों को ऋण, अनुदान और कर प्रोत्साहन के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करे।
पिक्ससेल के सह-संस्थापक अवैस अहमद, पीएलआई को लेकर कहते हैं कि - 2023-24 के बजट में, हम स्पेस टेक स्टार्टअप्स के लिए अंतरिक्ष-आधारित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का अनुरोध करना चाहते हैं, ताकि स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और देश के भीतर क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सके।"