आज यानी 1 फरवीर 2023 को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किया जा रहा है। ये बजट आने वाले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जा रहा है जिसकी शुरुआत 31 जनवरी से की गई थी। ये बजट 2023-24 का पहला भाग है जो 13 फरवरी तक चलने वाला है। पेश किए गए बजट में ईपीएफ यानी कर्मचारी भविष्य निधि को लेकर चर्चा की गई है।
कर्मचारी भविष्य निधि क्या है
कर्मचारी भविष्य निधि के अंदर कर्मचारी को अपनी वेतन से कुछ प्रतिशत रकम का भुगातन करना होता है और उतना ही रकम जिस कंपनी में कर्माचारी कार्य कर रहा है उसके द्वारा भुगतान की जाती है। ताकि कर्मचारी भविष्य निधि के माध्यम से एकमुश्त राशी प्राप्त हो सकेँ। ये राशी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद या नौकरी को 2 महीने में बदलने पर ब्याज के साथ दिया जाता है। 2017-18 में ईपीएफ योजना के ब्याज रेट 8.66 प्रतिशत का था। ये ब्याज और राशी टैक्स फ्री होती है। जिसको दुगना करने की बात की जा रही है।
2020 में कर्मचारी भविष्य निधि में एनपीएस द्वारा 7.5 लाख रुपये का योगदान दिया गया था। वहिं वर्ष 2021 में ये 7.2 प्रतिशत हुआ।
कर्मचारी भविष्य निधी के लिए भारक की 10 लाख कंपनीयों ने पंजीकरण किया है। वहीं मंत्रालय ने 20 लाख की कपंनीयों के पंजीकरण का लक्ष्य तय किया है। इसमें करिब 80 लाख कंपनियां जीएसटी के लिए पंजीकृत है। जिसकी संख्या अब 1 करोड़ तक जा सकती है। इसके दुगना करने के लिए मंत्रालय कार्य कर रहा है। और इसको लेकर बजट में चर्चा की गई है।
ईपीएफओ वर्ष 2023-24
ईपीएफ को अपने बजट 2023-24 में शामिल करते हुए निर्मला सीतारमण ने घोषाण कर बताया कि कर योग्य हिस्से पर टीडीएस दर को 30% से घटाकर 20% कर दिया गया है। गैर-पैन मामलों में ईपीएफ निकासी में कटौती की गई। साथ ही ईपीएफओ के सदस्यों की संख्या दुगनी से अधिक होकर 27 करोड़ हो गई है। जिसमें यूपीआई के माध्यम से डिजिटल पेयमेंट के भुगतान में बढ़ोतरी देखी है जो कि बढ़ कर अब 126 करोड़ रुपये होगई है।