नए वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की शुरुआत हो चुकी है। बजट सत्र की शुरुआत संसद के दोनों सदनो में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन से की गई। आज 1 फरवरी को 11 बजे केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा आम बजट पेश किया जाएगा। बजट को दो भागों में आयोजित किया जाता है, जिसमें पहले सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से हो चुकी है और इसका समापन 13 फरवरी को होगा। आपको बात दें की ये अमृक काल का पहला बजट और मोदी सरकार 2.0 का अंतिम बजट है।
केंद्रीय सरकार ने अपने कार्यकाल में विज्ञान और प्रौद्योगिकि के क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया है, ताकि अन्य क्षेत्रों के साथ भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकि के क्षेत्र में विश्व स्तर पर जाना जाए। विज्ञान और प्रोद्योगिकी को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के किए भारत सरकार द्वारा युवा पीढ़ी को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके लिए सरकार द्वारा की इनोवेश प्रोग्राम और अन्य कार्यक्रम चलाए गए हैं। जिसमें स्कूल के बच्चों से लेकर कॉलेज में पढ़ रहे बच्चों को शामिल किया गयो था और उनकी इनोवेशन को पुरस्कृत किया गया था।
पीछले कुछ सालों और विज्ञान और प्रोद्योगिकि के लिए निर्धिरित किए बजट को देखते हुए इस साल विज्ञान और प्रोद्योगिकि के क्षेत्र में कार्य कर विशेषज्ञों को बजट से काफि उम्मीदें है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में विज्ञान और प्रोद्योगिकि के लिए 14,217 करोड़ का बजट तय किया गया था और इस वित्तीय वर्ष 2023-23 में तय किया गया है।
विज्ञान और प्रोद्योगिकी बजट 2023
वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्रालय को 16,361 करोड़ रुपये का आवंटन दिया गया है। जो पीछले साल की तुलना में अधिक है। पीछले साल विज्ञान और प्रोद्योगिको के लिए 14,217.46 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थें। जिसमें 2144 करोड़ रुपये अधिक आवंटिक किए गए हैं। विज्ञान और प्रोद्योगिको को तेज गति प्रदान किया गया है। साथ ही इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उत्कृष्टा के नए केंद्र स्थापित करने लिए निवेश भी शामिल है। भारत आर्टफिशियल इंटेलिजेंस पर भी ध्यान केंद्रीत करते हुए आगे बढ़ रहा है।
प्राप्त बजट को तीन भागों में बांटा जाएगा, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग शामिल हैं। इसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को 2,683.86 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, वैज्ञानिक एंव औद्योगिकि विभाग को 5,746.51 करोड़ रुपये और जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 7,931.05 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
बजट पर एक्सपर्ट की राय
विज्ञान और प्रोद्योगिकि का प्रयोग किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि इसका प्रयोग भारत की रक्षा उपकरणों से साथ अंतरिक्ष के उपकरणों के निर्माण तक के लिए किया जाता है। जो कि देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण। इनोवेश को आगे बढ़ाने के लिए एक अच्छे बजट की आवश्यकता है। वर्ष 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में विज्ञान और प्रोद्योगिकि की कम बजट प्राप्त हुआ था। लेकिन इस बार अधिक बजट की आवश्यकता है। जिसपर कुछ विशेषज्ञों ने अपना मत दिया है आइए जाने -
इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान, जेके लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ गोयल कहते हैं कि - पर्यावरण पर्यावरण की रक्षा के लिए बड़ी प्रगति हो रही है, बजट को स्वच्छ जल आपूर्ति पर केंद्रित किया जाना चाहिए क्योंकि यह अधिक से अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। इसके लिए तकनीकी समाधान की तत्काल आवश्यकता है। कम लागत वाली हरित सामग्री और हरित ऊर्जा के साथ विश्वविद्यालय स्तर पर हरित उद्यमियों के लिए अधिक धन और नीतियां बनाई जानी चाहिए।
"लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष श्री अमन मित्तल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि - भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए बजट हमेशा सबसे कम रहा है। पिछले साल बजट आवंटन मात्र 14,217 करोड़ जो देश के कुल बजट का महज 0.3 फीसदी है। "चीन और अमेरिका जैसे देशों के पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए अपने कुल बजट का लगभग 2.5-3 प्रतिशत है। आगे बात करते हुए उन्होंने कहा की बजट में किसी भी कमी से इन क्षेत्रों में निचले स्तर के इनोवेश होंगे।