Women Reservation Bill in Hindi UPSC Notes: गुरुवार को संसद के स्पेशल सत्र में एक ऐतिहासिक फैसले पर पक्ष और विपक्ष दोनों के मत मिले। दरअसल, लोकसभा में बुधवार को नारी शक्ति वंदन अधिनियम या महिला आरक्षण बिल दो तिहाई बहुमत से पास हो गया। वहीं गुरुवार को देर शाम इस बिल को राज्यसभा में भी पेश किया जाने के बाद सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।
आपको बता दें कि महिला आरक्षण बिल को लेकर चली 11 घंटें के तर्क, वितर्क के बाद इसे अंतिम रूप से पारित किया गया। यह बिल बुधवार को पहले ही लोकसभा से पारित हो गया था। अब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण एक कानून बन जायेगा। इसे जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जायेगा, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाये हैं।
क्या है महिला आरक्षण बिल
महिला आरक्षण विधेयक, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। इस विधेयक के तहत महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी। महिला आरक्षण बिल का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल रखा गया है। इस बिल को 128वें संविधान संसोधन विधेयक के तहत पेश किया गया। इस बिल से महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिल सकेगी।
दोनों सदनों में इस विधेयक के पारित होते ही इसके साथ ही उच्च सदन (राज्यसभा) में भी आरक्षण दिये जाने की मांगे उठने लगी है। राज्यसभा में सदस्यों के चयन के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया और जिस तरह से उनके नामों को प्राथमिकताएं दी जाती हैं, वो वोटिंग में दिखाया गया है। ये कुछ अत्यंतः महत्वपूर्ण कारण हैं, जिससे कोई भी आरक्षण करना संभव नहीं होगा।
किसने किया महिला आरक्षण बिल का विरोध
सर्वसम्मति के साथ एक स्वर में लोकसभा और राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को पास किये जाने के क्रम में एआईएमआईएम के सिर्फ दो सांसदों ने इस बिल का विरोध किया। हालांकि गुरुवार को राज्यसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पर वोटिंग के दौरान कोई हंगामा नहीं हुआ।
क्या हुआ राज्यसभा में?
नए संसद भवन में पारित होने वाला यह पहला विधेयक है। उच्च सदन से बिल को मंजूरी मिलने के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों को बधाई दी और कहा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। "ऐतिहासिक उपलब्धि, बधाई। वोटिंग से पहले पीएम मोदी ने राज्यसभा में बिल पर बात की और कहा कि यह बिल देश के लोगों में एक नया विश्वास पैदा करेगा।
भारत के इतिहास में एक 'निर्णायक क्षण'
बिल के राज्यसभा की बाधा पार होने के बाद पीएम मोदी ने बधाई दी और इसे भारत के इतिहास में एक 'निर्णायक क्षण' बताया। "हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण! 140 करोड़ भारतीयों को बधाई। मैं उन सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए वोट किया। इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में ख़ुशी देने वाला है" पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने विचार साझा किये।
महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण
पीएम मोदी ने कहा, संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत करते हैं। यह महज एक कानून नहीं है; यह उन अनगिनत महिलाओं को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने हमारे देश को बनाया है। भारत उनके योगदान से समृद्ध हुआ है। हमें अपने देश की सभी महिलाओं की ताकत, साहस और अदम्य भावना की याद आती है। यह ऐतिहासिक कदम यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि उनकी आवाज़ और भी प्रभावी ढंग से सुनी जाए।
काफी समय से लंबित था महिला आरक्षण बिल
गुरुवार को निर्मला सीतारमण ने इस बिल पर बात की और इसे काफी समय से लंबित बताया. सरकार ने संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया है, इस पर सीतारमण ने कहा, हम एक नए परिसर, संसद की नई इमारत, नए भारत में आए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने हस्तक्षेप में बिल के कार्यान्वयन में देरी पर सवाल उठाया और पूछा कि पीएम मोदी इसे अभी क्यों नहीं कर सकते जबकि वह रातों-रात नोटों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। जनगणना और परिसीमन के बाद खड़गे ने विधेयक के कार्यान्वयन पर संदेह जताया है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल में आगे क्या है?
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित होने के बाद यह बिल अब सहमति के लिए राष्ट्रपति के पास जायेगा और फिर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण आधिकारिक हो जायेगा।
राज्यों में महिला प्रतिनिधियों की स्थिति
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कई राज्य विधानसभाएं भी राजनीति में लैंगिक विविधता की कमी से पीड़ित हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी जैसे राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10% से कम है। कुछ राज्यों, जैसे बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में प्रतिनिधित्व थोड़ा अधिक है, जो 10% से 12% तक है। इसके विपरीत, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड क्रमशः 14.44%, 13.7% और 12.35% महिला विधायकों (विधानसभा सदस्यों) के साथ आगे हैं।
महिला आरक्षण बिल से जुड़ी 10 मुख्य बातें (Mahila Aarakshan Bill par 10 line)
- लोकसभा और राज्यसभा में निर्विरोध पास हुआ महिला आरक्षण बिल। नए संसद भवन में पारित होने वाला यह पहला विधेयक है।
- राज्यसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पर वोटिंग के दौरान कोई हंगामा नहीं हुआ।
- लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण एक कानून बन जायेगा।
- पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान नई संसद में ध्वनि मत से महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया।
- इस बिल को करीब 454 सांसदों के समर्थन से पारित किया गया। केवल दो सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ वोट किया।
- संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा में डीबेट के लिए पेश किया गया।
- हालांकि, कोटा का कार्यान्वयन जनगणना और परिसीमन के बाद ही हो सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परिसीमन और जनगणना दोनों अगले साल के आम चुनाव के बाद शुरू होगी।
- एचडी देवेगौड़ा से लेकर मनमोहन सिंह तक की सरकारों ने महिला आरक्षण बिल को लाने के कई प्रयास कर चुकी है। इस बिल को लाने का यह पांचवा प्रयास था।
- महिला आरक्षण विधेयक की पहल यूपीए सरकार के तहत की गई थी।
- पहली बार महिला आरक्षण विधेयक को 12 सितंबर 1996 को पेश किया गया था।
- संसद में महिलाओं के आरक्षण के लिए यह बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ था।
- इस बिल के कारण लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जायेंगी। इस समय महिला सांसदों की संख्या मात्र 82 है।
- महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले इस आरक्षण का प्रभाव 15 वर्षों तक रहेगा।