पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारतीय खिलाड़ियों ने फिर से दुनिया भर में अपने देश का नाम रोशन किया है। इन खेलों में निशाद कुमार ने पुरुषों की हाई जंप T47 इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर भारत को गर्व महसूस करवाया है। आइए जानते हैं निशाद कुमार कौन हैं, और उनके खेल करियर के बारे में।
कौन हैं निशाद कुमार?
निशाद कुमार का जन्म 3 अक्टूबर 1999 को हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में हुआ था। बचपन से ही निशाद का खेलों के प्रति रुझान था, लेकिन आठ साल की उम्र में एक दुर्घटना में उन्होंने अपना दायां हाथ खो दिया। इस गंभीर हादसे ने उनके जीवन को बदल दिया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। इस चुनौती को अपने ऊपर हावी न होने देते हुए, निशाद ने खेलों में अपना करियर बनाने का दृढ़ संकल्प किया।
निशाद कुमार का खेल करियर
निशाद कुमार ने अपने खेल करियर की शुरुआत एथलेटिक्स में की, जहां उन्होंने हाई जंप में अपनी खास पहचान बनाई। उनके मेहनत और लगन ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलताएं दिलाई। 2019 में दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में निशाद ने कांस्य पदक जीता, जिससे उनकी पहचान एक उभरते हुए पैरा एथलीट के रूप में स्थापित हुई।
2021 में टोक्यो पैरालंपिक्स में निशाद कुमार ने सिल्वर मेडल जीता, जिससे वे पैरालंपिक्स में मेडल जीतने वाले चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हो गए। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में पहचान दिलाई।
पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में निशाद का प्रदर्शन
पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में निशाद कुमार ने पुरुषों की हाई जंप T47 इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया। उन्होंने 2.09 मीटर की छलांग लगाई, जो उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक था। इस शानदार प्रदर्शन के साथ उन्होंने एक बार फिर से साबित किया कि उनकी मेहनत और समर्पण का कोई मुकाबला नहीं है।
निशाद कुमार की विशेषताएं
निशाद कुमार की सफलता का राज उनकी अनुशासन, समर्पण और कभी हार न मानने वाली सोच में है। वे अपने खेल के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं और हर दिन खुद को और बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। उनके कोच और परिवार का समर्थन भी उनके करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
निशाद कुमार न केवल भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं, बल्कि वे दुनिया भर के उन खिलाड़ियों के लिए भी एक मिसाल हैं जो किसी न किसी चुनौती का सामना कर रहे हैं। पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में उनके प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। निशाद की कहानी हमें सिखाती है कि यदि हमारे पास दृढ़ इच्छाशक्ति और लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प हो, तो कोई भी चुनौती हमें रोक नहीं सकती।