Gyanvapi Masjid Case History Latest News In Hindi TIME LINE उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। कई संस्थाओं का मानना है कि यह मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी परिसर एक बीघा, नौ बिस्वा और छह धूर में फैला हुआ है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे 100 फीट ऊंचा विशेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। दावा किया जा रहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। राजा टोडरमल ने 1585 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निमाण कराया था। 18 अप्रैल 1669 में औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करवाकर इसकी जगह मस्जिद बनवाई थी। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्ष 1780 में काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कार्य फिर से शुरू कराया था। अब इन मामलों को लेकर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने हैं। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। आइए जानते हैं ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी पूरी टाइमलाइन।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद इतिहास की टाइम लाइन (Gyanvapi Masjid Case History TIME LINE)
1936: ज्ञानवापी मस्जिद के स्वामित्व पर हमेशा बहस होती रही है। 1936 में तीन मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि पूरे परिसर को मस्जिद का हिस्सा घोषित किया जाए। इस सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी में नमाज अदा करने का अधिकार स्पष्ट रूप से यह कहते हुए दिया गया था कि इस तरह की प्रार्थना परिसर में कहीं और की जा सकती है। 1942 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दी।
1991: यह मुद्दा पहली बार अक्टूबर 1991 में सुर्खियों में आया जब देवता 'स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर' के नाम पर भक्तों ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी जिसे 1669 में मुगल सम्राट के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था। औरंगजेब। इसलिए उन्होंने मांग की कि उन्हें "अपने मंदिर का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण" करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
1991: उन्होंने तर्क दिया कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 मस्जिद पर लागू नहीं होता क्योंकि यह कथित रूप से पुराने विश्वेश्वर मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया था।
1998: मस्जिद के प्रबंधन ने एक जवाबी आवेदन दायर किया, जिसमें इस आधार पर मामले को खारिज करने की मांग की गई कि यह पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के प्रावधानों द्वारा वर्जित है।
2019: दिसंबर 2019 में वाराणसी जिला अदालत में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने मांग की कि पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण कराया जाए।
2019: उन्होंने कहा कि 1998 में साइट के धार्मिक चरित्र को निर्धारित करने के लिए पूरे ज्ञानवापी परिसर से सबूत इकट्ठा करने का आदेश दिया गया था, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को स्थगित कर दिया। संयोग से यह याचिका बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ठीक एक महीने बाद दायर की गई थी।
2020: अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी मस्जिद प्रबंधन ने पूरे ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका का विरोध किया। उसी वर्ष याचिकाकर्ता ने फिर से एक याचिका के साथ निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया, सुनवाई फिर से शुरू करने का अनुरोध किया क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्थगन को आगे नहीं बढ़ाया था।
2021: अप्रैल 2021 में वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वेक्षण करने और अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने रस्तोगी की याचिका और मस्जिद के सर्वेक्षण के वाराणसी कोर्ट के फैसले का विरोध किया। बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई की, जिसने सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद एएसआई को सर्वेक्षण करने के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी।
18 अप्रैल 2021: वर्तमान मामला राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक द्वारा दायर मुकदमे से संबंधित है। उन्होंने प्रतिदिन श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी की पूजा और अनुष्ठान करने की अनुमति मांगी, साथ ही विरोधियों को विवादित ज्ञानवापी परिसर के अंदर की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोका।
26 अप्रैल 2022: पांच महिलाओं के मामले की सुनवाई करते हुए वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर और आसपास के स्थानों में श्रृंगार गौरी मंदिर की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया।
6 मई 2022: वकीलों की एक टीम द्वारा मस्जिद के अंदर प्रवेश से इनकार करने के बाद सर्वेक्षण शुरू होता है लेकिन बीच में ही रुक जाता है।
12 मई 2022: वाराणसी की अदालत ने कहा कि सर्वेक्षण जारी रहेगा और इसे पूरा कर 17 मई तक रिपोर्ट सौंपने को कहा। याचिकाकर्ता पक्ष के अनुसार परिसर में एक तालाब से पानी निकालने के बाद एक शिवलिंग मिला था। वाराणसी जिला अदालत ने बाद में जिला मजिस्ट्रेट को उस क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया जहां कथित तौर पर शिवलिंग पाया गया था और क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
21 जुलाई 2022: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद द्वारा दायर एक आवेदन पर वाराणसी जिला न्यायाधीश के आसन्न निर्णय का इंतजार करेगी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में 'दर्शन' की मांग करने वाली पांच महिला याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर मुकदमे को चुनौती दी गई थी।
21 जुलाई 2022 न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर अदालत अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो महिलाओं द्वारा किया गया मुकदमा स्वाभाविक रूप से 'गिर जाएगा' और अगर उन्होंने वादी के पक्ष में फैसला सुनाया, तो कार्यवाहक अन्य न्यायिक निवारण का पीछा कर सकते हैं।
24 अगस्त 2022: जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले में 12 सितंबर तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जब दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पूरी कर लीं। मामले में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शमीम अहमद ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद एक वक्फ संपत्ति है और अदालत को मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है। यह तर्क दिया गया कि मस्जिद से संबंधित किसी भी मामले की सुनवाई का अधिकार केवल वक्फ बोर्ड को है।
12 सितंबर 2022: जिला न्यायाधीश एके विश्वेश की एकल-न्यायाधीश पीठ ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति द्वारा दीवानी मुकदमे के खिलाफ चुनौती को खारिज कर दिया, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद और उसके आसपास की भूमि के शीर्षक को चुनौती दी गई थी। इसका मतलब है कि दीवानी मुकदमों की सुनवाई होगी विवरण और साक्ष्य की जांच का पालन करेंगे।
22 सितंबर 2022: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मिले कथित शिवलिंग के पास वजू करने और शिवलिंग को लेकर भड़काऊ बयान देने,हिंदुओ की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग संबंधी अर्जी पर सुनवाई टल गई।
28 सितंबर 2022: अगली सुनवाई 28 सितंबर 2022 को निर्धारित की गई है।