40 वर्षों में 150% तक बढ़ी बेहद तीव्र चक्रवातों की संख्‍या, कितना विनाशकारी हो सकता है बिपरजॉय?

एक और चक्रवात भारत की ओर बढ़ रहा है! नाम है बिपरजॉय। भारत सरकार ने एनडीआरएफ को अभी से अलर्ट कर दिया है, मौसम विभाग भी चक्रवात पर पैनी नज़र बनाये हुए है। पर्यावरणविदों की मानें तो यह चक्रवात भारत के लिए बेहद संवेदनशील है और इसके कारण इस साल मॉनसून सामान्य से लंबा खिंच सकता है। भारत की ओर बढ़ रहे इस चक्रवात की तीव्रता की बात करें तो पिछले चक्रवातों की तुलना में अधिक हो सकती है और अधिक तीव्रता का मतलब ज्यादा विनाश।

40 वर्षों में 150% तक बढ़ी बेहद तीव्र चक्रवातों की संख्‍या, कितना विनाशकारी हो सकता है बिपरजॉय?

इस लेख में हम आगे बात करेंगे कि किस तरह जलवायु परिवर्तन की वजह से किस तरह से चक्रवातों की तीव्रता बढ़ रही है। उससे पहले बात बिपरजॉय की।

दक्षिण पश्चिम मॉनसून के ठीक पहले भारत की ओर बढ़ रहा चक्रवात बिपरजॉय 12 जून को भारतीय तटों से टकरायेगा। वर्तमान गतिविधियों को देखते हुए मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह चक्रवात बेहद विनाशकारी हो सकता है। इसका असर 9 जून से ही दिखने लगेगा जब अरब सागर से लगे तटीय शहरों में तेज़ हवाएं चलना शुरू होंगी।

40 वर्षों में 150% तक बढ़ी बेहद तीव्र चक्रवातों की संख्‍या, कितना विनाशकारी हो सकता है बिपरजॉय?

बिपरजॉय से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्‍य जो वैज्ञानिकों ने बताये

  • इस वर्ष केरल में मॉनसून शुरू होने के दो दिन के भीतर 14 शहरों में भारी बारिश की आशंका है।
  • इन दो दिनों में 60 प्रतिशत स्थानों पर 2.5 मिलीमीटर से अधिक मूसलाधार बारिश हो सकती है।
  • पृथ्‍वी की सतह, महासागर और वातावरण से उत्सर्जित ऊर्जा इतना अधिक होगा कि तेज़ हवाएं चलेंगी, जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • बिपरजॉय का सबसे अधिक प्रभाव केरल पर देखने को मिलेगा, साथ ही तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ ह‍िस्सों में भी भारी बारिश और तेज़ हवाएं चलेंगी।
  • बिपरजॉय की वजह से मॉनसून 2023 के पहले फेज़ में ही सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।

साल दर साल बढ़ रहे अरब सागर में चक्रवात

क्लाइमेट डायनेमिक्स की रिपोर्ट के अनुसार अरब सागर में पिछले दो दशकों में चक्रवातों की संख्‍या बढ़ी है। यही नहीं भारतीय महासागर के उत्तरी महासागर में आने वाले चक्रवातों का स्थायित्व भी निरंतर बढ़ रहा है यानि कि चक्रवात लंबे समय तक अपना कहर दिखा रहे हैं। पहले जो चक्रवात दो से तीन दिन तक रहते थे, अब सात से आठ दिन तक ठहर रहे हैं।

हमने इसके पीछे कारण जानने के लिए हमने पर्यावरणविदों से बात की तो पता चला कि पिछले 40 वर्षों में अरब सागर में चक्रवातों की संख्‍या में 52 प्रतिशत इज़ाफा हुआ है। खास बात यह है कि ज्यादा तीव्रता वाले चक्रवातों में 150 फीसदी इज़ाफा हुआ है। यही नहीं चक्रवातों के स्थायित्व में 80 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं अधिक तीव्रता वाले चक्रवात जितने समय तक अस्तित्व में रहते थे, उसमें अब 260 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

40 वर्षों में 150% तक बढ़ी बेहद तीव्र चक्रवातों की संख्‍या, कितना विनाशकारी हो सकता है बिपरजॉय?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई, (आईआईटी बॉम्बे) के एट्मॉसफ‍ियरिंक एंड ओश‍ियन साइंस के प्रोफेसर डॉ. रघु मुर्तुगुड्डे के अनुसान महासागरों का तापमान निरंतर बढ़ रहा है। हाल ही में हुए एक अध्‍ययन में पाया गया कि मार्च के बाद से अरब सागर के तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। ऐसा वातावरण अधिक तीव्रता वाले चक्रवातों को ही जन्म देता है। और अधिक तापमान में पैदा हुए चक्रवात लंबे समय प्रभावी रहते हैं।

आईपीसीसी के लीड ऑथर और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. रॉक्सी कोल ने बताया कि अरब सागर का तापमान बढ़ने की वजह से मद्दन जूलियन ऑस्स‍िलेशन कंडीशन बन रही हैं, जिसकी वजह से बिपरजॉय बना है। इसकी वजह से केरल, कर्नाटक और महाराष्‍ट्र के तटीय शहरों में भारी बारिश की आशंका है। हालांकि इस चक्रवात की तटीय शहरों से आगे बढ़ने की संभावना कम है।

डॉ. कोल ने बताया कि अरब सागर पर मॉनसूनी हवाएं इस वक्त कमजोर पड़ गई हैं और साइक्लोन का प्रभाव दिखने लगा है। अगर दक्षिण पश्चिम मॉनसून की हवाओं की तीव्रता बढ़ गई और ये दो दिशाओं में बहने लगीं तब चक्रवात की तीव्रता कम हो सकती है, लेकिन अगर मॉनसूनी हवाएं कमजोर रहीं तो चक्रवाती हवाएं विनाशकारी हो सकती हैं।

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जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ा कारण

हाल ही में चक्रवात मोका एक बड़ा उदाहरण है अरब सागर के तापमान में वृद्धि की वजह से उपजे चक्रवात का। वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से समुद्र का तापमान निरंतर बढ़ रहा है और जिसकी वजह से साधारण चक्रवात भी भयावह रूप ले रहे हैं। कई बार तो चक्रवात की तीव्रता बढ़ने में भी कम समय लगता है।

बात अगर बिपरजॉय की करें तो पांच जून को अरब सागर में हवाओं ने चक्रवात के रूप में चलना शुरू किया और महज़ 48 घंटे के भीतर यानि कि 7 जून को ही इसने तूफान का रूप ले लिया। वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से मॉनसून के पहले उठने वाले ऐसे चक्रवात भारतीय महासागर में साइक्लोजेनेसिस बढ़ा देते हैं, जिससे मॉनसून कमजोर पड़ जाता है।

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साधारण भाषा में समझिये कैसे अरब सागर में बनते हैं चक्रवात

  • मई-जून के महीने में समुद्र का तापमान बाकी महीनों की तुलना में 2-3 डिग्री अधिक रहता है।
  • अधिक तापमान की वजह से समुद्र की सतह पर अधिक गर्मी और अधिक नमी पैदा होती है, जो वातावरण में घुल जाती है।
  • जब समुद्री सतह के तापमान में सामान्य से अधिक वृद्ध‍ि होती है, तब हवा में नमी बढ़ने के साथ-साथ हवा का दाब (air pressure) बढ़ने लगता है।
  • इसकी वजह से चक्रवात उत्पन्न होता है। जितना अधिक तापमान, चक्रवात की तीव्रता उतनी अधिक।
  • दरअसल समुद्र की सतह पर विंड एनर्जी के रूप में एकत्र होने वाली ऊर्जा तेज़ी से बढ़ने लगती है।
  • यही ऊर्जा तय करती है कि चक्रवात कितना तीव्र होगा और कितने दिन तक इसका प्रभाव रहेगा।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार वर्तमान में अरब सागर में ऊर्जा तीन गुनी हो गई है, जिससे आप बिपरजॉय की तीव्रता का अंदाजा लगा सकते हैं।
  • तीव्रता जितनी अधिक होगी, समुद्री तटों से टकराने पर ये तूफान उतने अधिक विनाशकारी होंगे।
  • इस तूफान का असर केरल में सबसे ज्यादा दिख सकता है। उसके बाद कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, गुजरात और थोड़ा बहुत असर तमिलनाडु में दिखेगा।

समुद्री तापमान के बढ़ने का असर

आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार 1850-1900 के बीच समुद्र के औसत तापमान की तुलना में 2011-2020 का औसत तापमान 0.68 से लेकर 1.01 डिग्री अधिक हो गया। यानि कि यह स्‍पष्‍ट है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ा है। जाहिर है उसकी वजह से सतह का तापमान साल दर साल बढ़ रहा है और उसका नतीजा यह है कि बीते कुछ वर्षों से जो चक्रवात भारत के तटों से टकरा रहे हैं, उनकी तीव्रता पहले की तुलना में ज्यादा ही रही है। ताउते, निसर्ग, फानी, याश, मोका, बड़े उदाहरण हैं। ये वो तूफान हैं, जिनका प्रभाव 8 से 15 दिन तक रहा।

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English summary
Biporjoy is on the way to hit Indian coastal region. Here is what scientists says about the cyclones on Arabian Sea in last 40 years. What IIT Bombay, IIMS Pune, Ministry of Earth Science says about the cyclones.
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