World Heart Day 2023 Theme History Significance: पूरी दुनिया में हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा वर्ल्ड हार्ट डे मनाने की शुरुआत हुई। यह एक वैश्विक अभियान है जिसके माध्यम से लोगों को यह बताया जाता है कि हृदय रोग (सीवीडी) से कैसे बचा जा सकता है। वर्ल्ड हार्ट डे हर साल नई थीम के साथ मनाया जाता है।
आजकल इस तरह की खबरें बहुत आम हैं कि किसी को नाचते हुए हार्टअटैक आ गया या जिम में एक्सरसाइज करते समय कार्डिएक अरेस्ट हो गया या कोई रात में सोया तो सुबह उठ ही नहीं पाया क्योंकि नींद में ही उसका दिल बंद हो गया। ऐसे में प्रशन उठना स्वाभाविक है कि क्या हमारा दिल इतनी अचानक ही बंद हो जाता है या हमारी धड़कनें रूकने से पहले हमारा दिल कुछ संकेत देता है?
तो इस वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए क्या है वो लक्षण जो दिल के बीमार होने का संकेत देते हैं, अगर हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट हो जाए तो चिकित्सीय सहायता पहुंचने से पहले फर्स्ट एड के कौन-कौनसे विकल्प उपलब्ध हैं। हमारा दिल धड़कता रहे और हमारी सांसे चलती रहें, इसके लिए कौन-कौनसे जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं।
विश्व हृदय दिवस क्यों मनाया जाता है?
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य हृदय रोग, इसकी रोकथाम और दुनिया भर के लोगों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। हृदय रोग और स्ट्रोक सहित सीवीडी हर साल 17.9 मिलियन लोगों के जीवन का दावा करता है। इस तथ्य को देखते हुए, यह दिन उन कार्यों पर प्रकाश डालता है जो व्यक्ति सीवीडी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कर सकते हैं। यह दिवस हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है।
विश्व हृदय दिवस का इतिहास
विश्व स्वास्थ्य दिवस की स्थापना पहली बार 1999 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (WHF) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से की थी। एक वार्षिक आयोजन का विचार 1997-2011 तक वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अध्यक्ष एंटोनी बेयस डी लूना द्वारा कल्पना की गई थी। पहले मूल रूप से विश्व हृदय दिवस सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता था। पहला वर्ल्ड हार्ट डे 24 सितंबर 2000 को मनाया गया था। लेकिन विश्व के नेताओं ने वैश्विक मृत्यु दर को 25 प्रतिशत तक कम करने के लिए 2012 में वर्ल्ड हार्ट डे हर साल 29 सितंबर को मनाने का फैसला किया। तब से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।
वर्ल्ड हार्ट डे: दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षण
हृदय रोग पूरे विश्व में मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण हैं। हृदय रोगों में हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं। हृदय और रक्त परिसंचरण तंत्र की कई छोटी-बड़ी समस्याएं इनका कारण बनती हैं, इसलिए इन समस्याओं से संबंधित संकेतों की पहचान बहुत महत्वपूर्ण है।
सांस फूलना
सीढ़ियां चढ़ते हुए अक्सर सांस फूलने लगती है, इसे चिकित्सीय भाषा में डिस्पनोइया कहते हैं। अगर लगातार सांस फूलने की समस्या हो या कड़े शारीरिक परिश्रम के बिना ही सांस फूलने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसका कारण एनजाइना, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और हृदय की असामान्य धड़कनें हो सकता है। क्योंकि जब हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है तो वह उतनी मात्रा में रक्त पंप नहीं कर पाता जितनी शरीर को आवश्यकता होती है, इसकी प्रतिक्रिया शरीर तेज-तेज सांस लेकर देता है ताकि शरीर के अंदर ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन आ सके।
क्या करें
अगर वज़न अधिक है तो अपना वज़न कम करें, मोटापे के कारण भी सांस फूलने लगती है और हृदय पर दबाव भी बढ़ता है। संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, ताकि शरीर में रक्त का संचरण बेहतर रूप से हो सके। अगर समस्या गंभीर है तो तुरंत जांच कराएं, हृदय रोगों ही नहीं, अस्थमा, एंक्जाइटी, कैंसर, छाती का संक्रमण, फेफड़े में रक्त का थक्का बन जाना आदि के कारण भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर
रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक होना हार्ट अटैक का सबसे प्रमुख कारण है। इसके कारण धीरे-धीरे रक्त वाहिनियों में वसीय पदार्थ जमा होने लगता है जो रक्त के प्रवाह को अवरूद्ध करता है। अगर एक दशक तक शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक रहता है तो हृदय रोगों की आशंका 35-40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। धमनियों की खराबी के कारण हृदय में दर्द होने लगता है जिसे एनजाइना कहते हैं। हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट का खतरा भी अत्यधिक बढ़ जाता है।
क्या करें
अपने खानपान में फल, सब्जियों, साबुत अनाजों और मछलियों को अधिक मात्रा में शामिल करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। धुम्रपान और शराब का सेवन न करें। नियमित अंतराल पर कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच कराते रहें। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए दी गई दवाईयां बिना डॉक्टर की सलाह के लेना बंद न करें।
उच्च रक्तदाब
रक्तदाब को नियंत्रण में रखना हृदय रोगों से बचने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। उच्च रक्तदाब हृदय से संबंधित समस्याओं के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है, क्योंकि रक्तदाब अधिक होने से हृदय को शरीर में रक्त को धकेलने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय का आकार बड़ा हो सकता है और धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका बढ़ जाती है।
क्या करें
अपने रक्तदाब को नियंत्रित रखें। नमक का सेवन कम करें और अपनी दवाईयां ठीक समय पर लें। अनुशासित जीवनशैली का पालन करें। तनाव से बचें। नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज करें।
शूगर का अनियंत्रित स्तर
टाइप-1 और टाइप-2 दोनों ही डायबिटीज़ हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं। रक्त में शूगर का अनियंत्रित स्तर रक्त नलिकाओं को संकरा बना देता है जिसके कारण कोरोनरी आर्टरी डिसीज का खतरा बढ़ जाता है। धमनियों की खराबी हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट का कारण बन सकती है। जर्नल ऑफ दी अमेरिकन हार्ट असोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, डायबिटीज के 80 प्रतिशत लोगों में हृदय रोगों का खतरा होता है।
क्या करें
शारीरिक सक्रियता रक्त में की अतिरिक्त शूगर को जलाने का सबसे अच्छा तरीका है, इसलिए लगातार बैठे न रहें, जब भी अवसर मिले खड़े हो जाएं। सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनिट अपना मनपसंद वर्कआउट जरूर करें। सही डाइट और दवाईयां भी रक्त में शूगर के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायता करती हैं।
छाती में दर्द होना
हम दिल में दर्द को सीधे महसूस नहीं कर सकते हैं, ये छाती में दर्द के द्वारा महसूस होता है। हृदय रोगों के कारण छाती में होने वाले दर्द को एनजाइना कहते हैं। एनजाइना तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति नहीं होती है। इसके कारण हृदय में दबाव महसूस होता है, ऐसा लगता है कोई हृदय को भींच रहा है। एनजाइना अपने आपमें कोई रोग नहीं है बल्कि कोरोनरी हार्ट डिसीज़ का एक संकेत है। हार्ट अटैक में छाती में दर्द के साथ दूसरे कईं अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं।
क्या करें
अगर एनजाइना के लक्षण तेजी से खराब हो रहे हैं तो तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। वैसे छाती में दर्द केवल हृदय रोगों के कारण ही नहीं बल्कि पाचन, श्वसन, मांसपेशियों और हड्डियों से संबंधित समस्याओं के कारण भी हो सकता है।
तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- छाती में बेचैनी और भारीपन महसूस होने को हल्के में न लें।
- छाती में दर्द के साथ अगर सांस फूले तो यह खतरे का संकेत है।
- वैसे पसीना आना कोई बीमारी या बुरी बात नहीं है लेकिन अगर आप बेतहाशा पसीना आने से पीड़ित हों तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- अगर आपको लगातार चक्कर आएं तो इसे सिर्फ थकान या कमजोरी न मानें। अच्छा खाने और भरपूर सोने के बाद भी थकान महसूस हो तो इसे हल्के में न लें।
- धमनियां ब्लॉक होने से भी यह समस्या हो जाती हैं।
- बांहों का सुन्न हो जाना इसका कारण हृदय रोग हो सकता है।
- बोलने में जबान लड़खड़ाना भी हार्ट अटैक का गंभीर लक्षण हो सकता है।
- हृदय की धड़कनें अनियंत्रित हो जाना।
क्या करें जब अचानक बंद होने लगे दिल
हार्ट अटैक में हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति बाधित होने के बावजूद भी वह धड़कना बंद नहीं करता है, लेकिन कार्डिएक अरेस्ट में दिल बंद हो जाता है। हार्ट अटैक में तो फिर भी जिंदा रहने की संभावना रहती है, लेकिन कार्डिएक अरेस्ट के बाद तो 90 प्रतिशत लोग मौत के शिकार हो जाते हैं, केवल 10 प्रतिशत लोगों की ही जान बच पाती है जिन्हें समय रहते उपचार मिल जाता है। हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आने पर चिकित्सीय सहायता पहुंचने से पहले ये करें:
- हार्ट अटैक
- मरीज को लेटा दें।
- टाइट कपड़ों को ढीला कर दें।
- तुरंत नजदीक के अस्पताल ले जाएं।
- एस्प्रिन (300 एमजी) को चबाने को दें, इससे मृत्यु होने का खतरा 15-20 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
- मरीज की नाड़ी चेक करते रहें।
- मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाएं, अगर मरीज बेहोश होने लगे तो तुरंत सीपीआर शुरू कर दें।
कार्डिएक अरेस्ट
कार्डिएक अरेस्ट आने पर तुरंत सीपीआर प्रारंभ कर दें, जब तक की आपातकालीन चिकित्सीय सुविधा मरीज तक न पहुंचे। कार्डिएक अरेस्ट में दिल काम करना बंद कर देता है, इसलिए रक्त के प्रवाह को जारी रखने के लिए छाती को ज़ोर-ज़ोर से दबाएं, कम्प्रेशंस की दर 120/ मिनिट रखें। जब तक मरीज अस्पताल पहुंचे तब तक सीपीआर देना बहुत जरूरी है। अगर कार्डिएक अरेस्ट होने पर तुरंत सीपीआर दे दिया जाए तो जीवित रहने की संभावना 20-30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
सीपीआर का पुराना मॉडल एबीसी (एयरवे, ब्रीदिंग, कम्प्रेशन) था। 2010 मे अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने सीपीआर के दिशा-निर्देशों में परिवर्तन किया है, अब नया मॉडल सीएबी (कम्प्रेशन, एयरवे, ब्रीदिंग) है।
- कम्प्रेशन - रक्त संचरण पुनः स्थापित करने के लिए
- एयर वे : श्वास मार्ग को खोलें
- ब्रीदिंग : पीड़ित के लिए सांस लें
ताकि धड़कता रहे दिल
इन उपायों को अपनाकर आप दिल को बीमार होने से बचा सकते हैं:
अपनी डाइट में फलों, सब्जियों और साबुत अनाजों को अधिक मात्रा में शामिल करें।
नियमित रूप से एक्सरसाइज या योग करें।
तनावमुक्त रहें।
अपने रक्तदाब, रक्त में शूगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखें।
धुम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहें।
पारिवारिक इतिहास हो तो अतिरिक्त सावधानी रखें।
20 साल की उम्र पार करते ही अपने जरूरी टेस्ट कराएं, 40 के बाद स्ट्रेस टेस्ट भी कराएं।