लियो टॉल्सटॉय का नाम जब भी लिया जाता है, तो साहित्य के इतिहास में उनके योगदान को याद किया जाता है। टॉल्सटॉय केवल एक महान रूसी उपन्यासकार ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपने जीवन और लेखनी के जरिए पूरी दुनिया में मानवता, नैतिकता और अहिंसा का संदेश फैलाया। उनका साहित्य और दर्शन आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे। इस लेख में हम टॉल्सटॉय के जीवन, उनकी रचनाओं और उनके विचारों के बारे में जानेंगे।
कौन थे टॉल्सटॉय?
लियो टॉल्सटॉय का जन्म 9 सितंबर, 1828 को रूस के एक धनी और प्रतिष्ठित कुलीन परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम लेव निकोलायेविच टॉल्सटॉय था। टॉल्सटॉय का बचपन संघर्षपूर्ण रहा क्योंकि जब वे मात्र नौ वर्ष के थे, उनकी मां का निधन हो गया और कुछ समय बाद उनके पिता भी इस दुनिया से चले गए। इस दुखद घटना ने टॉल्सटॉय को गहरे रूप से प्रभावित किया। उन्हें उनके रिश्तेदारों ने पाला, और उन्होंने परिवार की संपत्ति का प्रबंधन संभाला।
शिक्षा के मामले में टॉल्सटॉय ने शुरुआत में कज़ान विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, लेकिन वह अध्ययन में खास रुचि नहीं रखते थे। वे कानून और पूर्वी भाषाओं का अध्ययन कर रहे थे, परंतु उनके मन में जीवन के बड़े सवाल और आत्मज्ञान की खोज ने जगह बना ली थी। अंततः उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और खुद को आत्मनिर्माण और साहित्य में डुबो दिया।
टॉल्सटॉय की प्रमुख रचनाएं
टॉल्सटॉय की रचनाएं उनकी गहन विचारधारा और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। उन्होंने समाज के हर वर्ग के लोगों की जिंदगी, उनके संघर्ष और उनके आंतरिक द्वंद्व को बड़ी सजीवता से प्रस्तुत किया है। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ निम्नलिखित हैं:
1. वॉर एंड पीस (War and Peace)
टॉल्सटॉय की इस महान कृति को साहित्यिक इतिहास में महाकाव्य माना जाता है। यह उपन्यास रूस पर नेपोलियन के आक्रमण के दौरान चार परिवारों की कहानी पर केंद्रित है। टॉल्सटॉय ने इस उपन्यास में युद्ध, समाज, राजनीति, प्रेम और पारिवारिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को बारीकी से प्रस्तुत किया है। "वॉर एंड पीस" को उसकी विस्तृत कथानक, गहरी सामाजिक टिप्पणियाँ और मानवीय संबंधों की सूक्ष्म विवेचना के लिए विश्व भर में सराहा गया है।
2. एना कैरेनिना (Anna Karenina)
यह उपन्यास प्रेम, विश्वासघात, नैतिकता और समाज के द्वंद्व पर आधारित है। इसमें मुख्य पात्र एना कैरेनिना एक विवाहित महिला है जो प्रेम और सामाजिक परंपराओं के बीच फंसी रहती है। उसका जीवन और उसकी त्रासदी टॉल्सटॉय के समाज पर कड़ी आलोचना करती है। यह उपन्यास व्यक्तिगत भावनाओं और समाज के कठोर नियमों के बीच संघर्ष को प्रस्तुत करता है, जो आज भी सामयिक है।
समाज सुधारक के रूप में टॉल्सटॉय
टॉल्सटॉय का जीवन केवल साहित्य तक सीमित नहीं रहा। वे अपने समय के सबसे प्रभावशाली समाज सुधारकों में से एक थे। उनकी विचारधारा ने मानवता, समाज और राजनीति के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदल दिया।
उनका मानना था कि सच्चा धर्म वह है जो मानवता और नैतिकता को महत्व देता है। उनके विचार कई बार चर्च और राज्य की नीतियों के खिलाफ थे, जिसके कारण उन्हें धार्मिक और सामाजिक आलोचना का सामना करना पड़ा। लेकिन टॉल्सटॉय ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने अहिंसा, सादा जीवन और सच्चाई पर जोर दिया।
गांधी पर प्रभाव
लियो टॉल्सटॉय के विचार केवल रूस में ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने महात्मा गांधी सहित कई नेताओं और विचारकों को प्रभावित किया। टॉल्सटॉय के "अहिंसा" और "सत्य" के सिद्धांतों ने गांधी को प्रेरित किया, जिन्होंने भारत में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन सिद्धांतों को अपनाया। गांधी ने स्वयं टॉल्सटॉय को पत्र लिखा और उनकी शिक्षाओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया। टॉल्सटॉय और गांधी के बीच पत्राचार हुआ, जिसमें दोनों ने अहिंसा और सत्य के महत्व पर चर्चा की।
आध्यात्मिक जागरण और अंत के वर्ष
टॉल्सटॉय का जीवन के प्रति दृष्टिकोण उनके जीवन के अंतिम वर्षों में और अधिक आध्यात्मिक हो गया था। उन्होंने 1880 के दशक के दौरान एक धार्मिक और नैतिक पुनर्जागरण का अनुभव किया। वे मानते थे कि सच्ची धार्मिकता और नैतिकता का संबंध व्यक्ति के भीतर से आता है, न कि बाहरी अनुष्ठानों से। इस विचार ने उन्हें पारंपरिक चर्च और रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च से दूर कर दिया, लेकिन उन्होंने अपनी आंतरिक सच्चाई की खोज जारी रखी।
टॉल्सटॉय ने अपना शेष जीवन एक सादा जीवन जीने, आत्मनिरीक्षण करने और अपने लेखन के जरिए मानवता के मूल्यों का प्रचार करने में व्यतीत किया। उनकी लेखनी में अहिंसा, नैतिकता और ईश्वर के प्रति गहरी श्रद्धा की झलक मिलती है।
टॉल्सटॉय की विरासत
लियो टॉल्सटॉय का निधन 20 नवंबर, 1910 को हुआ, लेकिन उनके विचार और साहित्यिक योगदान आज भी जीवित हैं। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक जगत में बल्कि समाज और राजनीति में भी क्रांति लाई। उनकी किताबें आज भी विश्व भर के विश्वविद्यालयों और साहित्य प्रेमियों के बीच पढ़ी और सराही जाती हैं।
उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति चाहे कितना भी धनी या प्रतिष्ठित हो, सच्ची खुशी और संतोष केवल आत्मज्ञान और सादगी में ही मिल सकता है। टॉल्सटॉय ने साहित्य के जरिए यह साबित कर दिया कि लेखन का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं होता, बल्कि यह समाज को सही दिशा देने और नैतिकता का प्रसार करने का एक सशक्त माध्यम है।
लियो टॉल्सटॉय ने अपने जीवन और लेखन के जरिए मानवता, नैतिकता और प्रेम का संदेश दिया। उनके साहित्य ने रूस और दुनिया भर के लोगों को गहराई से प्रभावित किया। उनकी महान कृतियाँ "वॉर एंड पीस" और "एना कैरेनिना" आज भी साहित्य प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं। टॉल्सटॉय का जीवन और उनकी विचारधारा हमें यह सिखाती है कि सादगी, सत्य और अहिंसा ही सच्चे जीवन के पथप्रदर्शक हैं।