कौन थे दोराबजी टाटा? 10 लाइनों में जानिए उनके जीवन के बारे में

दोराबजी टाटा भारतीय उद्योग जगत के एक प्रमुख हस्ती थे और टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे थे। उनका जन्म 27 अगस्त 1859 को मुंबई में हुआ था। दोराबजी ने अपने पिता के सपनों को आगे बढ़ाया और भारत के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उनके नेतृत्व में, 1907 में भारत का पहला इस्पात संयंत्र, टाटा स्टील (जिसे पहले टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी कहा जाता था) जमशेदपुर में स्थापित हुआ। उन्होंने टाटा पावर की भी स्थापना की, जो भारत की पहली निजी विद्युत उत्पादन कंपनी थी। दोराबजी टाटा का दृष्टिकोण और उनके द्वारा उठाए गए साहसिक कदमों ने भारत के उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

कौन थे दोराबजी टाटा? 10 लाइनों में जानिए उनके जीवन के बारे में

उन्होंने अपने जीवन के अंत में अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा परोपकार के लिए दान कर दिया, जिससे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की स्थापना हुई, जो आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। दोराबजी टाटा का निधन 3 जून 1932 को हुआ, लेकिन उनके कार्यों और आदर्शों की विरासत आज भी जीवित है।

10 लाइनों में जानिए दोराबजी टाटा के बारे में

  1. दोराबजी टाटा का जन्म: दोराबजी टाटा का जन्म 27 अगस्त 1859 को मुंबई में हुआ था। वे जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे थे और भारतीय उद्योग जगत में एक महत्वपूर्ण हस्ती बने।
  2. शिक्षा और प्रारंभिक जीवन: दोराबजी ने इंग्लैंड में अपनी शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र और कानून की पढ़ाई की। उनका शिक्षा के प्रति गहरा रुझान उनके आगे के कार्यों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
  3. टाटा समूह का नेतृत्व: 1904 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, दोराबजी ने टाटा समूह का नेतृत्व संभाला और उसे एक प्रमुख औद्योगिक समूह के रूप में स्थापित किया।
  4. टाटा स्टील की स्थापना: दोराबजी के नेतृत्व में 1907 में टाटा स्टील की स्थापना हुई, जो भारत का पहला इस्पात संयंत्र था और आज भी दुनिया की प्रमुख इस्पात कंपनियों में से एक है।
  5. टाटा पावर की स्थापना: उन्होंने 1911 में टाटा पावर की स्थापना की, जो भारत की पहली निजी विद्युत उत्पादन कंपनी थी और आज भी ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
  6. जमशेदपुर का विकास: दोराबजी ने जमशेदपुर को एक प्रमुख औद्योगिक नगर के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे "टाटा नगर" के नाम से भी जाना जाता है।
  7. परोपकारी कार्य: दोराबजी ने अपने जीवन के अंत में अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया, जिससे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की स्थापना हुई। यह ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  8. खेलों में रुचि: दोराबजी टाटा को खेलों में भी गहरी रुचि थी। वे ओलंपिक खेलों के समर्थक थे और उन्होंने भारत को 1920 में पहली बार ओलंपिक में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
  9. सम्मान: उनके सामाजिक और औद्योगिक योगदान के लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा "सर" की उपाधि से सम्मानित किया गया।
  10. मृत्यु: दोराबजी टाटा का निधन 3 जून 1932 को हुआ। उनके द्वारा स्थापित संस्थान और उनके योगदान आज भी भारतीय समाज और उद्योग में जीवित हैं, और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

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English summary
Dorabji Tata was a prominent figure in the Indian industrial world and the eldest son of Jamsetji Tata, the founder of the Tata Group. He was born on 27 August 1859 in Mumbai. Dorabji carried forward his father's dreams and contributed significantly to the industrial development of India.
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