Who is Sudha Murthy Biography In Hindi: अपने जीवन की सारी विपरीत परिस्थितियों का सामना करने, सकारात्मक विचारधारा रखने और साधारण जीवन जीने वाली एक महिला देश भर के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई। जी हां, हम समाजसेविका एवं लेखिका सुधा मूर्ति के बारे में बात कर रहे हैं। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफोसिस फाइंडेशन की अध्यक्ष और नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए मनोनित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने अपने पोस्ट में के माध्यम से बताया कि भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। राज्यसभा में उनकी मौजूदगी नारी शक्ति का शक्तिशाली प्रमाण है। सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान प्रेरणादायक रहा है।
समाजसेविका और लेखिका सुधा मूर्ति ने राज्यसभा के लिए मनोनित होने पर खुशी व्यक्त की और कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मिला सबसे खूबसूरत तोहफा है। सुधा मूर्ति ने कहा कि इस सम्मान के साथ मुझे एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। इस प्लैटफॉर्म की मदद से अब मैं बड़े स्तर पर समाज कल्याण के साथ ही साथ गरीबों की मदद कर सकुंगी।
भारतीय समाज में सुधा मूर्ति को एक महान समाजसेविका, शिक्षिका एवं मार्गदर्शिका के रूप में भी जाना जाता है। उनके समर्पण और सेवाभाव से दुनियाभर के लोग प्रेरित हुए हैं। यही कारण है कि आज सुधा मूर्ति बच्चों, युवाओं, महिलाओं और समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
सुधा मूर्ति का जन्म 19 आगस्त, 1950 को कर्नाटक के शिगगांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद हुबली-धारवाड़ स्थित बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी में बीई इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने इंजीनियरिंग में पूरे कर्नाटक में प्रथम स्थान हासिल किया, जिसके लिए उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा स्वर्ण पदक से पुरस्कृत किया गया।
इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से पूरी की और फिर आगे के अध्ययन के लिए अमेरिका जाएं। अमेरिका में उन्होंने मास्टर्स और फिलोसोफी डिग्री प्राप्त की और फिर वापस भारत आई। 1974 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से कंप्यूटर साइंस में अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स से स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बावजूद उन्होंने रिलेशनशिप में शिक्षा के महत्व को समझाया और शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देना शुरू किया।
एक सफल इंजीनियर, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखिका, महिला व्यवसायी, साधारण जीवन जीने वाली और उच्च विचार रखने वाली सुधा मूर्ति हाल के दिनों में भारत की सबसे प्रेरणादायक महिलाओं में से एक बन गई हैं। अपने करियर की शुरुआत से ही, सुधा मूर्ति ने कई विषम परिस्थितियों को सामना कर, पुरुषों के प्रभुत्व वाले उद्योगों और कार्यस्थलों में अपनी जगह बनाई।
हालांकि कई लोग सुधा मूर्ति को इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की पत्नी के रूप में जानते हैं, लेकिन उनकी पहचान केवल उनके पति की सफलता तक सीमित नहीं है। कुछ साल पहले कर्नाटक के सभी सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की सुविधा शुरू करने की सुधा मूर्ति की साहसिक पहल की बहुत सराहना की गई थी।
जमा पूँजी से की पति की मदद और खड़ा किया दिया इंफोसिस
इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति कई मायनों में श्रेष्ठ रही हैं। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री उस समय पूरी की जब महिलाओं के लिए इंजीनियरिंग करना और इंजीनियर बनना दोनों केवल सपना मात्र था। इतना ही नहीं अपन शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने टेल्को (अब टाटा मोटर्स) में बतौर इंजीनियर कार्य करना शुरू किया। आपको बता दें कि वे संस्थान की पहली महिला इंजीनियर रहीं।
उन्होंन अपने कई साक्षात्कार में यह बात कही है कि उन्होंने अपने पति नारायण मूर्ति को 10,000 रुपये दिए थे, जब वह अपनी कंपनी शुरू करना चाहते थे। सुधा मूर्ति ने अपनी मेहनत की कमाई को नारायण मूर्ति के बिजनेस आइडिया में निवेश करने का निर्णय लिया। यह निर्णय उन्होंने उस समय लिया जब भारत में आईटी सेक्टर अपने शुरुआती चरण में था। यह कहना गलत नहीं होगा कि सुधा मूर्ति एक दूरदर्शी हैं क्योंकि उन्हें विश्वास था कि भारत में आईटी क्षेत्र तेजी से बढ़ेगा। इंफोसिस भारत की प्रसिद्ध और टॉप आई सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों में से एक है।
सामाजिक कार्यों में सुधा मूर्ति का योगदान
सुधा मूर्ति ने अपने करियर की शुरुआत कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग से की। वह इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष और गेट्स फाउंडेशन की सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पहल की सदस्य हैं। उन्होंने भारत में कई अनाथालयों की स्थापना की, ग्रामीण विकास प्रयासों में भाग लिया, सभी कर्नाटक सरकारी स्कूलों को कंप्यूटर और पुस्तकालय सुविधाएं प्रदान करने के आंदोलन का समर्थन किया और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया की स्थापना की। सुधा मूर्ति ने सामाजिक सेवा में भी अपना योगदान दिया है। उन्होंने विभिन्न समाजसेवा क्षेत्रों में अपने समय और संसाधनों की निष्ठा से काम किया है। उन्हें एक सफल उद्यमिता के रूप में और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने योगदानों के लिए भी जाना जाता है।
सुधा मूर्ति द्वारा स्थापित नारायणा श्रीनिवासा सेवा संस्थान एक प्रमुख शिक्षाविद्यालय के रूप में विकसित हो गया है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। इस संस्थान का उद्देश्य गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है ताकि वे भविष्य में समृद्धि की ओर कदम बढ़ा सकें। सुधा मूर्ति का योगदान भारतीय समाज के विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
उन्होंने सामाजिक सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में अपने संघटित प्रयासों से समाज को प्रेरित किया है और लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन किया है। उनकी महानता और सेवाभाव से हम सभी को प्रेरित होना चाहिए, ताकि हम भी अपने क्षेत्र में योगदान देते हुए समाज को सुधारने में सहयोग कर सकें।
साहित्य के क्षेत्र में योगदान
सुधा मूर्ति को उनकी कन्नड़ और अंग्रेजी में साहित्य में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। सुधा मूर्ति की स्टोरीटेलिंग के प्रति उनके प्रेम ने उनके साहित्यिक करियर की नींव रखी। वे कथा, बाल साहित्य, यात्रा कथा और गैर-काल्पनिक श्रेणियों में कई उपन्यासों कई उपन्यास लिख चुकी हैं। उनके उल्लेखनीय कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
1. "वाइज़ एंड अदरवाइज": वर्ष 2002 में प्रकाशित यह लघुकथाओं का संग्रह है। इसमें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ उनकी बातचीत और वास्तविक जीवन के अनुभवों को साझा किया गया है।
2. "द मैजिक ड्रम एंड अदर फेवरेट स्टोरीज़": 2006 में प्रकाशित द मैजिक ड्रम एंड अदर फेवरेट स्टोरीज़ एक आकर्षक जीवन पाठों के साथ बच्चों की कहानियों का संग्रह है। यह बच्चों की पसंदीदा किताबों में से एक है।
3. "डॉलर बहू": इस पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2001 में किया गया। यह एक काल्पनिक कथा पर आधारित है, जो अंतर-पीढ़ीगत रिश्तों और सांस्कृतिक मतभेदों की कठिनाइयों पर केंद्रित है। इस पर एक टीवी सीरिज भी बनाया गया।
4. "थ्री थाउजेंड स्टिचेस: इस पुस्तक में उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों की कहानियां साझा की है।
5. ऑर्डिनरी पीपल, एक्स्ट्राऑर्डिनरी लाइव्स": यह पुस्तक उन लोगों के प्रेरक अनुभवों को प्रदर्शित करने वाले निबंधों का एक संकलन, जिन्होंने कठिनाइयों का सामना किया है और बदलाव लाने के लिए आगे बढ़े हैं।
6. "द सर्पेंट्स रिवेंज: अनयूजुअल टेल्स फ्रॉम द महाभारत": भारतीय महाकाव्य महाभारत की अनसुनी कहानियों का पुनर्कथन।
7. "दादी की कहानियों का थैला": बच्चों के लिए दिल छू लेने वाली कहानियों का संग्रह।
सुधा मूर्ति द्वारा प्राप्त पुरस्कार और सम्मान
2004: चेन्नई में श्री राजा-लक्ष्मी फाउंडेशन द्वारा राजा-लक्ष्मी पुरस्कार से सम्मानित
2006: भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित
2006: उन्हें साहित्य के लिए आरके नारायण पुरस्कार से सम्मानित
2010: कर्नाटक सरकार द्वारा दाना चिंतामणि अतीमब्बे पुरस्कार से सम्मानित
2011: भारत में औपचारिक कानूनी शिक्षा और छात्रवृत्ति को बढ़ावा देने में योगदान के लिए मूर्ति को मानद एलएलडी (डॉक्टर ऑफ लॉ) की डिग्री से सम्मानित
2013: समाज में उनके योगदान के लिए नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति को बसवा श्री-2013 पुरस्कार से सम्मानित
2018: मूर्ति को लोकप्रिय (नॉन-फिक्शन) श्रेणी में क्रॉसवर्ड बुक पुरस्कार से सम्मानित
2019: आईआईटी कानपुर ने उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि (मानद उपाधि) से सम्मानित किया
2019: समाज की उत्कृष्ट सामाजिक सेवा के लिए पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
2019: रोटरी साउथ - हुबली द्वारा उत्कृष्ट सामाजिक सेवा के लिए पुरस्कार से सम्मानित
2019: "मिलेनियम महिला शिरोमणि" पुरस्कार से सम्मानित
2023: भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित
2023: साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित
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