When is Bhai Dooj in 2023 in Hindi: पूरे भारत में भाई दूज का त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है। भाई दूज को भारत के पूर्वी राज्य बंगाल में भाई फोटा के नाम से भी जाना जाता है। भाइयों और बहनों के बीच अटूट बंधन का सम्मान करने के लिए भाई दूज (bhai dooj in hindi) का त्योहार मनाया जाता है। यह एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पड़ने वाला यह त्यौहार आमतौर पर दिवाली के दो दिन बाद आता है। भैया दूज का अत्यधिक सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व है, जो भाई-बहनों के बीच प्यार और सुरक्षा के मजबूत संबंधों पर जोर देता है। इस वर्ष भाई दूज 15 नवंबर को मनाया जायेगा।
विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार, भैया दूज 2023 शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसलिए इसे भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। कई लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि भैया दूज क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है। आइए जानते हैं इस लेख के माध्यम से भाई दूज क्यों मनाई जाती है और भारत के किन प्रदेशों में इसे क्या नाम से जाना जाता है।
Bhai Dooj 2023: क्या होता है भाई दूज?
भाई दूज का दिन बेहद पवित्र माना जाता है। इस दिन हर बहन अपने भाइयों के माथे पर पवित्र तिलक (सिंदूर) लगाती है और उनकी मंगल कामना करती है। राखी के त्योहार के समान ही भाई दूज भाई बहन के पवित्र रिश्ते के सम्मान में मनाई जाती है। भाइयों के माथे पर तिलक लगाने के साथ ही बहनें उनकी भलाई और समृद्धि के लिए प्रार्थना भी करती हैं। यह रस्म भाई के प्रति बहन के प्यार और स्नेह का प्रतीक है।
बहन द्वारा तिलक लगाये जाने के बदले, भाई अपनी बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं, उनकी रक्षा और समर्थन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं। पश्चिम बंगाल में इस त्योहार को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है, जहां बहनें अपने भाइयों को चंदन का टीका लगाती हैं और उनके लिए मंगलकामना करती है। भाई अपनी बहनों को तोफा भेंट करते हैं।
Bhaiya Dooj 2023 Date and Time: भैया दूज का समय क्या है?
इस साल भैया दूज की दो तिथियों को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। कुछ लोग कहते हैं कि 14 नवंबर के दिन भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 19 मिनट तक है। वहीं, 15 नवंबर को शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।
Bhai Dooj 2023 History: भाई दूज कब शुरू हुआ?
भाई दूज हिंदू पौराणिक कथाओं (bhai dooj ki katha), विशेष रूप से भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा की कहानी से प्रेरणा लेता है। किंवदंती है कि इस दिन, राक्षस नरकासुर को हराने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, जिन्होंने तिलक और फूलों से उनका दिल से स्वागत किया। माना जाता है कि भाई दूज की परंपरा इसी स्नेहपूर्ण मिलन से उत्पन्न हुई है।
एक और पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए, जिन्होंने तिलक समारोह में उनका स्वागत किया। यम ने फैसला किया कि इस दिन जो कोई भी अपनी बहन से तिलक और मिठाई लेगा, उसे लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलेगा।
Bhai Dooj 2023: क्षेत्र के अनुसार भाई दूज की विविधताएं
यूं तो भैया दूज का त्योहार पूरे भारत में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अलग-अलग राज्य और क्षेत्रों में इसे अलग अलग नाम से जाता जाता है। केवल इसके अलग-अलग नाम में ही नहीं बल्कि इस त्योहार के रीति-रिवाजों भी क्षेत्र के अनुसार भिन्न है। बंगाल में इसे भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए तरह तरह के पकवान बनाती हैं और एक भोजन समारोह का आयोजन भी करती हैं।
कुछ क्षेत्रों में, बहनें प्यार और देखभाल के प्रतीकात्मक संकेत के रूप में अपने भाइयों की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधती हैं। दक्षिण भारत में यम द्वितीया मनाई जाती है। पश्चिम बंगाल में, भाई दूज को भाई फोटा के रूप में मनाया जाता है और महाराष्ट्र में, भाई दूज को उसी दिन भाऊ बीज के रूप में मनाया जाता है।
Bhai Dooj 2023: भाई दूज का प्रतीक क्या होता है?
भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक भैया दूज उपहारों और अनुष्ठानों के आदान-प्रदान से कई पवित्र त्योहार है। यह भाई-बहनों के बीच प्यार और समझ के गहरे बंधन का प्रतीक है। यह त्योहार इस विचार को पुष्ट करता है कि भाई और बहन एक-दूसरे के समर्थन के स्तंभ हैं, जो सुरक्षा और सहयोग की भावना प्रदान करते हैं।
भाई दूज (bhai dooj in hindi) भारतीय संस्कृति में पारिवारिक रिश्तों के महत्व का एक सुंदर प्रमाण है। अनुष्ठानों और उत्सवों से परे, यह भाई-बहनों के बीच प्यार, विश्वास और आपसी सम्मान का सार समाहित करता है। जैसे ही भाई-बहन भाई दूज मनाने के लिए एक साथ आते हैं, वे न केवल परंपरा का सम्मान करते हैं बल्कि स्थायी यादें भी बनाते हैं जो पारिवारिक बंधनों को मजबूत करती हैं।
Bhai Dooj 2023: कैसे मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार?
भैया दूज के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई अपनी बहनों को प्यार के प्रतीक के रूप में उपहार देते हैं। यह त्यौहार भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, जैसे पश्चिम बंगाल में फोटा और महाराष्ट्र में भाओ बीज कहते हैं।
मान्यताों के अनुसार, इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए यमराज से प्रार्थना करती हैं। इस अनुष्ठान में बहनें अपने भाइयों के माथे पर सात रंगों का लंबा टीका लगाती हैं। बाकी अनुष्ठान अन्यत्र हिंदुओं द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठान के समान हैं। वर्ष 2023 में भाई दूज 15 नवंबर (बुधवार) को मनाया जायेगा।
भाई दूज की उत्सव भावना घरों में स्पष्ट है, जहां बहनें इस समारोह के लिए सावधानीपूर्वक तैयारी करती हैं। मिठाइयाँ, पारंपरिक व्यंजन और उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है, जिससे खुशी और गर्मजोशी का माहौल बनता है। परिवार जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं, जिससे एकता और पारिवारिक बंधनों का सार मजबूत होता है।
Bhaiya Dooj 2023 भाई दूज को क्या कहा जाता है
भाई दूज या भैया दूज दिवाली उत्सव के दो दिन बाद मनाया जाता है। भाई दूज को भाऊ बीज, भाई बिज, भाई बीज, भातरु द्वितीया, भातृ द्वितीया, भाव बिज, भतृ दित्य, भाई फोटा और भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भाई-बहन के बीच साझा किए गए पवित्र रिश्ते की याद दिलाता है। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी समृद्धि और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।