कब और किसने की लोकदल पार्टी की स्थापना? जानिए चौधरी चरण सिंह और पार्टी के इतिहास के बारे में

चौधरी चरण सिंह, जिन्हें भारतीय राजनीति में किसानों के मसीहा के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 29 अगस्त 1974 को लोकदल पार्टी की स्थापना की। चौधरी चरण सिंह का उद्देश्य भारतीय राजनीति में एक ऐसे दल का निर्माण करना था, जो देश के गरीब, किसान और मजदूर वर्ग की आवाज़ को प्रकट कर सके। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर 'भारतीय क्रांति दल' नाम से एक पार्टी बनाई थी, जिसे बाद में 'लोकदल' के रूप में पुनर्गठित किया गया।

कब और किसने की लोकदल पार्टी की स्थापना? जानिए चौधरी चरण सिंह और पार्टी के इतिहास के बारे में

लोकदल पार्टी का इतिहास

लोकदल पार्टी की स्थापना भारतीय राजनीति के उस दौर में हुई जब देश में कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व था। 1960 और 1970 के दशकों में भारतीय राजनीति में अस्थिरता और विरोध की लहरें उभरने लगी थीं। इस समय कांग्रेस पार्टी के आंतरिक संकट और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियों के खिलाफ कई विपक्षी नेता एकजुट हो रहे थे। चौधरी चरण सिंह इस समय कांग्रेस से अलग हो चुके थे और एक नई राजनीतिक धारा का निर्माण कर रहे थे।

1974 में, जब चौधरी चरण सिंह ने लोकदल की स्थापना की, तब उन्होंने इसे एक ऐसे मंच के रूप में प्रस्तुत किया, जहां भारतीय किसानों, मजदूरों और गरीबों की समस्याओं को उठाया जा सके। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना और उनकी समस्याओं को हल करना था।

लोकदल का प्रारंभिक दौर:

लोकदल पार्टी ने अपने प्रारंभिक दौर में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत की। पार्टी का आधार ग्रामीण क्षेत्रों में था, जहां किसानों और मजदूरों की समस्याएं प्रमुख थीं। चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में, लोकदल ने समाजवादी नीतियों को अपनाया और गांवों में विकास को प्राथमिकता दी।

लोकदल की राजनीति का मुख्य केंद्र बिंदु भूमि सुधार, किसानों के अधिकारों की सुरक्षा, और ग्रामीण विकास था। पार्टी ने इस दिशा में कई कदम उठाए, जिससे किसानों में पार्टी के प्रति विश्वास और समर्थन बढ़ा। 1977 के आम चुनावों में, लोकदल ने जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और चौधरी चरण सिंह ने देश के प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया।

चौधरी चरण सिंह का प्रधानमंत्री काल और लोकदल:

चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान, उन्होंने किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। हालांकि, उनका प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल बहुत छोटा था, लेकिन इसने भारतीय राजनीति में किसानों और ग्रामीण मुद्दों को केंद्र में लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

चरण सिंह के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद, लोकदल की स्थिति में थोड़ी गिरावट आई। लेकिन पार्टी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और बिहार जैसे राज्यों में अपनी पकड़ बनाए रखी। 1980 के दशक में, भारतीय राजनीति में उथल-पुथल और विभाजन का दौर चला, जिसमें लोकदल भी विभाजनों से अछूता नहीं रहा।

लोकदल का विभाजन और अन्य राजनीतिक दलों के साथ विलय:

1980 और 1990 के दशकों में लोकदल कई बार विभाजित हुआ और अन्य दलों के साथ विलय हुआ। चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद, पार्टी का नेतृत्व उनके बेटे अजीत सिंह ने संभाला। अजीत सिंह ने लोकदल को राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के रूप में पुनर्गठित किया और पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत किया।

लोकदल के कई अन्य धड़ों ने भी अन्य पार्टियों के साथ विलय किया। इन वर्षों में, पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (एसपी) के साथ गठजोड़ किया और विभिन्न चुनावों में भाग लिया।

वर्तमान स्थिति:

आज, लोकदल की पहचान राष्ट्रीय लोकदल के रूप में की जाती है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्सों में प्रमुख है। पार्टी ने किसानों के मुद्दों को अपने एजेंडे में सर्वोच्च स्थान दिया है और आज भी ग्रामीण और किसानों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही है।

लोकदल का इतिहास भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में देखा जाता है, जहां यह पार्टी न केवल किसानों के अधिकारों के लिए लड़ी, बल्कि एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए भी संघर्षरत रही। चौधरी चरण सिंह की विरासत आज भी भारतीय राजनीति में जीवित है और उनके सिद्धांत और विचारधारा लोकदल और उसके अनुयायियों द्वारा आगे बढ़ाई जा रही है।

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English summary
Chaudhary Charan Singh, who is known as the messiah of farmers in Indian politics, founded the Lok Dal party on 29 August 1974. The aim of Chaudhary Charan Singh was to create a party in Indian politics that could express the voice of the poor, farmers and working class of the country. He broke away from the Congress and formed a party named 'Bharatiya Kranti Dal'.
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