हरियाली तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है, जानिए इन दोनों दिन का विशेष महत्व

भारत में त्योहारों का विशेष महत्व है, क्योंकि वे न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक मूल्यों को भी प्रतिबिंबित करते हैं। तीज का पर्व भी ऐसा ही एक प्रमुख त्योहार है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं मनाती हैं।

तीज मुख्यतः दो प्रकार की होती है-हरियाली तीज और हरतालिका तीज। हालांकि, ये दोनों तीज एक-दूसरे से अलग हैं, और इनके पीछे की कथाएं और धार्मिक मान्यताएं भी भिन्न हैं। इस लेख में हम हरियाली तीज और हरतालिका तीज के बीच का अंतर और उनके विशेष महत्व को समझेंगे।

हरियाली तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है, जानिए इन दोनों दिन का विशेष महत्व

हरियाली तीज: प्रकृति के साथ जुड़ाव का पर्व

हरियाली तीज मुख्यतः सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस तीज का प्रमुख उद्देश्य प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना और हरियाली को संरक्षित करना है। हरियाली तीज को "श्रावणी तीज" के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्यतः उत्तर भारत, विशेषकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

महत्व:
हरियाली तीज का मुख्य प्रतीक हरियाली है। सावन का महीना वर्षा ऋतु का समय होता है, जब धरती हरी-भरी होती है और चारों ओर हरियाली छा जाती है। इस पर्व का महत्व प्राकृतिक संतुलन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ है। महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, और अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, हरी चूड़ियां और मेंहदी लगाती हैं, जो कि हरियाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

विशेषताएं:
हरियाली तीज की प्रमुख विशेषता झूले का प्रचलन है। इस दिन महिलाएं पेड़ों पर झूले डालती हैं और गीत गाकर उत्सव मनाती हैं। यह झूला सावन की मस्ती और आनंद का प्रतीक है। साथ ही, इस दिन लोकगीतों का गायन और नृत्य भी किया जाता है, जिससे उत्सव का माहौल और भी जीवंत हो जाता है।

हरतालिका तीज: प्रेम और समर्पण का प्रतीक

हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तीज विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। हरतालिका तीज का नाम "हर" और "तालिका" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है "हर" यानी "अगवा करना" और "तालिका" यानी "सखी"।

महत्व:
हरतालिका तीज के पीछे की कथा देवी पार्वती और भगवान शिव से जुड़ी है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी सखी ने उन्हें इस कठिन तपस्या के लिए प्रेरित किया और उन्हें उनके पिता से अगवा कर लिया ताकि वे भगवान विष्णु से विवाह करने की योजना से बच सकें। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पति के रूप में स्वीकार किया। इस प्रकार, हरतालिका तीज का पर्व प्रेम, समर्पण, और तपस्या का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और पूरी रात जागरण करती हैं।

विशेषताएं:
हरतालिका तीज में पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों का निर्माण करती हैं और उन्हें फूलों और आभूषणों से सजाती हैं। पूजा के दौरान महिलाएं शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं और इस व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करती हैं। हरतालिका तीज की पूजा में विशेष रूप से बेल पत्र, धतूरा, और फल-फूल का प्रयोग किया जाता है।

हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर

हरियाली तीज और हरतालिका तीज दोनों ही तीज का पर्व महिलाओं के जीवन में विशेष महत्व रखता है। एक ओर जहां हरियाली तीज प्रकृति के प्रति प्रेम और उसके संरक्षण की भावना को प्रकट करती है, वहीं दूसरी ओर हरतालिका तीज प्रेम, तपस्या, और समर्पण का प्रतीक है। इन दोनों तीजों की परंपराएं और रीति-रिवाज हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं, जो हमें हमारे समाज और परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हैं।

समय:
हरियाली तीज सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जबकि हरतालिका तीज भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।

इस साल 2024 में हरियाली तीज 7 अगस्त, बुधवार को मनाई गई जबकि हरतालिका तीज 6 सितंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

महत्व:
हरियाली तीज का महत्व प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ा है, जबकि हरतालिका तीज का महत्व पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण से जुड़ा है।

कथा:
हरियाली तीज की कथा में प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली की पूजा का महत्व है, जबकि हरतालिका तीज की कथा में देवी पार्वती और भगवान शिव की प्रेम कहानी और उनकी तपस्या का महत्व है।

व्रत:
हरियाली तीज में महिलाएं व्रत रखती हैं, लेकिन निर्जल व्रत का पालन आवश्यक नहीं होता। जबकि हरतालिका तीज में महिलाएं कठोर निर्जल व्रत रखती हैं।

उत्सव:
हरियाली तीज में झूला डालने और नृत्य-गान की परंपरा है, जबकि हरतालिका तीज में पूजा-पाठ और जागरण की परंपरा होती है।

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English summary
Both Hariyali Teej and Hartalika Teej hold special significance in the lives of women. While Hariyali Teej expresses love for nature and its preservation, Hartalika Teej is a symbol of love, penance, and dedication. This year in 2024, Hariyali Teej was celebrated on 7 August, Wednesday, while Hartalika Teej will be celebrated on 6 September, Friday.
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